Wednesday, May 1, 2024
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छत्तीसगढ़- आपसी विवाद में उलझी भाजपा: एक साल में बीजेपी की निचले स्तर तक की टीम नहीं बनी, युवा मोर्चा जैसे महत्वपूर्ण विंग में आधा दर्जन जिलों की कार्यकारिणी घोषित नहीं हुई…स्थानीय नेता ही विरोध में

रायपुर: छत्तीसगढ़ में भाजपा एक साल में निचले स्तर तक टीम भी नहीं बना सकी। आलम यह है कि युवा मोर्चा जैसे महत्वपूर्ण विंग में अभी भी आधा दर्जन जिलों की कार्यकारिणी घोषित नहीं हुई है। अन्य मोर्चा प्रकोष्ठ में भी मंडल स्तर तक की कार्यकारिणी नहीं बन पाई है। इसके पिछले स्थानीय नेताओं के बीच आपसी विवाद है। इसे लेकर पार्टी में ही प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी की नाराजगी की चर्चा है। तीन महीने से प्रदेश का दौरा नहीं होने के कारण भी यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनके दिए टास्क को पूरा नहीं करने की वजह से वे नाराज हैं।

पिछले साल जून में विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान सौंपी गई थी। इसके बाद चार माह में साय अपनी कार्यकारिणी घोषित कर पाए। नवंबर में भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव डी. पुरंदेश्वरी छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया। पहले दौरे से ही पुरंदेश्वरी ने समय-सीमा पर काम करने के लिए जोर दिया, लेकिन अप्रैल में उनकी अंतिम डेडलाइन के बावजूद मंडल स्तर तो दूर जिले स्तर की कार्यकारिणी नहीं बनी है।

युवा मोर्चा में अभी भी रायपुर के साथ-साथ दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, कवर्धा और कोंडागांव की कार्यकारिणी बाकी है। रायगढ़ में महामंत्री और उपाध्यक्ष के बिना टीम बनाई गई है, जबकि बलरामपुर में जिलाध्यक्ष तो दरकिनार कर महामंत्री द्वारा कार्यकारिणी की घोषणा करने के विवाद के बाद अध्यक्ष-महामंत्री की नियुक्ति स्थगित कर दी गई थी, बाद में फिर से दोनों को ही जिम्मेदारी दी गई और अध्यक्ष की ओर से नई कार्यकारिणी बनाई गई।

प्रभारियों की बातें भी अनसुनी
छत्तीसगढ़ में डी. पुरंदेश्वरी के साथ नितिन नवीन को सह प्रभारी बनाया गया। इसके बाद राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश को भी छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई। शिवप्रकाश भी 15 साल की सत्ता के प्रभाव से बाहर आकर विपक्ष के रूप में काम शुरू करने की नसीहत दे चुके हैं, लेकिन अब तक पार्टी के नेताओं की आपसी खींचतान का असर कार्यकारिणी पर पड़ रहा है।

इससे पहले युवा मोर्चा की कार्यकारिणी में दूसरी पार्टी में सक्रिय रहे सदस्य को शामिल करने का विवाद सामने आ चुका है, जबकि रायपुर में व्यापारियों से जुड़े प्रकोष्ठ में चेंबर ऑफ कामर्स के बड़ी संख्या में सदस्यों को शामिल करने से नाराजगी सामने आ रही है। कार्यकर्ता इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि जो पार्टी में सक्रिय थे, उनकी बजाय बाहरी लोगों को शामिल किया गया है।

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