बिलासपुर/ कोरबा में 8 महीने पहले नाबालिग लड़की को अगवा करके उससे रेप के आरोपी को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। महत्वपूर्ण बात यह रही कि कोर्ट ने पीड़ित के कहने पर ही आरोपी को जमानत दी। उसने कहा- हम एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और मैं अपनी मर्जी से इनके साथ गई थी। इस दौरान किशोरी का पिता उसे रोकता रहा। वहीं, दस्तावेजों की खामियां और पुलिस की विवेचना में चूक भी जमानत का आधार बनीं।
27 जनवरी 2021 को कोरबा के बालको क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति ने गांव के ही युवक सैफ आलम पर उसके पुत्री को अगवा करके रेप करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने FIR दर्ज करके करीब एक महीने बाद आरोपी और लड़की को बरामद कर लिया था। सैफ को जेल भेज दिया तथा लड़की को परिवार के सुपुर्द कर दिया था। जिला अदालत से जमानत खारिज होने के बाद आरोपी के वकील समीर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई। नए नियमों के तहत पॉक्सो में दर्ज मामले में नाबालिग को भी बुलाया गया। उसने बयान दिया कि वह मर्जी से युवक के साथ गई थी। उन्हें जमानत दे दी जाए। दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं और शादी कर साथ रहना चाहते हैं। एक माह तक पटना और दिल्ली में वे रहे। लड़की का पिता ने जोर से चिल्लाकर कहता रहा कि साहब जमानत मत दीजिएगा, लेकिन कोर्ट आरोपी के वकील ने कहा- लड़की बालिग है। उसके उम्र के दस्तावेज गलत पेश किए गए हैं।
सरपंच द्वारा जारी किए गए जन्म प्रमाण पत्र को नहीं माना वैध
वकील समीर सिंह ने बताया कि लड़की के जन्म प्रमाणपत्र के रूप में सिर्फ सरपंच की ओर से दिया गया दस्तावेज था। कोर्ट ने उसे वैधानिक नहीं माना। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आरसीएस सामंत की बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आरोपी को जमानत दे दी। अधिवक्ता समीर सिंह ने बताया कि संभवत: प्रदेश में पहली बार है, जब आरोपी को बचाने के लिए पीड़ित ने साथ दिया है।