बीजिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सोमवार को बीजिंग में चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सुरक्षा सलाहकारों की 20वीं बैठक के मौके पर हुई।
इस दौरान डोभाल ने साफ तौर पर कहा कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए आतंकवाद के हर रूप का मिलकर मुकाबला करना जरूरी है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि बैठक में दोनों देशों ने आपसी रिश्तों की हालिया प्रगति की समीक्षा की और दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंध बढ़ाने पर जोर दिया।
इससे पहले दिसंबर 2024 में भी डोभाल और वांग ने बीजिंग में बैठक की थी, जहां कैलाश मानसरोवर यात्रा, ट्रांस-बॉर्डर नदी सहयोग और नाथुला ट्रेड जैसे मुद्दों पर 6 सहमतियों पर फैसला हुआ था।

डोभाल 17 दिसंबर को भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की 23वीं बैठक में शामिल होने चीन पहुंचे थे।
डोभाल बोले- सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी
बैठक में यह तय हुआ कि अजीत डोभाल और वांग यी भारत में स्पेशल रिप्रजेंटेटिव (SR) स्तर की 24वीं वार्ता में जल्द मुलाकात करेंगे। NSA डोभाल ने यह भी कहा कि सीमा पर शांति बनाए रखना और आतंकवाद से कठोरता से निपटना जरूरी है।
पाक-भारत झड़प के बाद पहली बड़ी कूटनीतिक बैठक
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच 7 से 10 मई तक सैन्य झड़प हुई थी, जिसकी शुरुआत 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुई थी। चीन ने उस आतंकी हमले की निंदा तो की थी, लेकिन साथ ही यह भी सामने आया था कि उसने पाकिस्तान को जंग के दौरान हथियारों दिए हैं।
राजनाथ सिंह भी जाएंगे चीन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी 25 से 27 जून तक चीन के किंगदाओ शहर में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी शामिल होंगे।
यह किसी भी भारतीय मंत्री का 7 साल बाद चीन का दौरा होगा। इससे पहले अप्रैल 2018 में उस समय की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गई थीं।
राजनाथ की चीनी रक्षा मंत्री से द्विपक्षीय वार्ता होगी
राजनाथ सिंह की मुलाकात चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से द्विपक्षीय वार्ता के तौर पर भी होगी। इस दौरान दोनों देशों के बीच वीजा नीति, कैलाश यात्रा, जल आंकड़ों का साझा करना और हवाई संपर्क बहाल करने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है।
दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात लाओस में ADMM-प्लस शिखर सम्मेलन में हुई थी, जो सीमा विवाद के बाद पहली सीधी बातचीत थी।
दिसंबर 2024 में पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद पर समझौता हुआ
भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में 2020 से सीमा विवाद को लेकर तनाव था। दो साल की लंबी बातचीत के बाद दिसंबर 2024 एक समझौता हुआ है। इसमें तय हुआ कि दोनों सेनाएं विवादित पॉइंट्स देपसांग और डेमचोक से पीछे हटेंगी।
18 अक्टूबर: देपसांग और डेमचोक से पीछे हटने की जानकारी सामने आई थी। इसमें बताया गया था कि यहां से दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहली की स्थिति में वापस लौटेंगी। साथ ही उन्हीं क्षेत्रों में गश्त करेंगी, जहां अप्रैल 2020 से पहले किया करती थीं। इसके अलावा कमांडर लेवल मीटिंग होती रहेगी।
2020 में भारत-चीन के सैनिकों के बीच गलवान झड़प के बाद से देपसांग और डेमचोक में तनाव बना हुआ था। करीब 4 साल बाद 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच नया पेट्रोलिंग समझौता हुआ। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया था कि इसका मकसद लद्दाख में गलवान जैसी झड़प रोकना और पहले जैसे हालात बनाना है।
25 अक्टूबर: भारत और चीन की सेनाएं 25 अक्टूबर से पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटना शुरू हो गईं। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग पॉइंट में दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए गए। गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे ले जाए गए।

(Bureau Chief, Korba)