Tuesday, May 21, 2024
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छत्तीसगढ़ ब्रेकिंग: शिक्षकों की श्मशान घाटों में लाशों को पहुंचाने की लगी ड्यूटी…साथ ही अंतिम संस्कार के लिए कार्डिनेशन का भी करेंगे काम..आदेश जारी….शिक्षकों में मचा हड़कंप

रायपुर 16 अप्रैल 2021। शिक्षकों से ये कोरोना जो ना करा लें….कांटेक्ट ट्रेसिंग, वैक्सीनेशन, कटेंनमेंट जोन में ड्यूटी, स्टेट बोर्डर पर तैनाती जैसे काम तो चलो किसी तरह ठीक भी था, लेकिन अब तो शिक्षकों की ड्यूटी श्मशान घाटों में पहुंचवाने की लगायी जा रही है। ये आदेश प्रदेश स्तर पर तो जारी नहीं किया गया है, लेकिन शिक्षक बिरादरी में अटकलें लगने लगी है कि प्रदेश स्तर और इस तरह का आदेश जारी हो सकता है।

इस तरह का पहला आदेश प्रदेश के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ से जारी हुआ है। SDM कार्यालय की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक रोटेशन पालिसी के तहत शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। जो कोविड सेंटर में मृत मरीजों को श्मशान घाट तक पहुंचवाने का काम करेंगे और परिजनों के साथ कॉर्डिनेट करेंगे। वो कंट्रोल रूम से पूरा कॉर्डिनेशन का काम करेंगे।

आपको बता दें कि इससे पहले सूरत नगर निगम ने शिक्षकों की श्मशान घाट में ड्यूटी लगाने का आदेश दिया था। शिक्षकों की 24 घंटे तीन शिफ्ट में श्मशान घाट में ड्यूटी लगायी गयी थी, जो ना सिर्फ शवों को गिनने, बल्कि उनकी दस्तावेजी खानापूर्ति पूरी करेंगे, बल्कि उनके अंतिम संस्कार के लिए कार्डिनेशन का भी काम कर रहे हैं।

इधर डोंगरगढ़ से जारी आदेश जे बाद शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। जिन टीचरों की ड्यूटी अभी तक जनगणना में लगाई जाती थी. अब उनकी ड्यूटी शवो के कॉर्डिनेशन में लगाये जाने की खबर के बाद कई तरह की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है।निर्देश के अनुसार, टीचर शिफ्ट के हिसाब से 24 घंटे ड्यूटी करेंगे और शवों की जानकारी नगर निगम के रजिस्टर में दर्ज करेंगे.

बता दें कि, कोरोना पॉजिटिव केस की मौत होने पर  शव उसके परिवार वालों को नहीं दिया जा रहा है. शवों को सीधे श्मशान घाट भेजा जा रहा है. शवों की संख्या ज्यादा होने की वजह से शवों की अदला-बदली की गलतफहमी ना हो इसलिए टीचरों की ड्यूटी लगाई जा रही है. टीचरों को ही एंबुलेंस के कर्मचारियों और शव के परिवार वालों के बीच कोऑर्डिनेशन करना होगा.

शिक्षकों में इस आदेश को लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी आ रही है। शिक्षकों का कहना है कि उन्हें कोरोना ड्यूटी से कोई एतराज नहीं है, लेकिन उन्हें सुविधा तो मिले, वो कोरोना के फ्रंट लाइन वर्कर की तरह काम कर रहे, लेकिन कोई सुविधा नहीं है, यहाँ तक उन्हें PPE किट तक नहीं मिलता। 50 लाख का बीमा तक नहीं कराया गया है।

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