रायपुर: कलेक्टर गाइडलाइन पर 30 फीसदी की छूट लगातार चौथे साल भी जारी रहेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने इस साल भी कलेक्टर गाइडलाइन पर 30% की छूट देने का मन बना लिया है। इसके लिए अफसरों को जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं।
जमीन की सरकारी कीमत कम होने की वजह से लोगों को तीन साल पुरानी कीमत पर जमीन और मकान खरीदने का मौका इस साल भी मिलता रहेगा। इससे लाखों लोगों को सीधी राहत मिलेगी। कलेक्टर गाइडलाइन में कमी करने के बाद से ही रजिस्ट्री की कमाई में बड़ा उछाल आया है।
इसके बाद ही तय किया गया है कि राजधानी में जमीन का सरकारी यानी कलेक्टर गाइडलाइन रेट इस साल भी नहीं बढ़ेगा। कलेक्टर गाइडलाइन में इस साल यानी 2022 में फरवरी-मार्च में 40 फीसदी की कमी की गई थी। इसके बाद राज्य के सभी जिलों में बंपर रजिस्ट्री हुई।
सभी जिलों ने पुराने लक्ष्य को जनवरी में ही पा लिया इस वजह से फिर से सभी जिलों को नया टारगेट दिया गया। 30 मार्च के पहले ही इस लक्ष्य को भी पूरा कर लिया गया है। रजिस्ट्री से नए टारगेट के अनुसार राज्यभर में 17 हजार करोड़ से ज्यादा के पंजीयन पूरे हो चुके हैं। 31 फीसदी को 40 फीसदी की छूट खत्म हो जाएगी और 1 अप्रैल से फिर से 30 प्रतिशत की छूट जारी रहेगी।
मार्च में 90 करोड़ की रजिस्ट्री 40 फीसदी की छूट की वजह से लोग जमकर रजिस्ट्री करवा रहे हैं। केवल मार्च में ही 90 करोड़ की रजिस्ट्री पूरी हो चुकी है। रायपुर जिले को मिला 575 करोड़ का टारगेट भी पूरा कर लिया गया है। फरवरी से अब तक हर दिन औसतन 3 करोड़ की रजिस्ट्री हो रही है। मार्च में ही सबसे ज्यादा रजिस्ट्री होने की वजह से अभी हर दिन रात 8 बजे तक पंजीयन का काम हो रहा है। हर दिन 300 से ज्यादा अप्वाइंटमेंट जारी किए जा रहे हैं।
गाइडलाइन रेट से 10 लाख की प्राॅपर्टी हुई, तो स्टांप शुल्क में ही 21 हजार का लाभ
- किसी वार्ड की जमीन की खरीदी-बिक्री के बाद उसकी रजिस्ट्री कलेक्टर गाइडलाइन में तय कीमत से होती है। इसे सरकारी रेट भी कहा जाता है। इसी पर स्टांप शुल्क लगता है। जैसे-किसी प्राॅपर्टी का गाइडलाइन रेट 10 लाख रुपए आ रहा है तो इस पर स्टांप शुल्क 60 हजार रुपए होगा। अभी 30% छूट है, इसलिए साढ़े 6 लाख पर स्टांप शुल्क 6% से 39 हजार रुपए होगा, यानी 21 हजार का सीधा लाभ।
- कोई व्यक्ति बाजार दर से जितने कम में प्राॅपर्टी खरीदता है, उसमें हुए फायदे को आयकर विभाग अन्य सोर्स से हुई आय मानकर 30% टैक्स लगाता है। जैसे- प्राॅपर्टी का मूल्य 20 लाख रुपए लेकिन गाइडलाइन रेट 30 लाख आ रहा है, तो 10 लाख पर 30% टैक्स लगेगा। गाइडलाइन रेट कम रहने से प्राॅपर्टी का सरकारी रेट मान लीजिए 24 लाख ही हुआ, तब आयकर बचे हुए 4 लाख रुपए पर ही लगेगा।
रजिस्ट्री के दबाव में सर्वर धीमा
एवरेज से ज्यादा रजिस्ट्री होने की वजह से पंजीयन विभाग का सर्वर लोगों को परेशान करता रहा। कभी इंटरनेट की स्पीड स्लो हो गई तो कभी लिंक ही गायब होता रहा। 40% छूट खत्म होने में एक दिन ही बाकी है, इसलिए लोग बड़ी संख्या में वहां पहुंचे। अफसरों का कहना है कि सर्वर स्लो रहा, लेकिन जितने लोगों को टोकन जारी हुआ, सबकी रजिस्ट्री हो गई।