Wednesday, June 25, 2025

छत्तीसगढ़: पति का अननेचुरल सेक्स करना कोई अपराध नहीं, हाईकोर्ट बोला- संबंध बनाने की सहमति नहीं होने पर भी पत्नी नहीं करवा सकती केस दर्ज

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को पति-पत्नी के संबंधों को लेकर अहम फैसला सुनाया। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने कहा कि अननेचुरल सेक्स करने पर भी पत्नी अपने पति पर रेप या अप्राकृतिक कृत्य करने का आरोप नहीं लगा सकती, जब तक वह नाबालिग न हो।

इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने पत्नी के साथ रेप और अननेचुरल सेक्स के आरोपी पति को बरी करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि उसे तत्काल रिहा किया जाए। हालांकि पति पर आरोप लगाने वाली पत्नी की 2017 में मौत हो चुकी है।

अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने की वजह से पत्नी की तबीयत खराब हुई, जिसके बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। (प्रतीकात्मक इमेज)

अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने की वजह से पत्नी की तबीयत खराब हुई, जिसके बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। (प्रतीकात्मक इमेज)

अब जानिए क्या था पूरा मामला ?

दरअसल, जगदलपुर के बोधघाट थाना क्षेत्र की रहने वाली महिला ने 11 दिसंबर 2017 को अपने पति के खिलाफ अननेचुरल सेक्स का केस दर्ज कराया था। महिला ने बताया था कि उसके मर्जी के खिलाफ पति ने उससे अननेचुरल सेक्स किया है, जिससे वह बीमार पड़ गई।

महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के सामने महिला ने बयान दर्ज कराया था, जहां अपने साथ हुए यौन शोषण का बताया। इस दौरान महिला की हालत बिगड़ती गई और उसकी जान चली गई।

ट्रायल कोर्ट ने 2019 में महिला के पति को 10 साल की सजा सुनाई थी।

ट्रायल कोर्ट ने 2019 में महिला के पति को 10 साल की सजा सुनाई थी।

कोर्ट ने गैरइरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराया

मरने से पहले महिला के दिए बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ धारा 376 और 377 के तहत केस दर्ज किया। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। मामले में ट्रायल चला, तब कोर्ट ने पति को धारा 377, 376 और 304 यानी की गैरइरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराया।

ट्रायल कोर्ट ने 11 फरवरी 2019 को 10 साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी पति ने हाईकोर्ट में अपील की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ फैसला सुनाया है।

अपराधी के तौर पर पुरुष का हुआ वर्गीकरण

जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने ऐसे मामलों में पत्नी की सहमति को कानूनी रूप से महत्वहीन बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि धारा-375 के तहत अपराधी के तौर पर पुरुष को वर्गीकृत किया गया है। केस में आरोपी पति है और पीड़िता उसकी पत्नी थी।

संबंध बनाने के लिए शरीर के उन्हीं हिस्सों का उपयोग किया गया, जो सामान्य हैं, इसलिए पति-पत्नी के बीच ऐसे संबंध को अपराध नहीं माना जा सकता।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में पत्नी की सहमति को कानूनी रूप से महत्वहीन बताया।

पीड़िता पत्नी की उम्र 15 साल से कम होने पर ही केस

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि स्पष्ट है कि अगर पीड़िता पत्नी की उम्र 15 साल से कम है, तब सहमति या असहमति के आधार पर अननेचुरल सेक्स का अपराध दर्ज किया जा सकता है, लेकिन पत्नी बालिग है तो यौन संबंध बनाने के लिए पत्नी की सहमति या असहमति जरूरी नहीं है।

ऐसे मामलों में पत्नी अपने पति पर रेप या अप्राकृतिक यौन संबंध का आरोप नहीं लगा सकती है। ऐसे अप्राकृतिक कृत्य के लिए पत्नी की सहमति की अनुपस्थिति अपना महत्व खो देती है। इस वजह से यह आईपीसी की धारा 376 और 377 के अंतर्गत अपराध नहीं बनता।


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