Friday, March 29, 2024
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छत्तीसगढ़- गज का आतंक: जंगल में हाथी ने पटककर महिला की ली जान फिर 500 मीटर दूरी पर एक बुजुर्ग को भी मार डाला

  • महिला पुटू बीन रही थी, पुरुष खेत में कर रहा था धान की बुवाई, तभी हो गया हाथी से सामना
  • महिला को मारने के बाद 4 साल की बच्ची को भी हाथी ने किया घायल।

जशपुर: जंगल में पुटू खुखड़ी लेने के लिए गई महिला और पुरुष को हाथी ने कुचलकर मार दिया, वहीं एक बच्ची भी हाथी के हमले से गंभीर रूप से घायल हो गई। घायल बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हाथी के हमले से दो लोगों की मौत होने के बाद वन विभाग की टीम लोगों को जंगल की ओर नहीं जाने की समझाइश दे रहे हैं। घटना फरसाबहार क्षेत्र के जमुना वनक्षेत्र की है।

फरसाबहार के जमुना वनक्षेत्र कम्पार्टमेंट 862 में एक दंतैल हाथी घूम लरहा है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार की सुबह 6 बजे प्रकाश एक्का (55) जंगल के अंदर मिले पट्‌टे की जमीन में धान की बुवाई करने के लिए गया था। प्रकाश खेत में धान की बुवाई कर रहा था, उसी दौरान जंगल में अकेले घूम रहे दंतैल हाथी ने उसके ऊपर हमला कर दिया। हाथी के हमले से प्रकाश की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद जंगल में कुछ दूर आगे बढ़ा, जहां दयामनी तिर्की जंगल में पुटू और खुखड़ी की तलाश में जुटी थी।

पुटू की तलाश करते वक्त दयामनी का सामना दंतैल से हो गया और दंतैल ने उसके ऊपर भी हमला कर दिया,जिससे मौके पर उसकी भी मौत हो गई। हाथी ने महिला के ऊपर हमला करने के बाद जंगल गई 4 वर्षीय अलिया के ऊपर भी हमला कर दिया। हाथी के हमले से आलिया गंभीर रूप से घायल हो गई थी। घायल आलिया को इलाज के लिए तत्काल कुनकुरी के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में भर्ती कराने के बाद उसे सिटी स्कैन के लिए अंबिकापुर रेफर कर दिया गया है। बताया जाता है कि हाथी के हमले से घायल हुई 4 वर्षीय बच्ची की स्थिति सामान्य है।

एक सप्ताह के अंदर हाथी के हमले से हुई तीन मौत
सोमवार को हुई घटना के पहले 7 जून को भी फुलडीह निवासी आगेश राम (21) को हाथियों ने मार दिया। वह लकड़ियां लेने के लिए जंगल गया था। दोपहर तक नहीं लौटा तो परिजन गांव वालों के साथ तलाश करने निकले। ग्रामीण ट्रैक्टर लेकर जंगल पहुंचे तो आगेश का शव दिखाई दिया था। ग्रामीण उसे लेने के लिए बढ़े ही थे कि हाथियों की आवाज सुनाई देने लगी। इसे सुनकर ग्रामीण भाग निकले। सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम अगले दिन हाथियों को भगाकर वहां से शव निकाल सकी थी। 7 जून की घटना के बाद हाथी के हमले से सोमवार को एक महिला और एक पुरुष की मौत हो गई।

अकेला हाथी होता है अधिक आक्रामक
डीएफओ ने बताया कि दल से अलग हो कर भटकने वाला हाथी दल में रहने वाले हाथियों से अधिक आक्रामक होता है। अकेलेपन की वजह से वह चिड़चिड़ापन अधिक होता है और मानव बस्ती में घुसने के बाद पेट भरने के बाद अनावश्यक तबाही भी मचाता है। बारिश का मौसम हाथियों के मिलन का समय होता है। यही वजह के इस मौसम में नर हाथी अधिक आक्रामक होते हैं। दल में कोई छोटा हाथी हो तो उसकी सुरक्षा के लिए हथिनी अधिक उग्र होती है।

जिले के 200 गांव है हाथी से प्रभावित
जिले के मनोरा, बगीचा, जशपुर, फरसाबहार, पत्थलगांव, कांसाबेल, दुलदुला ब्लॉक के कई गांव हाथी प्रभावित हैं। हाथी प्रभावित गांवों की संख्या 200 से अधिक है। इसमें 93 गांव अधिक प्रभावित व 114 गांव कम प्रभावित हैं। जंगल में हाथियों के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिलने से हाथियों का दल जंगल से गांव में घुसता है। हाथी किसानों के खेतों एवं खलिहानों में आकर फसलों को खा जाते हैं। इसके अलावा जिस घर में धान रखा रहता है, उस घर को तोड़कर वहां से भी हाथी धान खा जाते हैं।

मृतकों के परिजनों को मिलेगा 6-6 लाख रु. मुआवजा
डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव घटनास्थल पहुंचे। वन विभाग की टीम ने दोनों के शव को जंगल से बाहर निकलवाकर उनके शवों को उनके परिजन को सौंप दिया है। डीएफओ जाधव ने बताया कि घटना के बाद जिले के अलग-अलग वन अमले की टीम मौके पर रवाना कर दिया था।

मृतक के परिजनों को देंगे मुआवजा
हाथी के हमले से एक महिला और पुरुष की मौत हुई है,वहीं एक बच्ची गंभीर रुप से घायल हो गई है। घायल बच्ची का इलाज कराया जा रहा है। मृतक के परिवारों को 6-6 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। तत्कालिक सहायता के रुप में दोनों परिवारों को 25-25 हजार की सहायता राशि दी है। ग्रामीणों को जंगल में नहीं जाने की समझाइश भी दी जा रही है।”
-श्रीकृष्ण जाधव,डीएफओ जशपुर

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