Thursday, August 7, 2025

जन-धन योजना के 10 साल पूरे, बैंक खाता में फिर करानी होगी KYC, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दिए निर्देश

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आज 3 बदलावों की घोषणा की है। ये बदलाव जन-धन स्कीम, डेड अकाउंट होल्डर्स क्लेम और निवेश से जुड़े हैं।

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की 4 से 6 अगस्त तक चली मीटिंग में इन बदलावों पर फैसला लिया गया। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज यानी 6 अगस्त को इसकी जानकारी दी।

यहां 3 पॉइंट्स में समझिए आम आदमी से जुड़े बड़े बदलाव…

1. जन धन योजना के लिए होगी री-केवाईसी

जन धन योजना के लिए विशेष अभियान जन धन योजना को 10 साल पूरे हो चुके हैं। इसके बाद बहुत से अकाउंट होल्डर्स को अपना KYC अपडेट कराना है। इसे देखते हुए, RBI ने बैंकों को 1 जुलाई से 30 सितंबर तक ग्राम पंचायत स्तर पर विशेष कैंप लगाने का निर्देश दिया है।

इन कैंपों में लोग अपना री-केवाईसी करा सकेंगे, नए खाते खुलवा सकेंगे और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसी सरकारी योजनाओं की जानकारी भी ले सकेंगे।

किसे करानी है री-केवाईसी ?

जिन खातों को 2014-2015 में खोला गया था, उनके होल्डर्स को री-केवाईसी करानी होगी, क्योंकि इन खातों की KYC वैधता 10 साल की है। अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए ये प्रक्रिया जरूरी है। बैंक खातों को सही दस्तावेजों के साथ लिंक करने और किसी भी तरह की फ्रॉड से बचने के लिए बैंक री-केवाईसी प्रोसेस कर रहे हैं।

2. डेड अकाउंट होल्डर्स के क्लेम्स के लिए एक प्रोसेस

RBI ने डेड अकाउंट होल्डर्स के क्लेम्स सेटलमेंट के लिए यूनिफॉर्म प्रोसेस की घोषणा की है। अभी तक, हर बैंक के नियम अलग होते थे, जिससे परिवार वालों को कंफ्यूजन, सेटेलमेंट में देरी और परेशानी होती थी।

जल्द ही सभी बैंकों के लिए मृत ग्राहकों के क्लेम सेटलमेंट (दावे के निपटारे) के लिए एक जैसे नियम लागू किए जाएंगे। नॉमिनी, कानूनी वारिस या परिवार के सदस्यों के लिए एक जैसी प्रक्रिया और एक जैसे दस्तावेज होंगे। इससे बैंक में क्लेम करना और पैसे निकालना आसान हो जाएगा।

3. सरकारी बॉन्ड में निवेश होगा ऑटोमैटिक

RBI ने रिटेल निवेशकों (आम लोगों) के लिए सरकारी बॉन्ड्स (ट्रेजरी बिल्स या T-bills) में निवेश करना सरल बना दिया है। RBI के ‘रिटेल डायरेक्ट’ पोर्टल पर एक नया ‘ऑटो-बिडिंग’ फीचर जोड़ा गया है।

इस फीचर से आप एक बार में ही नए और दोबारा निवेश के लिए ऑटोमैटिक बोली लगा सकते हैं। इससे आपको बार-बार मैन्युअल रूप से बोली लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

T-बिल्स में फ्रेश इन्वेस्टमेंट्स और री-इन्वेस्टमेंट्स को ऑटोमेटिक बिड्स के जरिए शेड्यूल कर सकेंगे। उदाहरण के लिए, अगर कोई इन्वेस्टर रेगुलरली T-बिल्स में निवेश करना चाहता है, तो वह इसे ऑटोमेटिक सेट कर सकता है।


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