Friday, April 19, 2024
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सरकार नहीं दे पाई दवा, दारू देने को मजबूर मां: जरूरतमंदों को रक्तदान करने वाले लड़के बीमार हुए तो सबने मुंह मोड़ा; इलाज के लिए 3.5 लाख रु. चाहिए, सरकारी योजनाएं काम नहीं आईं…

गरियाबंद/ शराब हमारे लिए खराब है। लगभग हर भारतीय मां अपने बच्चों को यह सीख जरूर देती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में रहने वाली एक मां अपने बच्चों को शराब देने के लिए मजबूर है। हर जरूरतमंद को रक्तदान करने वाले दो लड़कों को ऐसी बीमारी हुई कि उनके शरीर के नीचे के हिस्से का वजन बढ़ना शुरू हो गया। उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होने लगी।

मां अस्पताल लेकर गई तो डॉक्टर ने इलाज के लिए साढ़े तीन लाख रुपए का खर्च बता दिया। साथ में ये भी बताया कि इस बीमारी के इलाज में न आयुष्मान कार्ड काम आएगा और न ही कोई अन्य योजना। परिवार की मासिक आए 4 हजार रुपए से ज्यादा नहीं है। परेशान मां बच्चों को लेकर वापस आ गई और इलाज के पर्चे फेंक दिए। बच्चों को दर्द से तड़पता देख उन्हें शराब देकर दर्द से मुक्ति दिलाने का प्रयास करने लगी।

माधव और खिरसिंधु जब तक स्वस्थ थे, तो जरुरतमंद की मदद के लिए रक्तदान किया करते थे। आज इनकी मदद को कोई भी खड़ा होने तैयार नहीं है।

माधव और खिरसिंधु जब तक स्वस्थ थे, तो जरुरतमंद की मदद के लिए रक्तदान किया करते थे। आज इनकी मदद को कोई भी खड़ा होने तैयार नहीं है।

तीन साल पहले परिवार में सब बदल गया
देवभोग के यादवपारा निवासी खिरसिंधु (27) और माधव (32) पिता की मौत के बाद फॉरेस्ट नाका के आगे फास्ट फूड का छोटा सा टपरा चलाते थे। सब ठीक था, लेकिन 3 साल पहले इनका वजन बढ़ना शुरू हुआ और 70 से 80 किलो पहुंच गया। हालत यह हो गई कि खिरसिंधु खड़े होने में भी असमर्थ हो गया। उसके पैरों में जलन रहने लगी और कमर से नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। छोटे भाई के बीमार पड़ने के साल भर बाद ही माधव का भी यही हाल हो गया। अब दोनो भाई घसीटते हुए चलते हैं।

बेटों का दर्द नहीं देखा गया तो सप्ताह में दो बार देने लगी शराब
दोनों भाइयों का वजन लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके चलते 100-100 किलो से ज्यादा हो गया है। मां मालती बताती हैं कि दो साल पहले दोनों को मेकाहारा में भर्ती कराया था, लेकिन पता नहीं चल सका की बीमारी क्या है। दोनों के बीमार होने के बाद 6 सदस्यों का परिवार चलाने के लिए माधव की पत्नी मंजू और मालती बाई दूसरे के घरों में बर्तन धोती हैं। मालती कहती है कि कोई दवाई उनके दर्द को दूर नहीं करती। बेटों को तड़पते देखा तो शराब के कुछ घूंट देने लगी, इससे कुछ घंटों के लिए वे सो पाते हैं।

मां मालती बताती हैं कि दो साल पहले दोनों को मेकाहारा में भर्ती कराया था, लेकिन पता नहीं चल सका की बीमारी क्या है।

मां मालती बताती हैं कि दो साल पहले दोनों को मेकाहारा में भर्ती कराया था, लेकिन पता नहीं चल सका की बीमारी क्या है।

मंगलवार को माधव व खिरसिंधु की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची। उनका कहना था कि शराब के सेवन से किसी भी बीमारी से पूर्ण राहत नहीं मिलती। बेटों के दर्द से विचलित मां शराब दे रही होगी।

दोनों को 8 जुलाई को जिला अस्पताल में भर्ती किया जाएगा
BMO अंजू सोनवानी ने बताया कि दोनों भाइयों को मोटापे के अलावा हॉर्मोनल इन बैलेंस या न्यूरोलॉजी से जुड़ी बीमारी हो सकती है। दोनों को 8 जुलाई को जिला अस्पताल भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि चूंकि MRI और अन्य जांच की सुविधा रायपुर में है इसलिए उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद इन्हें रेफर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अल्कोहल में पाए जाने वाला यू-फेरिया तत्व मानसिक संतुष्टि का अहसास कराता है। इसके चलते शरीर में दर्द-थकान का अहसास नहीं होता है।

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