Thursday, March 13, 2025
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दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, अब 15 साल पुराने वाहनों को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, 31 मार्च से लागू होगा नया नियम

नई दिल्ली: दिल्ली में 15 साल और उससे ज्यादा पुराने वाहनों को 31 मार्च से पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा। दिल्ली में बढ़ते एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए दिल्ली सरकार ने यह कदम उठाया है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शनिवार को यह ऐलान किया। उन्होंने कहा, ‘इस फैसले की जानकारी केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय को जल्द दी जाएगी। हम पेट्रोल पंपों पर गैजेट लगा रहे हैं जो 15 साल से पुराने वाहनों की पहचान करेंगे। ऐसे वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा।’

दिल्ली में पॉल्यूशन बढ़ने पर एंटी स्मोग गन का उपयोग किया जाता है। (फाइल)

दिल्ली में पॉल्यूशन बढ़ने पर एंटी स्मोग गन का उपयोग किया जाता है। (फाइल)

ये फैसले भी लिए गए

  • शहर की सभी ऊंची इमारतों, होटलों पर एंटी-स्मॉग गन लगाना कंपल्सरी किया गया है। ये नियम पहले से ही है। अब सख्ती से लागू किया जाएगा।
  • दिल्ली में लगभग 90% पब्लिक CNG बसों को दिसंबर 2025 तक सिस्टेमेटिक तरीके से हटा दिया जाएगा। इनकी जगह इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी।

दिल्ली को मार्च में मिलेंगी 1 हजार इलेक्ट्रिक बसें

दिल्ली के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर पंकज कुमार सिंह ने कहा- मार्च में दिल्ली को एक हजार से ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें मिलेंगी। उन्होंने ये भी कहा कि दिल्ली का परिवहन क्षेत्र वर्तमान में 235 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा है।

उन्होंने कहा…

सरकार एक रिकवरी प्लान पर काम कर रही है और उसका लक्ष्य एक साल के भीतर इस क्षेत्र को मुनाफे में लाना है। हमें सार्वजनिक परिवहन में सुधार करने की आवश्यकता है ताकि लोग निजी वाहनों पर कम निर्भर हों।हमारा पहला कदम दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसें शुरू करना होगा, इसके बाद परिवहन नेटवर्क को मजबूत करने के लिए और सुधार किए जाएंगे।

दिल्ली की हवा हर रोज 38 सिगरेट पीने जितनी, पॉल्यूशन से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

नवंबर 2013 में दिल्ली में औसतन प्रदूषण का लेवल 287 AQI था। नवंबर 2024 में प्रदूषण का लेवल औसतन 500 AQI से ऊपर पहुंचा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2013 में एक व्यक्ति औसतन 10 सिगरेट जितना धुआं प्रदूषण के जरिए अपने अंदर ले रहा था। 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 38 सिगरेट तक पहुंचा।

जब हम सांस लेते हैं तो हवा में मौजूद पॉल्यूटेंट्स भी हमारे फेफड़ों में समा जाते हैं। ये हमारी ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर सकते हैं और खांसी या आंखों में खुजली पैदा कर सकते हैं। इससे कई रेस्पिरेटरी और लंग्स से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी हो सकता है। कई बार तो यह कैंसर की वजह भी बन सकता है। अब लगातार नई स्टडीज में सामने आ रहा है कि इससे ब्रेन की फंक्शनिंग भी प्रभावित होती है।

लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में पब्लिश ग्लोबल स्टडी के मुताबिक, वायु प्रदूषण सबराकनॉइड हैमरेज (Subarachnoid Haemorrhage) यानी SAH की बड़ी वजह है। इसमें पता चला है कि साल 2021 में सबराकनॉइड हैमरेज के कारण होने वाली लगभग 14% मौतों और विकलांगता के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है। यह स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स का क्या मतलब है?

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक तरह का टूल है, जो यह मापता है कि हवा कितनी साफ और स्वच्छ है। इसकी मदद से हम इस बात का भी अंदाजा लगा सकते हैं कि इसमें मौजूद एयर पॉल्यूटेंट्स से हमारी सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं।

AQI मुख्य रूप से 5 सामान्य एयर पॉल्यूटेंट्स के कॉन्सन्ट्रेशन को मापता है। इसमें ग्राउंड लेवल ओजोन, पार्टिकल पॉल्यूशन, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं। आपने AQI को अपने मोबाइल फोन पर या खबरों में आमतौर पर 80, 102, 184, 250 इन संख्याओं में देखा होगा।

AQI 400 के पार पहुंचने पर GRAP लगाया जाता है

हवा के प्रदूषण स्तर की जांच करने के लिए इसे 4 कैटेगरी में बांटा गया है। हर स्तर के लिए पैमाने और उपाय तय हैं। इसे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) कहते हैं। इसकी 4 कैटेगरी के तहत सरकार पाबंदियां लगाती है और प्रदूषण कम करने के उपाय जारी करती है।

GRAP के स्टेज

  • स्टेज I ‘खराब’ (AQI 201-300)
  • स्टेज II ‘बहुत खराब’ (AQI 301-400)
  • स्टेज III ‘गंभीर’ (AQI 401-450)
  • स्टेज IV ‘गंभीर प्लस’ (AQI >450)

दिल्ली प्रदूषण के पीछे क्या-क्या अहम फैक्टर्स हैं, किसकी कितनी हिस्सेदारी?

  1. पराली से प्रदूषण CPCB के मुताबिक दिल्ली में 37% प्रदूषण दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली जलाने से हुआ है। पंजाब में हर साल 70 से 80 लाख मीट्रिक टन पराली जलाई जाती है। हरियाणा, यूपी और एमपी में भी ये ट्रेंड दिखता है। सर्दियों में ये प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह बनती है।
  2. गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण इससे दिल्ली में 12% प्रदूषण बढ़ा है। 2023-24 के इकोनॉमिकल सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में 80 लाख के करीब गाड़ियां हैं। इनसे सबसे छोटे प्रदूषित कण PM 2.5 निकलते हैं। दिल्ली के प्रदूषण में 47% PM 2.5 इन्हीं वाहनों से निकलता है। यह वाहन न सिर्फ हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं बल्कि यह धूल से होने वाले प्रदूषण की भी वजह बनते हैं।
  3. फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल्स दिल्ली में प्रदूषण की तीसरी सबसे बड़ी वजह फैक्ट्रियां हैं। दिल्ली और इसके आसपास मौजूद इंडस्ट्री से PM 2.5 और PM 10 का उत्सर्जन होता है। द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (TERI) के मुताबिक, यह हवा में मौजूद 44% PM 2.5 और 41% PM 10 के लिए जिम्मेदार है।

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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