Tuesday, May 7, 2024
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वोरा युग का अंत: राजकीय सम्मान के साथ होगा मोतीलाल वोरा का अंतिम संस्कार, प्रदेश में तीन दिन का राजकीय अवकाश…

बाबू जी.., छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस में सभी मोतीलाल वोरा को बाबू जी कहकर संबोधित किया करते थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- हमनें अभिभावक खो दिया।

  • राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष ने जताया शोक
  • कांग्रेस ने रद्द किए अपने सभी कार्यक्रम, दुर्ग में जुटे समर्थक

संयुक्त मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा के निधन के साथ छत्तीसगढ़ की राजनीति के एक युग का अंत हो गया। एक दिन पहले ही उन्होंने अपना 93वां जन्मदिन मनाया था। आज दिल्ली स्थित आवास पर मोतीलाल वोरा की पार्थिव देह के अंतिम दर्शन के लिए कांग्रेस और दूसरे राजनीतिक दलों के दिग्गज पहुंच रहे हैं। मंगलवार को उनका शरीर रायपुर और दुर्ग ले आया जाएगा।

राज्य सरकार ने उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने की घोषणा की है। स्थानीय प्रशासन इसकी तैयारियों में लग गया है। अंतिम संस्कार में सरकार और विपक्ष के नेताओं के अलावा बड़ी संख्या में कांग्रेस जनों और वोरा समर्थकों के शामिल होने की संभावना को देखते हुए प्रशासन अपनी तैयारी कर रहा है। वरिष्ठतम नेता के सम्मान में राज्य सरकार ने तीन दिनों के राजकीय अवकाश की घोषणा की है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार शाम को आदेश जारी कर दिए। इसके मुताबिक 23 दिसम्बर तक सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज झुका रहेगा। सरकारी स्तर पर कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होगा।

कोरोना को मात देकर उठे थे
उम्र के आखिरी पड़ाव में भी सक्रिय राजनीति में रहे मोतीलाल वोरा अक्टूबर महीने में कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे। उस समय भी उनके निधन की अफवाह उड़ी थी। बाद में उन्होंने खुद सोशल मीडिया के जरिए स्वास्थ्य की जानकारी देनी पड़ी। कोरोना के बाद की स्वास्थ्य जटिलताओं की वजह से ही रविवार रात को उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था, जहां आज उनका निधन हो गया।

राज्यपाल ने दी श्रद्धांजलि
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसूईया उइके ने कहा, मृदुभाषी, सरल, सौम्य व्यक्तित्व के धनी मोतीलाल वोरा ने सार्वजनिक जीवन में उच्च मानदंड स्थापित किए। वे अंतिम समय तक समाज के लिए काम करते रहे। उन्होंने कहा, उनके निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है।

विधानसभा अध्यक्ष बोले, मैंने अभिभावक खाे दिया
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा, आज छत्तीसगढ़ ने एक अभिभावक खो दिया है। वे मेरे पिता तुल्य थे, मैं सदैव उन्हें बाबू जी कहकर संबोधित किया करता था। लोकसभा से लेकर समूचे राजनीतिक जीवन में उनकी दी हुई शिक्षा प्रेरणादायी है। उनका यूं ही चले जाना प्रदेश ही नहीं देश की क्षति है और मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।

मुख्यमंत्री बोले, राजनीतिक ककहरा सिखाने वालों में थे बाबूजी
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ने कहा, बाबूजी मोतीलाल वोरा जी का जाना न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे कांग्रेस परिवार के लिए एक अभिभावक के चले जाने जैसा है। जमीनी स्तर से राजनीति शुरु करके राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई। आजीवन एक समर्पित कांग्रेसी बने रहे। उनकी जगह कभी नहीं भरी जा सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, मैंने अपनी राजनीति का ककहरा जिन लोगों से सीखा, उनमें बाबूजी एक थे। अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ तक वे हम कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए एक पथ प्रदर्शक थे। मुख्यमंत्री ने कहा, अभी कल ही बाबूजी का 93 वां जन्मदिन मनाया गया। किसी ने कल्पना नहीं की थी कि आज ऐसी दुखद खबर सुनने को मिलेगी।

ऐसा रहा मोतीलाल वोरा का सफर
राजस्थान के नागौर में 20 दिसम्बर 1928 को पैदा हुए मोतीलाल वोरा छत्तीसगढ़ की राजनीतिक के अजातशत्रु रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी।
वर्ष 1968 में वे दुर्ग नगर निगम में पार्षद निर्वाचित हुए। वर्ष 1972 में वे पहली बार कांग्रेस से विधायक बने। इसके बाद 1977 और 1980 में भी विधायक निर्वाचित हुए। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया। वे दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उत्तरप्रदेश के राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाली।

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