आज शारदीय नवरात्रि का छठा है। यह दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है। महिषासुर का वध करने वाली देवी मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी के नाम से भी पुकारते हैं। मान्यता है कि मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है और विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। मां कात्यायनी का स्वभाव बेहद उदार है और वह भक्त की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ऋषि कात्यायन माता के परम भक्त थे। इनकी तपस्या से खुश होकर ही देवी मां ने इनके घर पुत्री के रुप में होने का वरदान दिया। ऋषि कात्यायन की बेटी होने के कारण मां को कात्यायनी कहा जाता है।
कैसा है मां का स्वरूप-
मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। एक हाथ में माता के खड्ग तो दूसरे हाथ में कमल का पुष्प पकड़ा है। अन्य दो हाथों से माता वर मुद्रा और अभय मुद्रा में भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा का यह स्वरूप अत्यंत दयालु और भक्तों की मन की सभी मुरादें पूरी करने वाला है।
कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा-
मां कात्यायनी का ‘कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते’ से जप करने के बाद उन्हें गंगाजल, नारियल, कलश, चावल, रोली, चुन्नी, शहद आदि अर्पित करना चाहिए।
मां कात्यायनी को क्या लगाएं भोग-
नवरात्रि की षष्ठी तिथि के दिन देवी मां को शहद अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं कि मां कात्यायनी को शहद अतिप्रिय है। इसके साथ ही पान में शहद मिलाकर मां कात्यायनी को भेंट करना बेहद उत्तम माना गया है। कहते हैं कि ऐसा करने से मां भक्त की सभी मुरादें पूरी करती हैं। मां कात्यायनी को मालपुआ का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
नवरात्रि के छठवें दिन का शुभ रंग-
नवरात्रि के छठवें दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि लाल वस्त्र पहनने से मां कात्यायनी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
