बैंकॉक: पूर्वी एशिया के देश थाईलैंड में आज यानी 23 जनवरी से समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई। इसके बाद कई समलैंगिक जोड़ों ने अपनी शादी रजिस्टर कराई। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक एशिया में ताइवान और नेपाल के बाद थाइलैंड तीसरा प्रमुख देश है, जिसने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है। इस मौके पर पूर्व थाई PM श्रेष्ठा थाविसिन ने कहा हम अमेरिका से भी ज्यादा खुले विचारों वाले हैं।
वहीं, प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनवात्रा ने X पर लिखा- आज रेनबो फ्लैग (समलैंगिक झंडा) थाईलैंड पर गर्व से लहरा रहा है। नए विवाह कानून में पुरुष, महिला, पति और पत्नी की जगह जेंडर न्यूट्रल शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। इस कानून में ट्रांसजेंडर्स को भी शादी का अधिकार दिया गया है।
कानून के लागू होते हुए थाई एक्टर अपीवात पोर्श ने अपने पार्टनर साप्पन्यो आर्म के साथ अपनी शादी रजिस्टर कराई। आर्म ने कहा-
हमने इसके लिए दशकों तक संघर्ष किया और आज एक ऐतिहासिक दिन है। प्यार तो प्यार है।
थाई एक्टर अपीवात पोर्श (बाएं) ने अपने पार्टनर सप्पन्यो आर्म (दाएं) के साथ समलैंगिक विवाह रजिस्टर कराया।
पूर्व थाई PM का डोनाल्ड ट्रम्प पर तंज
पूर्व थाई प्रधानमंत्री श्रेष्ठा थाविसिन ने इस कानून के लागू होने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तंज किया। उन्होंने कहा- हाल ही में एक देश के नेता ने कहा था कि वहां सिर्फ दो ही जेंडर हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हम उनसे कहीं ज्यादा खुले विचारों वाले हैं।
इस कानून को थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न ने सितंबर में अप्रूव किया था, जिसके 120 दिनों बाद यह कानून लागू हो पाया। थाईलैंड में LGBTQ+ समुदाय के अधिकार को काफी ज्यादा प्रमुखता दी जाती है।
थाईलैंड के सामाजिक कार्यकर्ता एक दशक से समलैंगिक विवाह के अधिकारों को मान्यता दिलाने के लिए कोशिश कर रहे थे, लेकिन देश में राजनीतिक उथल-पुथल की वजह से इसमें लगातार देरी हो रही थी।
भारत में सेम सेक्स मैरिज गैर-कानूनी
2001 में नीदरलैंड समलैंगिक विवाह को अनुमति देने वाला पहला देश था। इसके बाद 30 से अधिक देशों ने इस विवाह को मान्यता दी है। हालांकि, भारत में सेम सेक्स मैरिज गैर-कानूनी है।
भारत में विभिन्न धर्मों में शादी की वैधता के लिए कई तरह के कानून हैं। हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिक्ख धर्म के लोगों के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम-1955 है, जबकि ईसाईयों के लिए क्रिश्चयन मैरिज एक्ट-1872 है। इसी तरह मुस्लिम अपने धार्मिक कानून मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी करते हैं। इन सभी कानूनों के अनुसार सिर्फ पुरुष और महिला के बीच ही शादी हो सकती है।
(Bureau Chief, Korba)