Saturday, February 1, 2025
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                  छत्तीसगढ़ : दस दिन में 4 छात्राओं ने की खुदकुशी, दुर्ग में 10वीं की स्टूडेंट ने लगाई फांसी, पंखे से लटककर दी जान; अंग्रेजी विषय में सप्लीमेंट्री आने से काफी उदास थी

                  दुर्ग: छत्तीसगढ़ में 10 दिन के अंदर 4 छात्राओं ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। इसमें 2 छात्राएं 10वीं और 2 लड़कियां 12वीं कक्षा की थीं। इसमें 2 CBSE और 2 CG बोर्ड की स्टूडेंट हैं। गुरुवार को दुर्ग जिले में भी 10वीं की छात्रा ने फांसी लगाई है। घटना मोहन नगर थाना क्षेत्र के उरला की है।

                  जानकारी के मुताबिक छात्रा का नाम धनेश्वरी उर्फ काजल खरे (16) है, जो उरला के IHSDP (Integrated Housing & Slum Development Programme) आवास में रहकर सरस्वती शिशु मंदिर दुर्ग में पढ़ाई कर रही थी। 10वीं बोर्ड का उसका रिजल्ट आया तो अंग्रेजी विषय में सप्लीमेंट्री आने से वह काफी उदास थी।

                  दुर्ग में बेटी की आत्महत्या के बाद रोते-बिलखते परिजन।

                  दुर्ग में बेटी की आत्महत्या के बाद रोते-बिलखते परिजन।

                  छात्रा ने सूने घर में लगाई फांसी

                  पुलिस के मुताबिक धनेश्वरी के माता-पिता मजदूरी करते हैं। बुधवार को वह घर में अकेली थी। भाई भी किसी काम से बाहर गया था। जब वो दोपहर एक बजे घर आया तो देखा कि बहन पंखे के सहारे फांसी पर लटकी हुई है। उसने सबसे पहले पड़ोसियों को सूचना दी, फिर पुलिस को बुलाया। लोगों ने लाश को नीचे उतारा, तब तक वह मर चुकी थी।

                  सूचना मिलते ही मोहन नगर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भिजवाया।

                  छात्रा धनेश्वरी उर्फ काजल ने IHSDP आवास के इसी कमरे में खुदकुशी की।

                  छात्रा धनेश्वरी उर्फ काजल ने IHSDP आवास के इसी कमरे में खुदकुशी की।

                  आत्महत्या की घटनाओं को लेकर जन जागरूकता की पहल

                  गांव के लोगों ने बताया कि उनके क्षेत्र में इस तरह कम उम्र के बच्चों की खुदकुशी की कई घटनाएं हो चुकी हैं। इसलिए गांव के लोगों ने यह फैसला लिया है कि वे एकजुट होकर जन जागरूकता अभियान चलाएंगे। इस दौरान लोगों को समझाएंगे कि वे अपने बच्चों पर इतना दबाव ना डालें कि असफल होने पर वे खुदकुशी करें।

                  छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में 12वीं की छात्रा और बलरामपुर में 10वीं की छात्रा ने 2-2 विषयों में फेल होने के कारण फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।

                  छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में 12वीं की छात्रा और बलरामपुर में 10वीं की छात्रा ने 2-2 विषयों में फेल होने के कारण फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।

                  जांजगीर-चांपा और बलरामपुर में 2 छात्राओं ने लगाई फांसी

                  11 मई को छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में 12वीं की छात्रा और बलरामपुर में 10वीं की छात्रा 2-2 विषयों में फेल होने के कारण फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। बताया जा रहा है कि रिजल्ट आने के बाद से दोनों टेंशन में थी। सुबह परिजनों को लाश लटकती मिली। पूरा मामला नवागढ़ थाना क्षेत्र और रामानुजगंज थाना क्षेत्र का है। 

                  छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 12वीं की छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

                  छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 12वीं की छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

                  जगदलपुर में 12वीं की छात्रा ने की खुदकुशी

                  14 मई को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 12वीं की छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि 12वीं CBSE में वह सिर्फ 3 नंबर से सप्लीमेंट्री आई थी। इसी गम में उसने घर में पंखे से लटक कर जान दे दी है। मामला बोधघाट थाना क्षेत्र का है।

                  जानकारी के मुताबिक, छात्रा का नाम हर्षिता सोनी है। 18 साल की हर्षिता जगदलपुर की रहने वाली थी और 12वीं में कॉमर्स विषय की छात्रा थी। सोमवार को CBSE 12वीं बोर्ड का रिजल्ट घोषित होने के बाद से ही परेशान थी।

                  अंक तय नहीं करते आपकी सफलता

                  मार्कशीट का खराब होना जीवन में सफलता का आधार तय नहीं करता। जो फेल हो गए हैं, वे असफलता से निराश न हों और न ही घबराएं। ऐसा नहीं है कि उनके लिए ऑप्शंस नहीं हैं। परीक्षा में फेल होने के बाद भी आप उच्चतम स्तर पर पहुंच सकते हैं। शिखर पर सिर्फ पढ़ाई करके ही नहीं पहुंच सकते हैं। कई ऐसी हस्तियां भी हैं जो परीक्षा में फेल हुईं, लेकिन जीवन की परीक्षा में वे ऊंचे मुकाम पर हैं।

                  फेल हुए हैं तो सुधार कर सकते हैं रिजल्ट

                  परीक्षा में अगर फेल हुए हैं, तो सुधार कर सकते हैं या फिर कोई विषय कठिन लग रहा है, तो उसे बेझिझक बदल दें और जिसमें मन लगे वही पढ़ें। समाज और अन्य बच्चों की तुलना करते हुए अभिभावक बच्चों पर ज्यादा से ज्यादा अंक लाने का दबाव बनाते हैं जो उनकी क्षमता से अक्सर बाहर होता है। अभिभावक अपनी उम्मीदों का बोझ बच्चों पर न डालें।




                              Muritram Kashyap
                              Muritram Kashyap
                              (Bureau Chief, Korba)
                              RELATED ARTICLES
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