रायपुर: जी भाई साहब, किसी के पास फोन आया क्या? नहीं किसी के पास फोन नहीं आया! कोई माहौल नहीं है, यहां से किसी को नहीं बना रहे लगता है… दिल्ली में छत्तीसगढ़ भवन के भीतर भाजपा के 2 बड़े नेताओं के बीच की बातचीत में कुछ ऐसा ही कहा गया।
चर्चा थी कि छत्तीसगढ़ से किसी को मंत्री पद मिल सकता है, मगर अब ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा। जिन नेताओं को मंत्री पद दिया जाना है उन्हें फोन कॉल आ चुके हैं , नेताओं को मोदी ने चाय पर भी बुलाया है, मगर छत्तीसगढ़ से किसी को बुलावा नहीं आया।
नरेंद्र मोदी रविवार को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। उनके साथ कुछ मंत्री भी शपथ लेंगे। दिल्ली में डेरा जमाए हुए छत्तीसगढ़ के नेता अब शपथ ग्रहण की व्यवस्था जमाने में लगे हुए हैं।
छत्तीसगढ़ भवन में जमा हुए सभी नेताओं के बीच सियासी चर्च देर रात तक चलती रही। तस्वीर में विधायक अजय चंद्राकर नारायण चंदेल सांसद चिंतामणि महाराज तोखन साहू दिख रहे हैं।
छत्तीसगढ़ भवन में ऐसा है माहौल
तीन दिनों से छत्तीसगढ़ के कुछ नेता दिल्ली में डेरा जमाए हुए थे। नव निर्वाचित तमाम सांसद दिल्ली पहुंचे, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, अधिकांश विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री भी वहां पहुंच चुके हैं। छत्तीसगढ़ भवन में दो दिनों से लगातार बैठकर हो रही थी। कई तरह की सियासी चर्चाएं हो रही थी
रविवार सुबह 9 बजे के बाद सारा जोश ठंडा होता चला गया। कोई कमरे से नहीं निकला तो कोई नेता बस उदासी में अखबार पढ़ता रहा। एक दूसरे से इधर-उधर की बातें हो रही हैं। सभी के चेहरों पर इस बात की उदासी है कि छत्तीसगढ़ से फिलहाल किसी को मंत्री नहीं बनाया जा रहा।
चाय नाश्ते का दौर चल रहा है और शाम को शपथ ग्रहण कार्यक्रम में दर्शक दीर्घा में बैठने को लेकर बातचीत हो रही है। सूत्रों ने बताया कि, राष्ट्रपति भवन में एंट्री विशेष पास के जरिए दी जाएगी। छत्तीसगढ़ के कुछ नेताओं को पास नहीं मिले हैं, पास लेने के लिए लगातार नेता इधर-उधर फोन लगाकर जुगाड़ कर रहे हैं।
किसे क्या जिम्मा मिलेगा इसकी बातें प्रदेश के नेताओं में होती रही।
तो अब आगे क्या होगा
छत्तीसगढ़ के सीनियर नेताओं को जाति समीकरणों का ध्यान रखते हुए राज्य मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। इससे पहले भी नरेंद्र मोदी कैबिनेट में विष्णुदेव साय, रेणुका सिंह जैसे नेता छत्तीसगढ़ से थे, जो कि राज्य मंत्री के पदों पर जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही राज्य मंत्री का पद छत्तीसगढ़ के नेताओं को दिया जा सकता है इनमें बृजमोहन अग्रवाल, विजय बघेल, संतोष पांडे जैसे नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।
बृजमोहन अग्रवाल : छात्र राजनीति से सियासत में एंट्री करने वाले बीजेपी के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल पहली बार सांसद चुने गए हैं, लेकिन अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही राज्य में मंत्री पद का लंबा अनुभव है। अग्रवाल 1990 में पहली बार विधायक चुने गए। साल 2023 में 8वीं बार जीतकर आए।
1990-92 में बृजमोहन अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रहे।राज्य बनने के बाद साल 2003, 2008 और 2013 में भी महत्वपूर्ण विभागों का मंत्री पद बृजमोहन के पास रहा 2018 में कांग्रेस की लहर में भी जीतकर आए। विधानसभा चुनाव में उन्होंने महंत रामसुंदर दास को 67719 रिकॉर्ड मतों से हराया और इस लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में 5 लाख 75 हजार 285 वोटों के साथ प्रदेश में सबसे बड़ी जीत हासिल की है।
विजय बघेल : दुर्ग लोकसभा से लगातार दूसरी बार विजय बघेल चुनाव जीतकर आए हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के साथ ही विजय बघेल के पॉलिटिकल करियर की भी शुरुआत हुई। साल 2000 में विजय बघेल ने भिलाई नगर परिषद का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता था।
इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर 2003 का विधानसभा चुनाव उन्होंने पाटन विधानसभा क्षेत्र से लड़ा, लेकिन पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चुनाव के बाद विजय बघेल बीजेपी में शामिल हो गए। साल 2008 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल को हराकर पहली बार विजय बघेल विधायक बने।
इस दौरान उन्हें संसदीय सचिव भी बनाया गया। लेकिन साल 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भूपेश बघेल से हार का सामना करना पड़ा। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया। लेकिन ठीक इसके अगले साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में विजय बघेल को दुर्ग लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए।
साल 2023 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने पाटन से बीजेपी ने विजय बघेल को ही प्रत्याशी बनाया था लेकिन उन्हें हार मिली। इसके बावजूद लोकसभा के लिए विजय बघेल को ही रिपिट किया गया और राजेन्द्र साहू को हराकर दुर्ग से जीत दर्ज की।
संतोष पांडेय : छत्तीसगढ़ की सबसे हॉट सीट राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संतोष पांडेय ने शिकस्त दी है और बीजेपी के गढ़ को बचा कर रखा है। साल 2014 में राजनांदगांव के सांसद रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह थे, लेकिन 2019 में अभिषेक की टिकट काटकर संतोष पांडेय को उम्मीदवार बनाया गया और जीतकर वे पहली बार सांसद बने।
इस चुनाव में वे दूसरी बार सांसद बनकर दिल्ली जाएंगे। पांडेय बचपन से ही आरएसएस से जुड़े हुए हैं। उनके राजनीतिक करियर की बात की जाए तो दो बार राजनांदगांव जिले से युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे है। संगठन में दो बार प्रदेश मंत्री रहने के अलावा प्रदेश महामंत्री भी रहे। कृषि उपज मंडी और खेल एवं युवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने साल 2003 में वीरेंद्र नगर सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का समाना करना पड़ा।
मोदी सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ कोटे से केवल 1 मंत्री साल 2014 में पहली बार देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ से केवल एक ही सांसद को केन्द्र में मंत्री मिला है। उन्हें भी सीधे मंत्री बनाने के बजाए केन्द्रीय राज्यमंत्री का ही दर्जा मिला।इनमें वर्तमान सीएम विष्णुदेव साय और रेणुका सिंह शामिल हैं। हांलाकि राज्य बनने के पहले छत्तीसगढ़ से 2 मंत्री केन्द्र में रहा करते थे।
(Bureau Chief, Korba)