Thursday, March 28, 2024
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BIG NEWS- अमरिंदर सिंह बने रहेंगे पंजाब के मुख्यमंत्री, सिद्धू बन सकते हैं डिप्टी सीएम…..सोनिया गांधी को कमेटी ने सौंपी अपनी रिपोर्ट

नई दिल्ली। कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री बने रहेंगे, हालांकि नवजोत सिद्धू को डिप्टी सीएम की कमान मिल सकती है। पंजाब में छिड़े अंदरूनी घमासान पर 3 सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंप दी है। मल्लिकार्जुन खड़गे, हरीश रावत और जयप्रकाश अग्रवाल की अगुवाई में बनी कमेटी ने पार्टी चीफ सोनिया गांधी को रिपोर्ट दी है.सूत्रों के मुताबिक, तमाम विधायकों ने सीएम कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व पर विश्वास जताया है और उन्हीं के कप्तानी में चुनाव लड़ने की बात कही है. हालांकि यह बात भी सच है कि पंजाब के सीएम की विधायकों से दूरी और फोन पर ना उपलब्ध होने को लेकर भी शिकायतें आई हैं. लेकिन कैप्टन अमरिंदर ने अपनी सफाई में कोरोना का हवाला दिया है.तमाम विधायकों से बातचीत में भी कैप्टन के खिलाफ कोई गुटबाजी सामने नहीं आई है. ना ही सिद्धू के समर्थन में विधायकों का कोई ग्रुप एकजुट हुआ. लेकिन कमेटी का यह मानना है कि सिद्धू की नाराजगी को भी दूर किया जाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में संगठन को लेकर फेरबदल की जरूरत पर भी कमेटी ने ज़ोर दिया है.इस बीच खबर है कि नवजोत सिंह सिद्धू को या तो उपमुख्यमंत्री या फिर अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. क्योंकि अमरिंदर सिंह ने उन्हें पीसीसी प्रमुख के रूप में नियुक्त करने के विचार को सिरे से खारिज कर दिया है. पीसीसी प्रमुख वह व्यक्ति होगा जो सभी गुटों को स्वीकार्य होगा.

दरअसल, इस वक्त सुनील जाखड़ पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने इस्तीफा जरूर दिया था, लेकिन उसको मंजूरी नहीं मिली थी. लगभग 1000 ऐसे पद हैं जो खाली पड़े हैं और चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को तवज्जो देते हुए उनको भरा जाए, ऐसा कमेटी ने सुझाव दिया है.

प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका को लेकर भी कमेटी बहुत खुश नहीं है. दो साल से प्रदेश में संगठन की निष्क्रियता एक बड़ी चिंता की वजह है. ऐसे में शायद पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष बदला जा सकता है. संगठन में नाराज़ नेता और कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए सरकारी सोसायटी में भी नियुक्ति का सुझाव दिया है.

हालांकि, ये देखने वाली बात होगी कि कैप्टन सरकार और सिद्धू के बीच तकरार खत्म होती है या नहीं. साथ ही कमेटी के सुझावों पर कितना अमल किया जाता है.

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