- ऐसा पहली बार है जब राज्यपाल अनुसुइया ने ट्रांसफर पर खुले तौर पर आपत्ति जताई है
- महाराष्ट्र के राज्यपाल भी मंदिर नहीं खोले जाने पर उद्धव सरकार से नाराजगी जता चुके हैं
बुधवार शाम छत्तीसगढ़ सरकार ने तीन आईएएस का ट्रांसफर कर दिया। राज्यपाल के सचिव रहे आईएएस सोनमणि बोरा को भी हटा दिया गया है। इस पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने ऐतराज जताया है। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर कहा है कि राज्यपाल की सहमति लेकर पूर्णकालिक सचिव को नियुक्त किया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख है। राज्यपाल के जरिए पूरे राज्य की व्यवस्था संचालित होती है। संवैधानिक व्यवस्था के तहत राज्यों की सरकार राज्यपाल की होती है।
पत्र में आगे लिखा- प्रदेश में सभी प्रशासनिक कार्य राज्यपाल के नाम से ही संचालित होते हैं। अतिरिक्त प्रभार वाले अधिकारी होने से कार्य की गुणवत्ता और व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में राजभवन सचिवालय के अधिकारियों को बदलने की जरूरत हो तो अधिकारियों का पैनल भेजा जाना चाहिए। इस पैनल में राज्यपाल की सहमति और राज्यपाल द्वारा चयनित अधिकारियों की पदस्थापना की जाए।
खलखो सचिव, कुंजाम संयुक्त सचिव
नए ट्रांसफर ऑर्डर के मुताबिक अब बोरा को सचिव राज्यपाल के पद से मुक्त कर दिया गया है। उनकी जगह राजभवन में दो-दो आईएएस पदस्थ किए गए हैं। अमृत कुमार खलखो को सचिव और केडी कुंजाम को संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। खलखो इस समय बस्तर कमिश्नर हैं।
2002 बैच के आईएएस खलखो को कृषि विभाग के सचिव के साथ राज्यपाल के सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। इनके अलावा 2009 बैच के आईएएस कुंजाम संयुक्त सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। कुंजाम जीएडी के संयुक्त सचिव के साथ राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग, खाद्य एवं औषधि प्रशासन के संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भी उद्धव सरकार पर उठा चुके हैं सवाल
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी सरकार के फैसले पर सवाल उठा चुके हैं। हालांकि, इसकी वजह दूसरी है। राज्यपाल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को खत लिखकर राज्य में मंदिर न खोलने पर सवाल उठाया था। मंदिर न खोले जाने पर उन्होंने उद्धव के हिंदुत्व पर भी हमला किया था।
