झालरौंदा निवासी रमेश कुमार चंद्रा जल संसाधन विभाग द्वारा अधिकृत की गई भूमि का मुआवजा लंबे इंतजार के बाद भी नहीं मिलने के कारण आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। इसके पूर्व उन्होंने 11 अगस्त को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को पत्र के माध्यम से आमरण अनशन करने की पूर्व सूचना दी थी। जिस पर संबंधित विभाग ने कार्रवाई नहीं की। आखिरकार बुधवार को पीड़ित रमेश चंद्रा कचहरी चौक पर आमरण अनशन पर बैठ गए।
पीड़ित रमेश कुमार चंद्रा ने बताया कि सम्मिलित खाते में 23 किसान हैं, जिसमें बलभद्र प्रसाद पिता नंदलाल चंद्रा एवं अन्य 22 खाते तारों की ग्राम झालरौंदा तहसील से जैजैपुर में स्थित खसरा नंबर 14 ,15, 16, 17 कुल रकबा 6.38 एकड़ भूमि स्वामी हक की जमीन में से जल संसाधन विभाग द्वारा 1968 से 1974 के बीच झालरौंदा व्यपवर्तन योजना का निर्माण के लिए लिया था। इस पर आज पर्यंत तक किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका है।
पिछले 7 वर्षों से निरंतर प्रयास के बावजूद मुआवजा नहीं मिलने पर हाईकोर्ट बिलासपुर की शरण में जाने के बाद उन्हें डब्ल्यूपीसी 2992/ 2017, 10 नवम्बर को पारित आदेश के तहत कलेक्टर को 3 माह के भीतर प्रकरण का निराकरण करने का निर्देश दिया था, लेकिन उक्त निर्देश के 4 वर्ष बीतने के बाद भी किसानों को राशि का भुगतान नहीं किया गया। रमेश चंद्रा ने कहा कि राजस्व विभाग एवं जल संसाधन विभाग द्वारा भी संयुक्त मौका जांचकर प्रतिवेदन भेजा जा चुका है, जो कि किसानों के पक्ष में दिया गया है, जमीन किसानों के नाम पर होने के कारण झालरौंदा व्यपवर्तन योजना का जीर्णोद्धार पुनर्निर्माण भी नहीं हो सका है। इसे झालरौंदा, बर्रा एवं चिखल रौंदा के लगभग 1000 एकड़ जमीन में सिंचाई नहीं हो पाई है।