लखनऊ: राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से इस्तीफा देंगे और रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। वायनाड से प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ेंगी। सोमवार को कांग्रेस की 2 घंटे की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और खुद राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया।
राहुल ने इस मौके पर कहा, ‘वायनाड और रायबरेली से मेरा भावनात्मक रिश्ता है। मैं पिछले 5 साल से वायनाड से सांसद था। मैं लोगों को उनके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं। प्रियंका वायनाड से चुनाव लड़ेंगी। मैं समय-समय पर वायनाड का दौरा भी करूंगा। मेरा रायबरेली से पुराना रिश्ता है, मुझे खुशी है कि मुझे फिर से उनका प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा, लेकिन यह एक कठिन निर्णय था।’
कांग्रेस नेताओं की सोमवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर बैठक हुई। इसमें कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी की चेयरपर्सन सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल मौजूद थे। इसमें लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर चुनाव पर भी चर्चा की गई।
ये फोटो 17 मई की है। सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक रैली रायबरेली में बेटे राहुल गांधी के लिए की थी।
मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है, ‘राहुल दो लोकसभा सीटों से जीते हैं, लेकिन कानून के मुताबिक उन्हें एक सीट खाली करनी होगी। राहुल रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे और वायनाड लोकसभा सीट खाली करेंगे। खड़गे ने कहा हमने फैसला किया है कि प्रियंका वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी।’
प्रियंका बोलीं, ‘मैं वायनाड का प्रतिनिधित्व करने में बहुत खुश होउंगी। मैं उन्हें उनकी (राहुल गांधी की) अनुपस्थिति महसूस नहीं होने दूंगी। मैं कड़ी मेहनत करूंगी और सभी को खुश करने और एक अच्छा प्रतिनिधि बनने की पूरी कोशिश करूंगी। मेरा रायबरेली और अमेठी से बहुत पुराना रिश्ता है और इसे तोड़ा नहीं जा सकता। मैं रायबरेली में भी अपने भाई की मदद करूंगी।’ हम दोनों रायबरेली और वायनाड में मौजूद रहेंगे।’
क्या है नियम?
संविधान के तहत कोई व्यक्ति एक साथ संसद के दोनों सदनों या संसद और राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता। न ही एक सदन में एक से ज्यादा सीटों का प्रतिनिधित्व कर सकता है। संविधान के अनुच्छेद 101 (1) में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 68 (1) के तहत अगर कोई जनप्रतिनिधि दो सीटों से चुनाव जीतता है, तो उसे रिजल्ट घोषित होने के 14 दिन के भीतर एक सीट छोड़नी होती है। अगर एक सीट नहीं छोड़ता है, तो उसकी दोनों सीटें रिक्त हो जाती हैं।
8 पॉइंट, राहुल की रायबरेली चुनने की वजह
- रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार का गढ़ है।
- गांधी परिवार के मुखिया ने हमेशा UP से ही राजनीति की। पिता राजीव गांधी अमेठी और परदादा जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से चुनाव लड़ते रहे हैं। रायबरेली सीट से मां सोनिया, दादी इंदिरा और दादा फिरोज गांधी सांसद रहे।
- रायबरेली की जीत इस लिहाज से भी बड़ी है कि परिवार ने अमेठी की खोई सीट भी हासिल कर ली।
- सोनिया गांधी ने सीट छोड़ते समय रायबरेली की जनता से कहा था- मैं अपना बेटा आपको सौंप रही हूं।
- परिवार के लोग भी चाह रहे हैं कि राहुल रायबरेली का प्रतिनिधित्व करें।
- पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की भी सलाह है कि राहुल रायबरेली सीट अपने पास रखें।
- सोनिया ने राहुल को समझाया था कि UP कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए उन्हें रायबरेली अपने पास रखना चाहिए।
- कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव संचालन समिति के एक सदस्य ने बताया कि सीईसी की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राहुल रायबरेली लोकसभा सीट पर बने रहें।
प्रियंका का खेमा चाहता था राहुल वायनाड नहीं छोड़ें
सूत्र बताते हैं, प्रियंका गांधी के खेमे के कुछ लोग चाहते थे कि राहुल वायनाड में ही रहें और प्रियंका रायबरेली से उपचुनाव लड़ें। कांग्रेस के खराब समय में दक्षिण ने हमेशा साथ दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था। अमेठी से चुनाव हार गए थे, वायनाड से जीत दर्ज की थी।
लोकसभा सीट छोड़ने के यह हैं नियम…
• अगर कोई सदस्य लोकसभा या किसी सीट से इस्तीफा देना चाहता है तो उसे सदन के स्पीकर को इस्तीफा भेजना होता है।
• नई संसद के गठन में अगर स्पीकर या डिप्टी स्पीकर नहीं है तो ऐसी स्थिति में प्रत्याशी के द्वारा इलेक्शन कमीशन को त्यागपत्र सौंपा जाता है।
• इसके बाद इलेक्शन कमीशन के द्वारा रेजिग्नेशन लेटर की एक कॉपी सदन के सचिव को भेज दी जाती है।
(Bureau Chief, Korba)