Sunday, May 28, 2023
Homeदेश-विदेशबीसीसी न्यूज़24:यूएन में मोदी का भाषण-प्रधानमंत्री ने कहा- जब भारत मजबूत था...

बीसीसी न्यूज़24:यूएन में मोदी का भाषण-प्रधानमंत्री ने कहा- जब भारत मजबूत था तो किसी को सताया नहीं; जब मजबूर था, तब किसी पर बोझ नहीं बना

- Advertisement -

बीसीसी न्यूज़24: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तीसरी बार संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की 75वीं बैठक को संबोधित किया। उन्होंने किसी भी देश का नाम लिए बिना कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र है। विश्व की 18% से ज्यादा जनसंख्या, सैकड़ों भाषाओं-बोलियों, अनेकों पंथ, अनेकों विचारधारा वाली है। जो देश वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व सैकड़ों वर्षों तक करता रहा और सैकड़ों साल तक गुलाम रहा। जब हम मजबूत थे तो सताया नहीं, जब मजबूर थे तो बोझ नहीं बने।’

उन्होंने अपनी 22 मिनट की स्पीच में संयुक्त राष्ट्र संघ की अहमियत पर सवाल उठाए। कोविड-19 का जिक्र किया। कहा कि भारत दुनिया को इस महामारी से उबारेगा और वैक्सीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश बनेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का भी जिक्र किया। कहा कि भारत कब तक इंतजार करता रहेगा।

मोदी के भाषण की 9 अहम बातें
1. सुरक्षा परिषद की प्रासंगिकता: मोदी ने कहा- 1945 की दुनिया आज से एकदम अलग थी। साधन, संसाधन सब अलग थे। ऐसे में विश्व कल्याण की भावना के साथ जिस संस्था का गठन हुआ, वो भी उस समय के हिसाब से ही थी। आज हम बिल्कुल अलग दौर में हैं। 21वीं सदी में हमारे वर्तमान की, भविष्य की आवश्यकताएं और चुनौतियां अलग हैं। आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तबकी परिस्थतियों में हुआ था, वह आज भी प्रासंगिक है। सब बदल जाए और हम ना बदलें तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर हो जाती है।

2. यूएन के प्रयासों पर सवाल: 75 साल में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों को मूल्यांकन करें, तो तमाम उपलब्धियां हैं। लेकिन, कई उदाहरण हैं, जो गंभीर आत्ममंथन की आ‌वश्यकता खड़ी करते हैं। कहने को तो तृतीय विश्वयुद्ध नहीं हुआ। पर अनेकों युद्ध हुए, गृह युद्ध हुए, आतंकी हमलों ने दुनिया को थर्रा कर रख दिया, खून की नदियां बहती रहीं। इन हमलों में जो मारे गए, वो हमारे आपकी तरह इंसान ही थे। वो लाखों मासूम बच्चे, जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, घर छोड़ना पड़ा। आज ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे। कोरोना से दुनिया 8-9 महीने से संघर्ष कर रहा है। इस महामारी से निबटने के लिए संयुक्त राष्ट्र का प्रभावशाली नेतृत्व कहां था।

3. यूएन की रिफॉर्म की प्रॉसेस और भारत की भूमिका: संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था, प्रक्रिया में बदलाव आज समय की मांग है। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के रिफॉर्म को लेकर चल रही प्रॉसेस के पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसीजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, विश्व की 18 फीसदी से ज्यादा जनसंख्या, सैकड़ों भाषाओं-बोलियों, अनेकों पंथ, अनेकों विचारधारा वाला देश। जो देश वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व सैकड़ों वर्षों तक करता रहा और सैकड़ों साल तक गुलाम रहा। जब हम मजबूत थे तो सताया नहीं, जब मजबूर थे तो बोझ नहीं बने।

4. भारत संयुक्त राष्ट्र में अपनी भूमिका को देख रहा है: जिन आदर्शों के साथ संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ, उससे भारत की दार्शनिक सोच बहुत मिलती है। इसी हॉल में ये शब्द अनेकों बार गूंजा है कि वसुधैव कुटुंबकम। हम पूरे विश्व को परिवार मानते हैं। ये हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। भारत ने हमेशा विश्वकल्याण को ही प्राथमिकता दी है। हमने शांति की स्थापना के लिए 50 पीस कीपिंग मिशन में अपने जांबाज भेजे। हमने शांति की स्थापना में अपने सबसे ज्यादा वीर सैनिकों को खोया है। आज हर भारतवासी संयुक्त राष्ट्र में अपने योगदान, भूमिका को देख रहा है।

5. भारत अनुभवों को साझा करने में पीछे नहीं रहता: भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है ना कि अपने निहित स्वार्थों को बारे में। भारत की नीतियां हमेशा इसी दर्शन से प्रेरित रही हैं। नेबरहुड फर्स्ट से लेकर एक्ट ईस्ट पॉलिसी तक, इंडो-पैसेफिक के प्रति हमारे विचार में इस दर्शन की झलक दिखाई देती है। भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वो किसी तीसरे के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती है। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते हैं।

6. महामारी के मुश्किल समय में सबका सहयोग किया: महामारी के मुश्किल समय में भी भारत की फार्मा इंडस्ट्री ने 150 देशों को दवाइयां भेजी हैं। आज मैं आज वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं कि भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और डिलिवरी की क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के काम आएगी। हम भारत में और अपने पड़ोस में फेज थ्री क्लीनिकल ट्रायल पर बढ़ रहे हैं। वैक्सीन की डिलिवरी के लिए कोल्ड चेन और स्टोरेज की क्षमता बढ़ाने में भारत सभी की मदद करेगा।

7. स्थायी सदस्य के तौर पर जिम्मेदारी निभाएगा भारत: अगले साल जनवरी से भारत सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए इस्तेमाल करेंगे। हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज हमेशा शांति सुरक्षा और समृद्धि के लिए उठेगी। भारत की आवाज मानवता, मानवजाति और आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी के खिलाफ रही है।

8. भारत ने अपने नागरिकों के जीवन में बड़ा बदलाव किया: रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म के मंत्र के साथ भारत ने करोड़ों भारतीयों के जीवन में बड़े बदलाव लाने का काम किया है। ये अनुभव विश्व के बड़े देशों के लिए भी उपयोगी हैं। 4-5 साल में 400 मिलियन से ज्यादा लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना, सिर्फ 4-5 साल में 600 मिलियन लोगों को खुले में शौच से मुक्त करना, 2-3 साल में 500 मिलियन से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज से जोड़ना आसान नहीं था, पर हमने कर के दिखाया।

9. सब बदले, हम न बदलें तो बदलाव की ताकत कमजोर होती है: 1945 की दुनिया आज से एकदम अलग थी। साधन, संसाधन सब अलग था। ऐसे में विश्व कल्याण की भावना के साथ जिस संस्था का गठन हुआ, वो भी उस समय के हिसाब से ही थी। आज हम बिल्कुल अलग दौर में हैं। 21वीं सदी में हमारे वर्तमान की, भविष्य की आवश्यकताएं और चुनौतियां अलग हैं। आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, वह आज भी प्रासंगिक है। सब बदल जाए और हम ना बदलें तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर हो जाती है।

इमरान ने भारत पर कई आरोप लगाए
यूएनजीए में शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की स्पीच हुई थी। इस दौरान उन्होंने भारत की जमकर आलोचना ही। आरएसएस पर आरोप लगाया कि वह भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में जुटा है। यह भी आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया गया, 2002 के गुजरात दंगों में मुस्लिमों को मारा गया। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को भी उन्होंने गलत बताया। जिस वक्त इमरान बोल रहे थे उस समय यूएन के असेंबली हॉल में मौजूद भारतीय विदेश सेवा के 2010 बैच के अफसर मिजितो विनितो उठकर बाहर चले गए। 

RO NO. Samvad 12338/11
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Related News

Most Popular