रायपुर: किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत गठित राज्य बाल संरक्षण समिति की कार्यकारिणी तथा आमसभा बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की बैठक सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग एवं पदेन अध्यक्ष राज्य बाल संरक्षण समिति श्रीमती शम्मी आबिदी की अध्यक्षता में मंत्रालय महानदी भवन में आज सम्पन्न हुई। सचिव महिला एवं बाल विकास द्वारा बैठक में बाल संरक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर एवं विभिन्न विभागों के साथ समन्वय पर विस्तार से चर्चा की गई। संयुक्त संचालक, मिशन वात्सल्य द्वारा वर्तमान में राज्य में बाल संरक्षण के क्षेत्र में किये जा रहे विभिन्न कार्यों, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 यथा संशोधित 2021 के क्रियान्वयन हेतु संचालित मिशन वात्सल्य के तहत प्रदान की जा रही संस्थागत एवं गैर संस्थागत देखरेख सेवाओं की जानकारी का प्रस्तुतीकरण किया गया।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 93 बाल देखरेख संस्थाएं संचालित हैं, जिनमें देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए 67 एवं विधि से संघर्षरत बच्चों के लिए 26 संस्थाएं संचालित हैं। इन संस्थाओं में 2046 बच्चे निवासरत हैं, जिनमें से 1318 बच्चे शाला में अध्ययनरत एवं 29 बच्चे ओपन स्कूल के माध्यम से परीक्षा देंगे। वर्ष 2023-24 में बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत 10वी के 32 एवं 12वी के 23 बच्चे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। आगामी शिक्षा सत्र के विषय चयन हेतु 136 बच्चों का एप्टीट्यूड टेस्ट कराया गया। कोंडागांव एवं महासमुंद जिले के बच्चों द्वारा जुडो, तीरंदाजी खेलों में प्रदर्शन किया गया। जिसके फलस्वरूप सांई हॉस्टल एवं खेल अकादमी में प्रवेश प्रदाय किया गया है। सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संस्थागत देखरेख में निवासरत बालकों के सर्वांगीण विकास हेतु अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने, कौशल प्रशिक्षण से जोड़ने, बच्चों की समुचित स्वास्थ्यगत देखभाल करने हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग एवं संबंधित विभागों की संयुक्त कार्ययोजना बनाकर प्रभावी कियान्वयन हेतु निर्देशित किया गया। खेल एवं युवा कल्याण विभाग को उनकी गतिविधियों में इन बच्चों को शामिल करने के निर्देश दिये गये।
गैर संस्थागत देखरेख अंतर्गत दत्तक ग्रहण में वर्ष 2023-24 में 79 बालक एवं इस वर्ष 20 बालक दत्तक ग्रहण में दिये गये। स्पांसरशिप कार्यक्रम के अंतर्गत 812 बच्चों को लाभान्वित किया जा रहा है। सचिव द्वारा इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करने एवं अधिकतम पात्र हितग्राहियों को लाभान्वित करने के निर्देश दिये गये। फास्टर केयर के अंतर्गत 14 बच्चे एवं आफ्टर केयर में 85 बच्चों को लाभान्वित किया गया।
किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम, 2015 यथा संशोधित 2021 के प्रावधान के अनुसार छत्तीसगढ़ बाल कोष का गठन किया गया है, जिसमें जिलों से प्राप्त प्रस्तावों पर स्वीकृति उपरांत राज्य बाल संरक्षण समिति द्वारा कार्याेत्तर अनुमोदन दिया गया। कोविड आपदा के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए संचालित पीएम केयर फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत 108 हितग्राहियों को लाभान्वित किये जाने की जानकारी संबंधित अधिकारी द्वारा दी गई।
पॉक्सो पीड़ित बालिकाओं के पुनर्वास हेतु केन्द्र शासन द्वारा संचालित योजना की जानकारी समिति के सदस्यों को दी गई कि एक सितम्बर 2023 से राज्य शासन द्वारा संचालित चाईल्ड हेल्पलाईन 1098 के संचालन, महिला हेल्पलाईन 181 एवं ईआरएसएस 112 से इंटीग्रेशन के संबंध में जानकारी दी गई। चाईल्ड हेल्पलाईन में प्राप्त 1623 प्रकरणों के विरूद्ध 1571 प्रकरणों का निराकरण किया गया। सचिव द्वारा हेल्पलाइन नम्बर 1098, 181, 112 के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं बच्चों के विरूद्ध तथा बच्चों द्वारा किये जाने वाले अपराधों का जिलेवार विश्लेषण कर कार्ययोजना बनाने एवं प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिये गये।
बैठक में बताया गया कि राज्य में बाल संरक्षण व बच्चों के सर्वाेत्तम हित में किए जा रहे कार्यों एवं प्रयासों की गुणात्मक सुधार हेतु निर्देश दिए गए। समिति के सदस्यों को बाल विवाह मुक्त छ.ग. अभियान के संबंध में जानकारी दी गई। वर्ष 2023-24 में 161 एवं वर्ष 2024-25 में 146 बाल विवाह अंतर्विभागीय समन्वय से रोके गये हैं। राज्य शासन द्वारा किये जा रहे नवाचार उल्लास, उजियार, उमंग, उम्मीद एवं बाल उदय योजना के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही बाल देखरेख संस्थाओं में होने वाली विभिन्न गतिविधियों स्वच्छता पखवाड़ा, योग दिवस, मानसिक स्वास्थ्य दिवस, वीर बाल दिवस की जानकारी साझा की गई।
वर्ष 2023-24 में मिशन वात्सल्य के दिशा-निर्देश अनुसार भारत शासन को प्रेषित वित्तीय प्रस्ताव पर कार्याेत्तर अनुमोदन समिति द्वारा दिया गया। समिति द्वारा 2024-25 के लिए प्रशिक्षण कार्ययोजना, प्रचार-प्रसार गतिविधि कार्ययोजना, वर्ष 2022-23 के ऑडिट कार्य का कार्याेत्तर अनुमोदन दिया गया। समिति के सदस्यों को छ.ग. राज्य की बाल संरक्षण नीति का ड्राफ्ट तैयार करने की जानकारी दी गई। सचिव ने बच्चों के सर्वाेत्तम हित में प्रचार-प्रसार, विभाग से संबंधित बिंदुओं पर परिणाममूलक कार्यवाही हेतु समन्वित कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये गये।
बैठक में संचालक महिला एवं बाल विकास श्रीमती तुलिका प्रजापति, संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग डॉ. रेणुका श्रीवास्तव एवं अन्य सहयोगी विभागों- गृह विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, समाज कल्याण विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, वित्त विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, रेलवे एवं एनआईसी आदि विभागों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
(Bureau Chief, Korba)