Thursday, January 16, 2025
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              Chhattisgarh : कोयला कारोबारी सुनील की जमानत याचिका खारिज, HC ने मेडिकल आधार पर जमानत देने से किया इनकार, ED ने 17 महीने पहले किया था गिरफ्तार

              बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला घोटाले मामले में कारोबारी सुनील अग्रवाल की जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने दूसरी बार खारिज कर दी है। इस बार मेडिकल ग्राउंड पर बेल देने की मांग की थी, जिस पर हाईकोर्ट के जस्टिस एनके व्यास ने करीब एक माह पहले आर्डर रिजर्व रखा था। अब जमानत देने से इंकार कर दिया है।

              दरअसल, कोयला घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रही है। प्रदेश के सीनियर आईएएस, व्यापारियों और राजनीति से जुड़े लोगों के साथ ही बिचौलियों के माध्यम से कोयला परिवहन में कमीशनखोरी कर घोटाला किया गया।

              540 करोड़ का घोटाला, 9 आरोपी अरेस्ट

              अब तक ED ने केस में राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी, छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल समेत 9 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

              ईडी ने बताया था कि 2 साल के अंदर 540 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। इन आरोपियों की 152 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।

              पहले भी खारिज हुआ था बेल

              कोयला परिवहन में 25 रुपए टन की लेवी वसूली मामले में ईडी ने इंद्रमणि कोल के डायरेक्टर सुनील अग्रवाल को 11 अक्टूबर 2022 को गिरफ्तार किया था। ईडी का आरोप है कि कोल स्कैम मामले के किंगपिन सूर्यकांत तिवारी के काले धन को सुनील अग्रवाल के जरिए वाइट करने और संपत्तियों में निवेश किया गया।

              सुनील अग्रवाल ने हाईकोर्ट में 15 फरवरी 2020 में पहली बार जमानत याचिका लगाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।

              ईडी के विरोध के बाद जमानत अर्जी खारिज

              कारोबारी सुनील अग्रवाल ने हाईकोर्ट में दूसरी बार जमानत अर्जी लगाई थी। जिसमें उन्होंने मेडिकल ग्राउंड पर जमानत देने की मांग की और अपने इलाज से संबंधित मेडिकल रिपोर्ट भी पेश किए। वहीं, ईडी ने अपनी विशेष अदालत में दिए गए आवेदन में बताया कि सुनील अग्रवाल ने स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देकर दिसंबर 2022 से लगातार जेल अस्पताल में रहे।

              इसके साथ ही मेडिशाइन अस्पताल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में तीन महीने से ज्यादा समय बिता चुके हैं। जेल प्रबंधन की ओर से लगातार उनका इलाज कराया जा रहा है। ऐसे में जमानत देना उचित नहीं है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने करीब एक माह पहले फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर अब फैसला आया है।




                        Muritram Kashyap
                        Muritram Kashyap
                        (Bureau Chief, Korba)
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