Friday, March 29, 2024
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छत्तीसगढ़- मगरमच्छ के बच्चों का रेस्क्यू: मुचनार घाट के किनारे नाले में मिले मगरमच्छ के 17 बच्चे, ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग ने रेस्क्यू कर इंद्रावती नदी में छोड़ा

दंतेवाड़ा: बस्तर की जीवनदायनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी के मुचनार घाट के किनारे रेत में मंगलवार को मगरमच्छ के 17 बच्चे मिले हैं। जिन्हें वन विभाग की टीम के द्वारा रेस्क्यू कर इंद्रावती नदी में छोड़ा गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि दंतेवाड़ा से होकर बहने वाली इंद्रावती नदी में इतनी भारी संख्या में मगरमच्छ के बच्चों को देखा गया है।

ऐसे मिली जानकारी

बताया जा रहा है कि इंद्रावती नदी के मुचनार घाट के किनारे कुछ ग्रामीण गए हुए थे। जिन्होंने नाले में झाड़ियों के बीच में रेत में दबे हुए मगरमच्छ के बच्चों को देखा। जिसकी सूचना ग्रामीणों ने वन कर्मियों को दी। मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारियों ने लगभग 17 मगरमच्छ के बच्चों को निकाल कर उन्हें सुरक्षित इंद्रावती नदी में छोड़ दिया। इस इलाके में पहली बार इतनी भारी संख्या में मगरमच्छ के बच्चे देखे गए हैं।

अभी मगरमच्छों का है प्रजननकाल

अभी मगरमच्छों का प्रजननकाल चल रहा है। इस समय इंद्रावती नदी में काफी संख्या में मगरमच्छ भी देखने को मिलते हैं। वहीं सामान्य तौर पर मुर्गियों की तरह मगरमच्छ अंडों की सिकाई नहीं करते हैं, बल्कि मगरमच्छ अंडों को रेत में दबाते हैं। एक मादा मगरमच्छ साल में लगभग 60 से 100 अंडे देती है। जिनमें से 30 से 35 ही सुरक्षित बच्चे निकलते हैं। यह संख्या कम और ज्यादा भी हो सकती है।

8 से 10 फिट होती है लंबाई

इंद्रावती नदी में पाए जाने वाले मगरमच्छों को मीठे पानी का मगरमच्छ कहा जाता है। इनकी लंबाई अमूमन 8 से 10 फिट की होती है। साथ ही अंडे से निकले मगरमच्छ के बच्चे 6 से 7 इंच लंबे होते हैं। शुरुआती 2 साल तक इनका शरीर तेजी से बढ़ता है। लेकिन फिर 5 से 7 सालों तक धीरे-धीरे ये बढ़ते हैं। 80 से 100 साल तक इन मगरमच्छों की उम्र होती है।

इंद्रावती नदी में है 300 से ज्यादा मगरमच्छ

दंतेवाड़ा वन विभाग के पूर्व SDO व जानकर शेखर स्वरूप ने भास्कर को बताया कि बोधघाट से लेकर तुमनार तक के क्षेत्र में इंद्रावती नदी में लगभग 300 से ज्यादा मगरमच्छ हैं। हालांकि यह आंकड़ा कुछ माह पहले का है। लेकिन अब इंद्रावती नदी में मगरमच्छों की संख्या भी बढ़ गई है। यहां बहुतायत की संख्या में मगरमच्छ पाए जाते हैं। जिन्हें मीठे पानी का मगर बोलते हैं।

सालभर पहले संरक्षण की बनी थी योजना

इंद्रावती नदी के सातधार में मगरमच्छ ब्रीडिंग सेंटर विकसित करने के लिए वन विभाग ने वाइल्ड लाइफ को सालभर पहले प्रस्ताव भेजा था। लेकिन इसकी अब तक स्वीकृति नहीं मिली है। अफसरों का दावा है कि यदि यहां मगरमच्छ ब्रीडिंग सेंटर विकसित होता है तो यह छत्तीसगढ़ का पहला मगरमच्छ ब्रीडिंग सेंटर हुआ।

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