उत्तरप्रदेश: बदायूं पुलिस ने चूहे को मारने वाले आरोपी के खिलाफ कोर्ट में 30 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। 25 नवंबर 2022 को मनोज ने चूहे को पत्थर से बांधकर नाले में फेंक दिया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी। संभवत: देश का यह पहला मामला है, जिसमें चूहे की मौत पर चार्जशीट दाखिल की गई है।
एनिमल लवर विकेंद्र की शिकायत पर पुलिस ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में FIR दर्ज की थी। पुलिस ने आरोपी मनोज पर धारा-11 (पशु क्रूरता निवारण अधिनियम) और धारा-429 लगाई है। धारा- 429 जानवर की हत्या या अपाहिज करने में लगाई जाती है। इसमें दोषी पाए जाने पर 5 साल की कैद/जुर्माना या दोनों हो सकता है।
चूहे का पोस्टमॉर्टम भी कराया गया था। रिपोर्ट में दम घुटने से चूहे की मौत की बात सामने आई थी। चार्जशीट दाखिल करने वाले दरोगा राजेश यादव ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चाहे जो भी हो, पशु क्रूरता की गई है। इसलिए आरोपी मनोज को दोषी मानकर उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। अब कोर्ट इस मामले में फैसला लेगा।
पहले पढ़िए चूहे की मौत का पूरा मामला क्या था…
यह फोटो मनोज की है। मीडिया ने बात की तो उसने कहा कि उसे चार्जशीट के बारे में जानकारी नहीं है। केस दर्ज होने के बाद थाने से जमानत मिल गई थी। तब से न पुलिस आई और न ही कोई नोटिस मिला है।
चूहे की पूंछ में पत्थर बांधकर नाले में डुबो दिया था
मामला बदायूं के सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला पनवड़िया का है। यहां मनोज परिवार के साथ रहता है। वह मिट्टी के बर्तन बनाता है। 25 नवंबर 2022 को मनोज ने अपने घर में घुसे एक चूहे को पकड़कर उसकी पूंछ में पत्थर बांध दिया और उसको नाले में फेंक दिया।
वहां से गुजर रहे पशु प्रेमी विकेंद्र ने यह सब देखा था। विक्रेंद्र के मुताबिक, उसने मनोज को रोका, लेकिन वह नहीं माना। मनोज के वहां से जाने के बाद विकेंद्र ने नाले से चूहे को बाहर निकाला और उसका वीडियो भी बनाया।
विकेंद्र ने मनोज के खिलाफ शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने मनोज को थाने बुलाया। 7-8 घंटे हिरासत में रखने के बाद उसको छोड़ दिया था। पशु प्रेमी ने बरेली में चूहे की बॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाई। दबाव बनने पर मनोज के खिलाफ पशु क्रूरता का केस 28 नवंबर को दर्ज हुआ। यानी चूहे की हत्या पर FIR में 4 दिन तक मंथन चला। थाने से ही मनोज को जमानत दे दी गई।
चूहे का हुआ था पोस्टमॉर्टम, फेफड़े खराब थे, लिवर में इन्फेक्शन था
यह तस्वीर मृत चूहे की है। बड़े से पत्थर में चूहे की पूंछ बांधकर नाले में फेंका गया था। इससे उसकी मौत हो गई थी।
शिकायतकर्ता विकेंद्र ने चूहे की डेडबॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए पुलिस की मदद से 50 किलोमीटर दूर बरेली भिजवाई थी। पोस्टमॉर्टम का खर्च भी खुद ही उठाया था। बरेली IVIR (इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट) में डॉ. अशोक कुमार और डॉ. पवन कुमार ने चूहे के शव का पोस्टमॉर्टम किया था।
IVIR के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. केपी सिंह ने बताया था- चूहे की पूंछ में रस्सी बांधकर नाले में डुबोकर मारा गया था। जांच में पाया कि चूहे के फेफड़े खराब थे। फेफड़ों में सूजन थी। लिवर में भी इन्फेक्शन था। फेफड़ों में नाली के पानी जैसे अवशेष नहीं मिले।
चूहे के शव की माइक्रोस्कोपिक जांच की। इसके आधार पर डॉक्टर इस नतीजे पर पहुंचे कि चूहे की मौत दम घुटने (Dry drowning) से हुई है। फेफड़े की नलियां फटी हुई थीं, जो मरने से पहले जोर-जोर से सांस लेने के कारण फटी होंगी। इस पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया गया था कि चूहे के मर्डर की बात गलत है।
ये एनिमल लवर विकेंद्र हैं। इन्होंने ही मनोज को चूहे को नाले में फेंकते हुए पकड़ा था। इसके बाद मनोज के खिलाफ तहरीर दी थी।
मामला सामने आने के बाद मनोज से मीडिया ने बातचीत की थी। पढ़िए…तब उन्होंने क्या कहा था
मनोज ने कहा था- बकरा और मुर्गा काटने पर भी केस हो
मीडिया की टीम ने उस वक्त (30 नवंबर 2022) आरोपी मनोज से बात की। मनोज ने कहा था- मैंने कोई क्राइम नहीं किया है और अगर किया भी है तो मैं उसके लिए माफी मांग रहा हूं। लेकिन मुझे एक बात बता दी जाए जो लोग मुर्गा काटते हैं, बकरा काटते हैं, गाय काटते हैं उन्हें सजा कब मिलेगी…और मेरे घर में चूहे ने जो नुकसान किया है उसकी भरपाई कौन करेगा। इस समाज में बस एक गरीब को फंसाया जा सकता है।
मनोज ने कहा था- थाने के चक्कर काट रहा है। आठ घंटे तक हिरासत में रखा गया। हम लोग रातभर जागते हैं। अपने बर्तनों की सुरक्षा करते हैं, सूखने पर उसे आग में पकाते हैं। थोड़ी देर अगर गलती से आंख लग जाए तो चूहों का आतंक शुरू हो जाता है। वो हमारे गीले बर्तन बर्बाद कर देते हैं। एक बार बर्तन थोड़ा सूख जाए तो उसकी मिट्टी का कहीं और प्रयोग भी नहीं कर सकते हैं। ऐसे में हमारा बहुत नुकसान होता है।
यह फोटो 29 नवंबर 2022 का है। जब मनोज के घर पुलिस पहुंची थी। पुलिस ने मनोज की मां से भी पूछताछ की थी।
मनोज आगे कहते हैं- हमारा घर नाले के पास बना है। थोड़ी दूरी पर बने घरों में जहां भी चूहे पकड़े जाते हैं लोग यहीं छोड़ जाते हैं। मेरी छोटी बेटी का चूहे हाथ चबा गए थे, उसकी पूरी खाल गायब हो गई थी। वो बहुत छोटी थी इसलिए भाग भी नहीं पाई थी। मेरी बेटी को कुछ हो जाता तब मैं क्या करता। तब किसी को मेरी बेटी पर तरस नहीं आया था। मैं तो माफी भी मांग रहा हूं लेकिन अब विकेंद्र को चिकन की सारी दुकानें बंद करवानी पड़ेंगी। तभी वो सच्चे पशु प्रेमी साबित होंगे।
बाजार में चूहा मारने की दवा बिकती है, केस हो
मनोज यहीं नहीं रुके। वह कहते हैं कि चूहों को मारने के लिए तो बाजार में दवा तक बिकती है फिर ये गुनाह कैसे हो गया। फिर तो उस विज्ञापन बनाने वाले पर भी केस हो। अभी तक जिन-जिन लोगों ने चूहों को मारा है उन पर भी केस हो। ये बिना मतलब की बात है और कुछ नहीं।