कोरबा: देश के 7 राज्यों में कोरोना के नए वेरिएंट ने खतरे की आहट को बढ़ा दिया है। छत्तीसगढ़ में भी लगातार कोरोना मरीज मिल रहे हैं। इधर कोरबा जिला जेल में भी कोरोना के मद्देनजर व्यवस्था को बदला जा रहा है। यहां बंदियों को रखने से पहले जरूरी जांच कराई जा रही है।
मध्य प्रदेश के समय से कोरबा में जिला जेल संचालित है, जहां पर महिला और पुरुष बंदियों के लिए 10 से ज्यादा बैरक बनाए गए हैं। कोरोना के नए वेरिएंट्स के आने से हर तरफ चिंता जताई जा रही है। जिला जेलर विजयानंद सिंह ने बताया कि कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट के अलावा एचआईवी और अन्य जांच होने के बाद ही हम बंदी को यहां पर एंट्री देते हैं। इसके अलावा बंदी के बीमार होने पर उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है।
बंदियों से मिलने पहुंचे परिजन।
कोरोना के मामले में जेल शुरू से ही बेहद ही संवेदनशील स्थान हैं। सबसे पहले किसी आरोपी को पुलिस मेडिकल जांच के बाद कोर्ट में पेश करती है, जहां से जमानत नहीं मिलने पर जेल वारंट जारी किया जाता है। इसके आधार पर पुलिस आरोपी को जेल दाखिल करा देती है। यहां कई अन्य बंदी भी होते हैं। जेल के भीतर बैरक में एक साथ कई कैदियों के होने से कोरोना संक्रमण का खतरा रहता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए जेल प्रबंधन को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद सख्त नियमों में थोड़ी ढिलाई बरती जा रही थी।
फिर से निर्देशों का पालन शुरू
अब जब एक बार फिर से कोरोना के नए वेरिएंट ने दस्तक दे दी है, तब कोरबा जेल प्रबंधन ने दोबारा निर्देशों का पालन करना शुरू कर दिया है। कोरबा जिला जेल और उपजेल प्रबंधन ने बैरकों में बंदियों को निर्धारित दूरी पर रखना शुरू कर दिया है। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कोरोना नेगेटिव होने पर ही आरोपी को जेल दाखिल कराया जा रहा है।
कोरबा जिला जेल में नियमित डॉक्टर की तैनाती की गई थी, जो जुलाई माह में रिटायर हो चुके हैं। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद से नियमित डॉक्टर की कमी बनी हुई है। अभी सप्ताह में तीन दिन ही डॉक्टर जेल पहुंचते हैं, ऐसे में बंदियों को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा जाता है। इस संबंध में जेल प्रबंधन ने पत्र भी लिखा है, लेकिन अब तक नियमित चिकित्सक की पदस्थापना जिला जेल में नहीं हुई है।