Friday, August 1, 2025

प्रधानमंत्री मोदी का ब्राजीलिया में इंडियन क्लासिकल डांस से स्वागत, आज ब्राजील के राष्ट्रपति से ट्रेड और डिफेंस पर बात करेंगे; कल नामीबिया जाएंगे

ब्राजीलिया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट में शामिल होने के बाद मंगलवार को रियो डी जनेरियो से ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया पहुंचे। यहां पर उनका स्वागत शिव तांडव स्तोत्र और भारतीय शास्त्रीय नृत्य से किया गया।

PM मोदी आज ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के साथ ट्रेड, डिफेंस, एनर्जी, स्पेस, टेक्नोलॉजी, खेती और हेल्थ समेत कई मुद्दों पर द्विपक्षीय चर्चा करेंगे।

भारतीय PM 2 जुलाई से 10 जुलाई तक 5 देशों की यात्रा पर हैं। अब तक वे घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना का दौरा कर चुके हैं। फिलहाल वे ब्राजील दौरे पर हैं और यहां से नामीबिया जाएंगे।

मोदी के ब्राजीलिया विजिट की 4 तस्वीरें…

पीएम मोदी सोमवार रात ब्राजीलिया एयरपोर्ट पर उतरे। यहां पर रक्षा मंत्री जोस म्यूसियो मॉन्टेरो फिल्हो ने उनका स्वागत किया।

पीएम मोदी सोमवार रात ब्राजीलिया एयरपोर्ट पर उतरे। यहां पर रक्षा मंत्री जोस म्यूसियो मॉन्टेरो फिल्हो ने उनका स्वागत किया।

पीएम मोदी के स्वागत में बड़ी संख्या में लोग एयरपोर्ट पर मौजूद थे।

पीएम मोदी के स्वागत में बड़ी संख्या में लोग एयरपोर्ट पर मौजूद थे।

ब्राजीलिया एयरपोर्ट पर बटाला मुंडो बैंड ने अपनी शानदार संगीत प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया। यह बैंड सांबा-रेगे परंपरा को प्रचारित करने के लिए लोकप्रिय है।

ब्राजीलिया एयरपोर्ट पर बटाला मुंडो बैंड ने अपनी शानदार संगीत प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया। यह बैंड सांबा-रेगे परंपरा को प्रचारित करने के लिए लोकप्रिय है।

ब्राजीलिया में स्थानीय कलाकारों ने सोमवार को पीएम मोदी का स्वागत शिव तांडव स्तोत्र से किया।

ब्राजीलिया में स्थानीय कलाकारों ने सोमवार को पीएम मोदी का स्वागत शिव तांडव स्तोत्र से किया।

PM मोदी के सम्मान में रंग-बिरंगे परिधानों में सजे कलाकारों ने पारंपरिक सांबा रेगे नृत्य की शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर इसकी सराहना भी की। पीएम मोदी ने कहा कि यह प्रस्तुति ब्राजील के समृद्ध विरासत को दर्शाती है।

PM मोदी कल जलवायु सम्मेलन में शामिल हुए

PM मोदी ने इससे पहले सोमवार को ब्रिक्स सम्मेलन में पर्यावरण, जलवायु सम्मेलन (COP-30) और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि लोगों और धरती का स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है।

मोदी ने कहा- कोरोना महामारी ने दिखा दिया कि बीमारी किसी पासपोर्ट या वीजा की मोहताज नहीं होती और इसका समाधान भी सबको मिलकर ही निकालना होता है। इसलिए, हमें अपने ग्रह को स्वस्थ रखने के लिए मिलकर कोशिश करनी होगी।

ब्रिक्स देशों ने पहलगाम हमले की निंदा की

BRICS देशों ने रविवार को 17वें BRICS सम्मेलन में 31 पेज और 126 पॉइंट वाला एक जॉइंट घोषणा पत्र जारी किया। इसमें पहलगाम आतंकी हमले और ईरान पर इजराइली हमले की निंदा की गई।

इससे पहले 1 जुलाई को भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की मेंबरशिप वाले QUAD (क्वाड) ग्रुप के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी पहलगाम हमले की निंदा की गई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समिट में कहा कि पहलगाम आतंकी हमला सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत पर चोट है। आतंकवाद की निंदा हमारा सिद्धांत होना चाहिए, सुविधा नहीं। इसके साथ ही उन्होंने एक नई विश्व व्यवस्था की मांग उठाई।

वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने BRICS से जुड़ने की इच्छा रखने वाले नए देशों पर एक्स्ट्रा 10% टैरिफ का ऐलान किया है।

BRICS समिट के दूसरे दिन की तस्वीरें…

ब्रिक्स ग्रुप के नेता रियो डी जेनेरियो में समिट के दौरान 7 जुलाई को बैठक में हिस्सा लेते हुए।

ब्रिक्स ग्रुप के नेता रियो डी जेनेरियो में समिट के दौरान 7 जुलाई को बैठक में हिस्सा लेते हुए।

ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स समिट के दौरान ब्रिक्स ग्रुप के लीडर्स ग्रुप फोटो के लिए पोज देते हुए।

ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स समिट के दौरान ब्रिक्स ग्रुप के लीडर्स ग्रुप फोटो के लिए पोज देते हुए।

ब्रिक्स समिट में ग्रुप फोटो के लिए पोज देते समय एक-दूसरे से हाथ मिलाते PM मोदी, ब्राजीली राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा (बीच में) और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा।

ब्रिक्स समिट में ग्रुप फोटो के लिए पोज देते समय एक-दूसरे से हाथ मिलाते PM मोदी, ब्राजीली राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा (बीच में) और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा।

BRICS में PM मोदी के संबोधन की अहम बातें

1. BRICS की असली ताकत है इसकी विविधता

PM मोदी ने कहा कि BRICS देशों की अलग-अलग सोच और बहुध्रुवीय दुनिया में भरोसा ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।

2. न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) को सोच-समझकर निवेश करना चाहिए

उन्होंने कहा कि बैंक को सिर्फ उन्हीं प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाना चाहिए जो जरूरी हों, लंबे समय तक फायदे वाले हों और जिससे बैंक की साख बनी रहे।

3. विज्ञान और रिसर्च के लिए साझा प्लेटफॉर्म बनाने का सुझाव

PM मोदी ने एक ऐसा BRICS रिसर्च सेंटर बनाने का प्रस्ताव रखा, जहां सब देश मिलकर विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर काम कर सकें।

4. संसाधनों का गलत इस्तेमाल न हो

मोदी ने कहा कि किसी देश को यह हक नहीं कि वो किसी भी संसाधन को सिर्फ अपने फायदे के लिए या हथियार की तरह इस्तेमाल करे।

5. डिजिटल कंटेंट पर कंट्रोल जरूरी

उन्होंने कहा कि हमें ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिससे पता चले कि कोई डिजिटल जानकारी असली है या नहीं, वो कहां से आई, और उसका गलत इस्तेमाल न हो।

6. भारत में होगी AI इम्पैक्ट समिट

PM मोदी ने बताया कि भारत जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर एक बड़ा सम्मेलन करेगा, जिसमें इसकी चुनौतियों और अच्छे उपयोग पर चर्चा होगी।

ट्रम्प की BRICS से जुड़ने वाले देशों पर 10% एक्स्ट्रा टैरिफ की धमकी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने BRICS से जुड़ने वाले देशों को धमकी दी है। उन्होंने रविवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि जो भी देश अमेरिका विरोधी BRICS नीतियों के साथ खुद को जोड़ेंगे, उन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इसमें किसी को भी छूट नहीं मिलेगी।

दरअसल, BRICS घोषणा पत्र में विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के खिलाफ बढ़ते टैरिफ पर चिंता जताई गई। इन टैरिफ को वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला के लिए खतरा बताया गया। हालांकि, इसमें सीधे तौर पर अमेरिका का नाम नहीं लिया गया।

PM मोदी के भाषण की अन्य प्रमुख बातें…

ग्लोबल साउथ के साथ भेदभाव:

  1. PM मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ डेवलपमेंट, रिसोर्स डिस्ट्रीब्यूशन और सुरक्षा जैसे मुद्दों में दोहरे मापदंड का शिकार रहा है।
  2. ग्लोबल साउथ के हितों को प्राथमिकता नहीं दी गई, लेकिन भारत हमेशा मानवता के हित में अपने स्वार्थों से ऊपर उठकर काम करता है।

ब्रिक्स का विस्तार और सुधार:

  1. ब्रिक्स का विस्तार और नए देशों का शामिल होना इसकी समय के साथ बदलने की क्षमता को दर्शाता है।
  2. PM मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और न्यू डेवलपमेंट बैंक में सुधार की जरूरत पर बल दिया।

आतंकवाद पर कड़ा रुख:

  1. PM मोदी ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया।
  2. 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला भारत की आत्मा, पहचान, और गरिमा पर हमला है, जो पूरी मानवता के खिलाफ है।

आतंकवाद पर सख्ती की मांग:

  1. आतंकवाद की निंदा को सिद्धांत बनाना चाहिए, न कि सुविधा के आधार पर।
  2. आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। आतंकवाद के पीड़ितों और समर्थकों को एक ही तराजू पर नहीं तौला जा सकता।
  3. व्यक्तिगत या राजनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद को मौन समर्थन देना स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

शांति और सहयोग पर जोर:

  1. पश्चिम एशिया से यूरोप तक फैले विवाद और तनाव पर चिंता जताई, खासतौर से गाजा की स्थिति पर।
  2. भारत, बुद्ध और गांधी की धरती है, वह युद्ध और हिंसा को खारिज करता है। शांति ही मानवता के कल्याण का एकमात्र रास्ता है।
  3. भारत दुनिया को विभाजन और संघर्ष से दूर ले जाने और संवाद, सहयोग, और एकता की दिशा में ले जाने की हर कोशिश का समर्थन करता है।
  4. भारत सभी मित्र देशों के साथ सहयोग और साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन की राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन की राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे।

BRICS क्या है?

BRICS की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक वह 11 प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है। इनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब और इंडोनेशिया शामिल हैं।

इसका मकसद इन देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें शुरुआत में 4 देश थे, जिसे BRIC कहा जाता था। यह नाम 2001 में गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने दिया था।

तब उन्होंने कहा था कि ब्राजील, रूस, भारत और चीन आने वाले दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएंगे। बाद में ये देश एक साथ आए और इस नाम को अपनाया।

BRICS को बनाने की जरूरत और आगे का सफर

सोवियत संघ के पतन के बाद और 2000 के शुरुआती सालों में दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पश्चिमी देशों का दबदबा था। अमेरिका का डॉलर और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) फैसले करती थीं।

इस अमेरिकी दबदबे को कम करने के लिए रूस, भारत, चीन और ब्राजील BRIC के तौर पर साथ आए, जो बाद में BRICS हो गया। इन देशों का मकसद ग्लोबल साउथ यानी विकासशील और गरीब देशों की आवाज को मजबूती देना था।

2008-2009 में जब पश्चिमी देश आर्थिक संकट से गुजर रहे थे। तब BRICS देशों की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही थी।

आर्थिक संकट से पहले पश्चिमी देश दुनिया की 60% से 80% अर्थव्यवस्था को कंट्रोल कर रहे थे, लेकिन मंदी के दौर में BRICS देशों की इकोनॉमिक ग्रोथ से पता चला कि इनमें तेजी से बढ़ने और पश्चिमी देशों को टक्कर देने की क्षमता है।

2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग में हुई बैठक में BRICS देशों ने मल्टीपोलर वर्ल्ड यानी बहुध्रुवीय दुनिया की कल्पना की गई, जहां पश्चिमी देशों की आर्थिक पकड़ कमज़ोर हो और सभी देशों को बराबरी का हक मिले।

2014 में BRICS ने एक बड़ा कदम उठाते हुए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए फंड देता है। इसके साथ-साथ एक रिजर्व फंड भी बनाया गया ताकि आर्थिक संकट के समय इन देशों को अमेरिकी डॉलर पर निर्भर न रहना पड़े।


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