Thursday, October 24, 2024




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रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में राज्य में पहली बार वृहद स्तर पर शुरू हुआ महुआ पेड़ों का संरक्षण

  • मनेंद्रगढ़ वनमण्डल में शुरू हुआ “महुआ बचाओ अभियान”
  • महुआ बचाओ अभियान अंतर्गत मनेन्द्रगढ़ में लगाए गए 30,000 पौधे

रायपुर: बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में आदिवासी अंचल के लिए महुआ का पेड़ विशेष महत्व है। महुआ के मौसम में गाँव की गलियाँ खाली होती है। सभी ग्रामीण महुआ के फूल बीनने में व्यस्त रहते हैं। महुआ का पेड़ प्रकृति का बहुमूल्य उपहार है। भारत में इसे कल्पवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। यह पेड़ आदिवासियों के लिए आर्थिक, धार्मिक और सामाजिक रूप से महत्व रखता है। महुआ का पेड़ भारत के उत्तर, दक्षिण और मध्य के 13 राज्यो में पाया जाता है। महुआ के फूल, फल, बीज, छाल और पत्ती सभी उपयोगी हैं। यह आदिवासियों की आय का एक प्रमुख स्त्रोत है। पिछले कुछ समय से महुआ के उत्पादन में गिरावट आयी है और महुआ के नए पेड़ नहीं उग रहे हैं। जिस कारण महुआ पेड़ों की संख्या घट रही है।

Raipur: Under the guidance of Chief Minister Shri Vishnu Dev Sai, conservation of Mahua trees started on a large scale for the first time in the state.
Raipur: Under the guidance of Chief Minister Shri Vishnu Dev Sai, conservation of Mahua trees started on a large scale for the first time in the state.

पुनरुत्पादन न होने से घटी महुआ पेड़ों की संख्या

महुआ पेड़ो की घटती संख्या चिंता का विषय है। सबसे बड़ी समस्या इनके पुनरुत्पादन की है। जंगल में तो महुआ पर्याप्त है पर आदिवासियो के द्वारा अधिकतर महुआ का संग्रहण गांव की ख़ाली पड़ी ज़मीन और खेत की मेड़ो पर लगे महुआ से होती है। अगर आप बस्तर और सरगुज़ा के किसी गाँव में जाएं तो उनके खेतों के पार और ख़ाली ज़मीन में सिर्फ़ बड़े महुआ के पेड़ ही बचे दिखते हैं। छोटे और मध्यम आयु के पेड़ों की संख्या लगभग नगण्य होती है। ग्रामीणों के द्वारा महुआ संग्रहण से पहले ज़मीन साफ़ करने हेतु आग लगाई जाती है इस कारण  महुआ के पौधे जीवित नहीं रह पाते।  ग्रामीण महुआ के सभी बीज संग्रहीत कर लेते हैं। महुआ पेड़ की औसत आयु 60 वर्ष है। अगर जंगल के बाहर इनके पुनरुत्पादन पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये जल्द ही ख़त्म हो जाएँगे। इन्हीं चिंताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में पहली बार बड़े स्तर पर महुआ बचाओ अभियान की शुरुआत की गई है।

प्रधानमंत्री मोदी एवं सीएम विष्णुदेव साय की मुहीम लाई रंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किये गए विशेष अभियान “एक पेड़ मां के नाम” ने राज्य में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में पौधारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा दी है। यह अभियान छत्तीसगढ़ राज्य में एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। इसी क्रम में वन मंडल मनेन्द्रगढ़ में वृहद स्तर पर महुआ बचाओ अभियान की शुरुआत की है। राज्य में पहली बार बड़े स्तर पर महुआ पेड़ों की संख्या को बढ़ाने एवं संरक्षण की कवायद शुरू की गई है।

विधायक रेणुका सिंह के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुआ महुआ बचाओ अभियान कार्यक्रम

महुआ बचाओ अभियान एवं वन महोत्सव वर्ष 2024 के अंतर्गत ग्राम-कछौड़ तुर्रा रोड पर भारत भवन के पास सफल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भरतपुर-सोनहत विधायक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुईं। कार्यक्रम के दौरान क्षेत्रवासी महुआ वृक्षों के बारे में जागरूक हुए एवं महुआ के नए पौधों को लगाने एवं उनकी देखभाल करने के लिए प्रेरित हुए।

30,000 से अधिक महुआ पौधे लगाए जा चुके हैं

मनेन्द्रगढ़ वन क्षेत्र में गांव के बाहर खाली पड़ी जमीन और खेतों में महुआ के पौधे लगाए जा रहे हैं। जिनकी सुरक्षा ट्री गार्ड द्वारा की जा रही है। इस अभियान के अंतर्गत अभी तक 30,000 महुआ के पौधे लगाए जा चुके हैं। पौधों को लगाए जाने के साथ ही पौधे की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों को ट्री गार्ड भी प्रदान किये जा रहा है। महुआ के पौधे लगने से ग्रामीणों में जबरदस्त उत्साह है। ग्रामीण आगे आकर महुआ पौधरोपण में अपना योगदान दे रहे हैं।

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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