- 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले बस्तर के करीब आधे हिस्से पर इस समय नक्सलियों का कब्जा है
- बस्तर के 7 जिलों में केंद्रीय और राज्य बल के करीब 1 लाख जवान तैनात हैं
छत्तीसगढ़ में 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले बस्तर के करीब आधे हिस्से पर इस समय नक्सलियों का कब्जा है। हालात तो यह है कि अब नक्सलियों का प्रभाव कवर्धा, राजनांदगांव, धमतरी जैसे जिलों में भी बढ़ रहा है। यहां नक्सलियों की 5 जोनल कमेटियों और 9 एरिया कमेटियों सक्रिय हैं जो जनताना सरकार यानी जनता की सरकार चलाने का दावा करती हैं। नक्सली तमिलनाडु से असलहा-बारूद मंगवाते हैं। नक्सलियों के टारगेट पर यहां तैनात डिस्ट्रिक्ट रिजर्व ग्रुप (DRG) के जवान रहते हैं, क्योंकि इसमें स्थानीय युवाओं की भर्ती होती है जो पूरे जंगल से वाकिफ होते हैं।
गांव से मिलती रही DRG टीम की हर लोकेशन की जानकारी
पिछले कई सालों में यहां केंद्रीय व राज्य सुरक्षा बलों के करीब एक लाख जवानों की तैनाती और फोर्स के 100 से अधिक कैंप खुलने के बावजूद नक्सलियों पर नकेल नहीं लग पाई है। यहां करीब हर रोज नक्सली हमले हो रहे हैं। गुरुवार को 15 वाहनों को आग के हवाले करने के बाद शुक्रवार को भी तीन IED ब्लास्ट किए गए। 4 दिन पहले 23 मार्च को ब्लास्ट में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व ग्रुप के 5 जवान शहीद हुए और 8 गंभीर रूप से घायल हुए। इस ब्लास्ट में विस्फोट के लिए 40 किलो बारूद का प्रयोग किया गया।
जानकार कहते हैं कि 40 किलो विस्फोटक इस्तेमाल करने में बहुत प्लानिंग, समय लगता है। लिहाजा नक्सलियों ने कई दिन लगाकर यहां विस्फोटक लगाया है। इसी तरह ITBP की दो टीमें इस ब्लास्ट से कुछ समय पहले इस पुल से गुजरी थीं, लेकिन उन्हें सर्चिंग के बावजूद विस्फोटक का पता नहीं चला। DG नक्सल आपरेशन अशोक जुनेजा ने भी इस बात पर आश्चर्य जताया था और ITBP के IG से बात की। नक्सलियों को यह जानकारी भी थी कि DRG की टीम किस समय कोड़ेनार के पुल से गुजरेगी। यह जानकारी और फोर्स की लाइव लोकेशन ग्रामीणों से ही नक्सलियों को मिल रही थी। इससे साबित हो गया कि गांवों में चलने वाली नक्सलियों की जनताना सरकार अभी बरकरार है।
इसलिए DRG पर ही निशाना साध रहे नक्सली
बस्तर के सातों जिलों में इस समय CRPF, BSF, ITBP, CISF जैसे केंद्रीय बल और STF, CAF, DRG और राज्य पुलिस के करीब 1 लाख जवान तैनात हैं। इन सभी में DRG मतलब डिस्ट्रिक्ट रिजर्व ग्रुप इस समय नक्सलियों के लिए बड़ा खतरा है। दरअसल, इसमें बस्तर के जिलों के युवाओं को ही भर्ती किया जाता है।
जिलों के युवक होने के कारण वे गांव, जंगलों के रास्तों, परिवारों से परिचित होते हैं। उन्हें पूरी जानकारी होती है और वे नक्सलियों के ठिकानों तक पहुंच जाते हैं। इसी खतरे के कारण पिछले कुछ सालों से नक्सली डीआरजी पर बड़ा हमला करते रहे हैं। पिछले साल 21 मार्च को भी सर्चिंग से लौट रही DRG टीम हमला कर नक्सलियों ने 17 जवानों को मार दिया था।
तमिलनाडु से मिल रहे हैं हथियार और विस्फोटक
बस्तर के माओवादियों को नेपाल से भी हथियार और बारूद मिलते रहे हैं, लेकिन इस समय इनका सबसे बड़ा बाजार तमिलनाडु हो गया है। जानकारों के अनुसार, इस समय नक्सलियों के पास तमिलनाडु से IED बनाने का सामान, बारूद, डेटोनेटर आ रहे हैं। इसे तमिलनाडु से पहले आंध्र प्रदेश से लाया जाता है फिर वहां से सरहदी जंगलों के जरिए बस्तर पहुंचा दिया जाता है। आंध्र प्रदेश में ही बस्तर में सक्रिय माओवादियों की सेंट्रल कमेटी है। इसमें कुछ बड़े राजनेता भी हैं, लिहाजा आंध्र प्रदेश से विस्फोटकों और हथियारों को यहां आसानी से भेजा जा रहा है।
नक्सलियों के मजबूत होने का मुख्य कारण जनताना सरकार
नक्सली बस्तर में अपना राज मानते हैं और उनकी मांग भी यही है कि उनकी अलग सरकार हो। इसी सिद्धांत के चलते वे यहां के गांवों में जनताना सरकार चलाते हैं। इसके तहत गांवों की व्यवस्था, तालाब गहरीकरण, समतलीकरण, स्कूलों का संचालन सभी नक्सलियों द्वारा चुने गए लोग करते हैं। नक्सलियों के कमांडर, डिप्टी कमांडर गांव के ही लोगों की टोली बनाकर उन्हें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य बनाते हैं। यही लोग गांव के विवादों का निपटारा भी करते हैं। बस्तर के तकरीबन आधे गांवों में ऐसी ही जनताना सरकार चलती है। ये लोग ही नक्सलियों के लिए सूचनातंत्र, कैरियर और स्लीपर सेल का काम करते हैं।
राजनांदगांव, धमतरी, कवर्धा जैसे कई जिले भी अब नक्सल चपेट में
एक ओर सरकार बस्तर के घने जंगलों में नक्सलियों को रोकने में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, वहीं दूसरी तरफ नक्सली राजनांदगांव, बलरामपुर, कवर्धा और राजधानी से लगे हुए धमतरी जिले तक में अपना नेटवर्क बना रहे हैं। पिछले एक साल में इन सभी जिलों में वारदातें की हैं। अभी जनवरी में ही राजनांदगांव के मानपुर इलाके में नक्सलियों ने पांच ग्रामीणों को पुलिस का मुखबिर बताकर मार दिया। धमतरी जिले में पिछले 9 महीने में नक्सलियों ने 4 ग्रामीणों की हत्या कर दी है। कवर्धा में नक्सलियों ने MMC जोन यानी मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ जोन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। सरगुजा में भी नक्सलियों की आवाजाही तेज हो गई है।