रायपुर/ इजराइली जासूसी साफ्टवेयर पेगासस के जरिए देश में विपक्षी नेताओं, मंत्रियाें, अफसरों, जजों और पत्रकारों-सामाजिक कार्यकर्ताओं की कथित जासूसी कराने के मामले में विवाद जारी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2019 में ही इसी तरह के खुलासे के बाद जांच के लिए एक समिति बनाई थी। यह समिति अभी तक कुछ खास नहीं कर पाई है। अब इसे फिर जगाया जा रहा है। इस बीच, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को बताना चाहिए कि उनका किससे समझौता था।
रायपुर हेलीपैड पर प्रेस से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, हमें सूचना मिली थी कि पेगासस कंपनी के अधिकारी छत्तीसगढ़ आए थे। उन्होंने कुछ लोगों से संपर्क किया था। इसके हमने एक जांच कमेटी बनाई है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह बताएं कि वह किससे मिले और किस तरह का समझौता हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा, एनएसओ ग्रुप की ओर से कहा गया कि उनकी डील सिर्फ सरकारों के साथ है। इस मामले में, भारत सरकार को यह बताना चाहिए कि उन्होंने सौदा किया है या नहीं। वे विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और यहां तक कि मंत्रियों की भी जासूसी कर रहे थे। इसका उद्देश्य क्या था, इसकी जांच होनी चाहिए।
पेगासस के वरिष्ठ अफसर 2017 में आए थे रायपुर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिस जांच कमेटी की बात कर रहे थे, उसका गठन 10 नवंबर 2019 को हुआ था। इसको गृह सचिव सुब्रत साहू की अध्यक्षता में गठित किया गया था। इसमें पुलिस महानिदेशक, इंटेलिजेंस के आईजी और जन संपर्क विभाग के संचालक को रखा गया था। पिछले 20 महीनों में इस कमेटी ने क्या किया अभी तक सामने नहीं आया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, कमेटी की अब तक की जांच में यह तथ्य पता चला है कि 2017 में पेगासस के अधिकारी रायपुर आए थे। उन्होंने यहां प्रेजेंटेशन दिया था। उनको किसने बुलाया था और उनके बीच क्या समझौता हुआ, इसका पता नहीं चला है।
कांग्रेस बोली, जला दी होंगी फाइलें
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि सरकार बदलने के बाद अधिकारियों ने ट्रकों से कागजात और फाइलों को पुराने पुलिस मुख्यालय के पीछे जलाया था। आशंका है कि उसमें पेगासस के साथ हुए समझौतों के भी दस्तावेज हाें। इसलिए हम लोग उस समय जिम्मेदार पदों पर रहे व्यक्तियों के ईमेल की भी जांच की मांग कर रहे हैं।
2019 में खुला था मामला
2019 में अक्टूबर-नवम्बर के दौरान अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित संघीय अदालत में एक मामले की सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ था। इसमें सैकड़ों लोगों का वॉट्सऐप हैक कर जासूसी की गई है। इस जासूसी कांड से प्रभावित लोगों की सूची में छत्तीसगढ़ के भी 5 सामाजिक कार्यकर्ता थे। इनमें बेला भाटिया, शालिनी गेरा, आलोक शुक्ला, शुभ्रांशु चौधरी और डिग्री प्रसाद चौहान का नाम था। मामला सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने एक समिति बनाकर जांच का जिम्मा सौंपा था।