छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को कोरोना से 16 जानें गईं और इसी के साथ मौतों की संख्या 1003 पर पहुंच गई है। पिछले डेढ़ महीने यानी केवल 47 दिन में 903 मरीजों की कोरोना से जान गई है। जबकि शुरुआती सौ मौतें 80 दिन में हुई थीं। कोरोना से प्रदेश में मृत्यु की दर 0.8 प्रतिशत है। हालांकि यह राष्ट्रीय मृत्यु दर 1.6 प्रतिशत से अभी आधी ही है।
छत्तीसगढ़ में 17 अगस्त से 2 अक्टूबर तक हुई 903 मौतें रोजाना लगभग 19 के औसत से हुई हैं। जबकि 29 मई से 16 अगस्त तक केवल 1.25 फीसदी मरीजों की जान गई। रायपुर समेत प्रदेश में अगस्त व सितंबर में सबसे ज्यादा मौतें हुईं। दरअसल कोरोना के शुरुआती दौर यानी मार्च से जून तक हल्के या बिना लक्षण वाले मरीज ज्यादा थे, जिनका प्रतिशत अब घटकर 65 फीसदी हो गया है। अर्थात, अब अस्पतालों में पहुंचने वाले कुल मरीजों में से 35 फीसदी सांस में तकलीफ या बुखार के साथ पहुंच रहे हैं। इनमें भी सांस में तकलीफ वाले ज्यादा हैं। इन्हें ऑक्सीजन बेड के साथ आईसीयू और कई बार वेंटिलेटर की भी जरूरत पड़ रही है।
प्रदेश में 1.18 लाख संक्रमित
प्रदेश में शुक्रवार को 2637 नए कोरोना मरीजों की पहचान की गई, जिसमें 395 मरीज रायपुर के हैं। रायपुर में 3 समेत 16 मरीजों की मौत भी हुई है। नए केस के बाद प्रदेश में मरीजों की संख्या 118792 हो गई है। जबकि एक्टिव केस 29693 है। वहीं इलाज के बाद 88095 मरीज स्वस्थ हुए हैं। दूसरी ओर, रायपुर में मरीजों की संख्या 34582 व एक्टिव केस 10254 है। 23891 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। 437 मरीजों की कोरोना से जान गई है।

गर्भवती महिलाओं के लिए महासमुंद में बने कोविड अस्पताल में संक्रमित महिला ने बच्ची काे दिया जन्म
महासमुंद। गर्भवती महिलाओं के लिए बनाए गए विशेष कोविड अस्पताल में गुरुवार की रात पहली डिलीवरी कराई गई। कोरोना पॉजिटिव महिला ने स्वस्थ बच्ची काे जन्म दिया। कोरोना के बढ़ते केस देखते हुए तुमगांव सीएचसी को प्रसूताओं के लिए कोविड हॉस्पिटल बनाया गया है। यहां उनकी जांच, इलाज के साथ इमरजेंसी में डिलीवरी की व्यवस्था भी है। एमआ डॉ. विकास चंद्राकर ने बताया कि ईमलीभाठा निवासी 32 वर्षीय महिला को 10 दिन से होम आइसोलेशन में थी। प्रसूता का वजन कम था, वह सदमे में भी थी। रायपुर एम्स या मेकाहारा में बेड नहीं हाेने पर यहीं डिलीवरी कराई गई। यहां टीम में एएमओ वीरेंद्र नायक, एएनएम अंकिता नेताम, रेखा बघेल और विनीता डोंगरे तैनात हैं।
मौत की रफ्तार
- 29 मई – पहली मौत
- 16 अगस्त – 100 मौतें
- 2 अक्टूबर- 1000 मौतें
ये है मौत होने की वजह
सीनियर गैस्ट्रोसर्जन डॉ. देवेंद्र नायक व चेस्ट एक्सपर्ट डॉ. आरके पंडा का कहना है कि टेस्ट में देरी के कारण इलाज में देरी हो रही है। इसलिए अस्पताल में लोगों को बचाना मुश्किल हो रहा है। क्योंकि जब तक मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, तब तक देर हो चुकी होती है। कई मरीजों ने अस्पताल पहुंचने के 10 से 12 घंटे के बीच दम तोड़ा है। वहीं 50 से ज्यादा मरीज मृत हालत में अस्पताल के दरवाजे तक पहुंचे हैं। कोरोना संक्रमितों का अस्पताल में ब्राॅट डेड पहुंचना इसलिए गंभीर है, क्योंकि इसी से साबित हो रहा है कि लोग अब भी इस संक्रमण को लेकर उतने गंभीर नहीं हैं।
