Thursday, August 21, 2025

नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट में बड़ा फैसला, मोदी सरकार कराएगी जाति जनगणना, इसी साल सितंबर से शुरू की जा सकती है

नई दिल्ली: केंद्र सरकार जाति जनगणना कराएगी। यह फैसला बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि जाति जनगणना, मूल जनगणना में ही शामिल होगी।

इसे बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। राज्य में सितंबर-अक्टूबर में चुनाव हैं। जाति जनगणना चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा है। बिहार जाति जनगणना कराने वाला पहला राज्य है।

जनगणना इस साल सितंबर से शुरू की जा सकती है। इसे पूरा होने में एक साल लगेगा। ऐसे में जनगणना के अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आएंगे। हालांकि जनगणना कब से शुरू होगी, इसके बारे में सरकार ने कुछ नहीं कहा है।

2021 में जनगणना को कोविड-19 महामारी के कारण टाल दिया गया था। जनगणना आमतौर पर हर 10 साल में की जाती है।

जातियों की गिनती के लिए एक्ट में संशोधन करना होगा

जनगणना एक्ट 1948 में एससी- एसटी की गणना का प्रावधान है। ओबीसी की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे ओबीसी की 2,650 जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। 2011 की जनगणना के अनुसार, मार्च 2023 तक 1,270 एससी, 748 एसटी जातियां हैं। 2011 में एससी आबादी 16.6% और एसटी 8.6% थी।

2011 में सामाजिक-आर्थिक गणना हुई, आंकड़े जारी नहीं हुए

मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाई गई थी। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने करवाया था। हालांकि इस सर्वेक्षण के आंकड़े कभी भी सार्वजनिक नहीं किए गए। ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर इसके एससी-एसटी हाउसहोल्ड के आंकड़े ही जारी किए गए हैं।

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा- कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, ‘1947 से जाति जनगणना नहीं की गई। कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया। 2010 में दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए। इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने जाति का सर्वेक्षण या जाति जनगणना कराने का फैसला नहीं किया।

जातिगत जनगणना पर पार्टियों का स्टैंड

  • विपक्षी पार्टियां: कांग्रेस समेत BJD, SP, RJD, BSP, NCP शरद पवार देश में जातिगत जनगणना की मांग कर रही हैं। TMC का रुख अभी साफ नहीं है। राहुल गांधी हाल ही में अमेरिका दौरे पर गए थे, वहां उन्होंने जातिगत जनगणना को सही बताया था।
  • NDA: पहले भाजपा जाति जनगणना के पक्ष में नहीं थी। NDA ने कांग्रेस समेत दूसरी विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाए थे कि ये जातिगत जनगणना के जरिए देश को बांटने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि बिहार में भाजपा ने ही जातिगत जनगणना का सपोर्ट किया था। बिहार ने अक्टूबर 2023 में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए थे। ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बना था।

फैसले पर किसने क्या कहा:

चिराग पासवान- देशहित में अहम फैसला लिया गया है। यह फैसला समावेशी विकास के लिए लिया गया है।

लालू यादव- हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला है।

केशव मौर्य- कांग्रेस के मुंह पर करारा तमाचा है। कांग्रेस केवल कहती है मोदी सरकार करती है। कांग्रेस पार्टी केवल ढोंग कर रही थी।

तेजस्वी यादव- यह फैसला हमारी जीत है। हमारी बात सरकार को माननी पड़ी।

कांग्रेस नेता उदित राज- यह कांग्रेस की जीत है। आखिरकार मोदी सरकार को जाति जनगणना करानी पड़ रही है।

केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय: जाति जनगणना का फैसला दर्शाता है कि सरकार देश और समाज के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

जातिगत जनगणना की मांग कब-कब रही

  • 80 के दशक में जातियों पर आधारित कई क्षेत्रीय पार्टियां उभरीं। इन पार्टियों ने सरकारी शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण दिए जाने को लेकर अभियान चलाया। इसी दौरान जातियों की संख्या के आधार पर आरक्षण की मांग सबसे पहले UP में बसपा नेता कांशीराम ने की।
  • भारत सरकार ने साल 1979 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के मसले पर मंडल कमीशन का गठन किया। मंडल कमीशन ने OBC के लोगों को आरक्षण देने की सिफारिश की। इस सिफारिश को 1990 में उस वक्त के प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने लागू किया। इसके बाद देशभर में सामान्य श्रेणी के छात्रों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किए।
  • साल 2010 में लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव जैसे OBC नेताओं ने मनमोहन सरकार पर जातिगत जनगणना कराने का दबाव बनाया। इसके साथ ही पिछड़ी जाति के कांग्रेस नेता भी ऐसा चाहते थे।
  • मनमोहन सरकार ने 2011 में सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना यानी SECC कराने का फैसला किया।
  • इसके लिए 4 हजार 389 करोड़ रुपए का बजट पास हुआ। 2013 में ये जनगणना पूरी हुई, लेकिन इसमें जातियों का डेटा आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।


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