बिलासपुर: एएसआइ ने दूसरी महिला को अपनी बताकर परिवार न्यायालय में प्रस्तुत कर आपसी सहमति से तलाक ले लिया। लेकिन, उनकी पत्नी को इसकी भनक तक नहीं थी। जब एएसआइ की पत्नी को तलाक की जानकारी हुई, तब उन्होंने हाई कोर्ट में अपील प्रस्तुत की। हाई कोर्ट ने प्रकरण की जांच कराने के बाद पीड़ित महिला को भरण पोषण राशि देने का आदेश दिया है।
ओडीसा प्रांत के बरगढ़ जिले के बरपाली निवासी रश्मिता पटेल की शादी साल 2016 में रायगढ़ जिले के बिलाईगढ़ निवासी विवेकानंद पटेल से हुई। विवेकानंद एएसआइ के पद पर कार्यरत है। शादी के बाद दोनों पति-पत्नी साथ रहे थे। बाद में पति-पत्नी के बीच आपस में विवाद हो गया। इसके बाद रश्मिता अपने मायके चली गई। पत्नी के मायके रहते हुए एएसआइ पति विवेकानंद पटेल ने रायगढ़ के परिवर न्यायालय में दूसरी महिला को अपनी पत्नी रश्मिता पटेल बताकर पेश किया और आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। परिवार न्यायालय ने पति विवेकानंद पटेल के आवेदन को स्वीकार कर लिया।
करीब छह माह बाद रश्मिता को जब तलाक होने संंबंधी जानकारी हुई, तब उनके पिता ने परिवार न्यायालय से दस्तावेज जुटाए। फिर इसी आधार पर उन्होंने न्याय के लिए हाई कोर्ट की शरण ली। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार विजिलेंस को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा। इस बीच रजिस्ट्रार विजिलेंस ने रायगढ़ परिवार न्यायालय पहुंचकर जांच की, तब पता चला कि एएसआइ विवेकानंद ने दूसरी महिला को अपनी पत्नी बताकर कोर्ट में खड़ा किया था।
याचिकाकर्ता की शिकायत सही पाई गई। तब हाई कोर्ट ने तलाक आदेश को निरस्त कर दिया। फिर हाई कोर्ट के आदेश के आधार पर रश्मिता ने धारा 24 के तहत परिवार न्यायालय में भरण पोषण की मांग करते हुए आवेदनपत्र प्रस्तुत की, जिसे परिवार न्यायालय ने खारिज कर दिया। इस पर रश्मिता ने हाई कोर्ट में अपील प्रस्तुत की। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए परिवार न्यायालय को आदेशित किया है कि विवेकानंद की पत्नी के भरण पोषण आवेदन पर विचार करें और एएसआइ विवेकानंद की संपत्ति की जांच कर भरण पोषण राशि का निर्धारण करे।