Friday, March 29, 2024
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सूरजपुर में ड्रग्स का बड़ा कारोबार: ड्रग्स एडिक्ट नशे के लिए हर दिन खर्च करते है 300 से 400 रुपए..350 नशेड़ियो की हुई पहचान…

जिले में 350 ड्रग एडिक्ट रजिस्टर्ड, इनके इलाज लिए बिश्रामपुर में अलग से यूनिट

सूरजपुर: जिला मुख्यालय व आसपास के गांवों में 350 ड्रग्स एडिक्ट हैं जो इंजेक्शन के माध्यम से ड्रग्स ले रहे हैं। इसमें करीब 100 ऐसे हैं जिनके परिवार के मुखिया एसईसीएल में पोस्टेड हैं। इसका खुलासा यहां एड्स को लेकर काम कर रहे एनजीओ के सर्वे और ड्रग्स लेने वालों की होने वाली काउंसलिंग से हुआ है। अब तक जितने ड्रग्स एडिक्ट के बारे में पता चला है सभी की शादी परिजनों ने उनके इस गलत आदत को छिपाकर कर दी और इसकी वजह से परिजन और उनकी पत्नियां परेशान हैं। हद तो यह है कि कई ने बड़े अरमान से अपनी बेटियों की शादी की और बाद में ड्रग्स लेने के बारे में पता चला। ये ड्रग्स के लिए अपनी पत्नियों के जेवर तक बेच दिए हैं। इसके बाद भी पुलिस और दवा दुकानों को लाइसेंस जारी करने वाले अधिकारी अवैध ड्रग्स के धंधे को बंद नहीं करा सके हैं। पड़ताल में खुलासा हुआ है कि 2010 में बैंगलोर की एक संस्था से सरकार ने इंजेक्शन के माध्यम से ड्रग्स लेने वालों की संख्या का पता लगाने का जिम्मा दिया था। जिसमें पता चला था कि तब 70 लोग असुरक्षित तरीके से सीरिंज से ड्रग्स ले रहे हैं। इससे एड्स का खतरा है। इसके बाद राज्य सरकार ने स्थानीय एनजीओ को इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने का काम दिया।

सूरजपुर-बिश्रामपुर के आसपास हैं ज्यादा नशेड़ी
यहां दस सालों से इसके लिए काम कर रही संस्था पथ प्रदर्शक के डायरेक्टर का कहना है कि अब पंजीकृत ड्रग्स लेने वालों की संख्या 350 को पार कर गया है, जबकि ये आंकड़ा सूरजपुर, बिश्रामपुर इलाके के आसपास के गांवों तक का ही है। उन्होंने बताया कि एक नशेड़ी हर रोज अपने नशे के लिए 300 से 400 रुपए खर्च करता है। इस तरह पांच सौ ड्रग्स लेने वाले हर रोज डेढ़ लाख तो माह में करीब 45 लाख तक ड्रग्स में खर्च कर रहे हैं। इस तरह साल में कम से कम 5.4 करोड़ के ड्रग्स का अवैध कारोबार हो रहा है।

ड्रग एडिक्ट को अस्पताल में रोज खिलाते हैं टेबलेट
एनजीओ के अनुसार उनके द्वारा पंजीकृत ड्रग एडिक्ट की हर तीन माह में स्वास्थ्य जांच की जाती है और परेशानी होने पर अस्पताल भेजकर इलाज कराया जाता है। इनके कई फीमेल पार्टनर भी होते हैं। ऐसे में इन्हें सुरक्षित यौन सम्बन्ध के बारे में जागरूक किया जाता है। वहीं जो इस अंधेरे से बाहर निकलना चाहते हैं उन्हें टेबलेट दी जाती है और यह टेबलेट उन्हें अस्पताल में ही हर दिन सामने बैठाकर रोज खिलाते है। नशेड़ियों की संख्या देख बिश्रामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इसके लिए एक अलग यूनिट है।

दोगुने रेट पर बेचते हैं ड्रग्स फिर भी नहीं होती कार्रवाई
सूरजपुर जिले में ड्रग्स ट्रेन के रास्ते अनूपपुर और मध्यप्रदेश के दूसरे शहरों से आता है। वहीं इसमें राजनीतिक और पुलिस कर्मियों के संरक्षण के कारण इस अवैध कारोबार को बंद नहीं कराया जा सका है। इसके कारण बड़ी सुलभता से यहां ड्रग्स के पैडलर अपने कारोबार को अंजाम दे रहे हैं और ड्रग्स लेने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। ड्रग्स सीधे दोगुने रेट में बेचते हैं। ड्रग्स डिपार्टमेंट की ओर से कार्रवाई नहीं होने से कारोबार जमकर चल रहा है।

ड्रग लेने वालों का आंकड़ा 500 के पार: अगर पूरे जिले में इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वालों का सर्वे हो तो यह आंकड़ा 500 को पार कर सकता है। एनजीओ के अनुसार 350 वे लोग हैं, जिनकी जानकारी हैं, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं, जिनकी जानकारी न तो किसी संस्था को है और न ही स्वास्थ्य विभाग को है। इस कारण ऐसे लोगों का इलाज भी संभव नहीं हो पा रहा है और खतरा बढ़ता जा रहा है।

1. ड्रग्स के लिए चोरी, पिता की मौत के बाद जमीन तक बेच दी
एसईसीएल कर्मी ने अपने ड्रग्स के आदि हो चुके बेटे की शादी की। उन्होंने भी ड्रग्स लेने की जानकारी लड़की पक्ष से छिपाई। शादी के बाद अब लड़की मानसिक रूप से परेशान है तो परिवार में मारपीट की घटना तक हो रही है। वहीं लड़की वालों का कहना है कि उन्होंने लड़के के पिता की नौकरी देख बेटी की शादी की। युवक चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देकर अपने लिए ड्रग्स का जुगाड़ करता है। उसने पिता की मौत के बाद जमीन तक बेच दी।

2. घर से बार-बार जेवर पार हुए तो पत्नी को नशे का पता चला
सूरजपुर में एक ड्रग्स एडिक्ट की शादी मनेंद्रगढ़ की लड़की से हुई। शादी के बाद जब महिला को मिले जेवर घर से पार होने लगे तो लड़के के नशेड़ी होने का पता चला। विवाद बढ़ने पर किसी तरह से दोनों परिवारों के बीच समझौता हुआ। लड़की के परिजनों का आरोप था कि लड़का ड्रग्स लेता है, यह जानकारी उनसे शादी के दौरान क्यों छिपाई गई। ड्रगिस्ट की वजह से पूरा परिवार बर्बाद हो गया है।

कम अमले की वजह से नहीं कर पाते कार्रवाई
“हमारे पास सिर्फ दो ड्रग्स इंस्पेक्टर हैं। अमले की कमी है। इसके कारण ज्यादा कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। एनजीओ के पास ड्रग्स लेने वालों की जानकारी है, तो एनजीओ से संपर्क कर कार्रवाई करेंगे। विभाग ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकता है, जिसमें आरोपियों को जमानत मिल जाती है। पुलिस नारकोटिक एक्ट के तहत कार्रवाई करती है जिसमें जमानत नहीं मिलती।”
-संजय नेताम, सहायक औषधि नियंत्रक, सूरजपुर

एक साल में ड्रग्स के 4 मामलों में की कार्रवाई
“एक साल में ड्रग्स के मामले में चार प्रकरण हमने बनाए है। ड्रग्स सप्लायरों के लोकल कड़ी को हम पकड़ पाते हैं लेकिन गिरोह तक नहीं पहुंच सके हैं। पैडलर जहां से लाते हैं उनके बारे में सही जानकारी नहीं देते हैं। यहां ड्रग्स एमपी, झारखंड सहित यूपी से आ रहा है। पुलिस के साथ मिलकर कार्रवाई करते हैं।”
-अमरेश तिर्की, ड्रग इंस्पेक्टर, सूरजपुर

350 ड्रग एडिक्ट जो सीरिंज से ले रहे इंजेक्शन
“सूरजपुर, बिश्रामपुर इलाके में ड्रग्स लेने वालों का पंजीयन कर काउंसलिंग करते हैं। अभी हमारे पास 350 ऐसे ड्रगिस्ट हैं जो सीरिंज से इंजेक्शन लेते हैं। आपस में ड्रगिस्ट एक ही सीरिंज से इंजेक्ट कर ड्रग्स न लें, इसके लिए हम जागरूक करते हैं। हर तीन माह में इनका स्वास्थ्य जांच के साथ एचआईवी टेस्ट किया जाता है। यह काम सरकारी अस्पताल में कराया जाता है।”
-सुशील सिंह, डायरेक्टर, पथ प्रदर्शक

दो सौ से ज्यादा ने कराया पंजीयन, सौ लाेग आ रहे टेबलेट लेने, ठीक होकर 10 जी रहे सामान्य जीवन
“ड्रग्स एडिक्ट की बढ़ती संख्या को देख बिश्रामपुर अस्पताल में तीन साल पहले उनके काउंसलिंग और इलाज के लिए ओएसटी सेंटर शुरू किया गया, तब तो दो सौ से अधिक ने पंजीयन कराया, लेकिन अभी 100 ही टेबलेट ले रहे हैं। बाकी नहीं आते हैं और बीच में गैप कर देते हैं। अभी तक इलाज के बाद 10 लोग सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। ड्रग्स एडिक्ट की संख्या तो सैकड़ों में है।”
-डॉ प्रशांत सिंह, बीएमओ बिश्रमपुर

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