Wednesday, October 29, 2025

              नई दिल्ली: ड्रीम 11 ने टीम इंडिया की स्पॉन्सरशिप छोड़ी, ₹358 करोड़ में 2026 तक के लिए कॉन्ट्रैक्ट था; गेमिंग एप के खिलाफ बने कानून का असर

              नई दिल्ली: एशिया कप 2025 से पहले ड्रीम-11 ने भारतीय क्रिकेट टीम के लीड स्पॉन्सर से हटने का फैसला किया है। NDTV की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 9 सितंबर से शुरू हो रहे एशिया कप में भारतीय टीम की जर्सी पर ड्रीम 11 की ब्रांडिंग नजर आना मुश्किल है।

              यह फैसला ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के पास होने के बाद लिया गया है। बिल में ड्रीम 11 जैसे रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को बैन किया गया है। ड्रीम 11 ने 2023 में बीसीसीआई के साथ 358 करोड़ रुपए में तीन साल का स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, जो 2026 तक का है।

              इस डील के तहत बीसीसीआई को हर घरेलू मैच के लिए 3 करोड़ और विदेशों में खेले गए हर मैच के लिए 1 करोड़ रुपए मिलते थे। कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद बीसीसीआई अब नए स्पॉन्सर के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रहा है।

              बीसीसीआई सेक्रेटरी देवजीत सैकिया ने कहा कि बीसीसीआई केंद्र सरकार की हर पॉलिसी फॉलो करता है। अगर स्पॉन्सरशिप जारी रखना अनुमति नियमों के खिलाफ है, तो बोर्ड कोई कदम नहीं उठाएगा। हालांकि बीसीसीआई और ड्रीम 11 की तरफ से अब तक कोई ऑफिशियल कन्फर्मेशन नहीं आया है।

              ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के बाद ड्रीम 11 ने पेड कॉन्टेस्ट बंद कर दिए हैं।

              ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के बाद ड्रीम 11 ने पेड कॉन्टेस्ट बंद कर दिए हैं।

              ड्रीम 11 की 67% कमाई रियल मनी सेगमेंट से होती थी

              ड्रीम 11 का रियल मनी गेमिंग सेगमेंट कंपनी की कुल कमाई का 67% हिस्सा है। यानी, कंपनी की ज्यादातर कमाई फैंटेसी क्रिकेट जैसे गेम्स से आती थी।

              यहां यूजर्स पैसे लगाकर अपनी टीमें बनाते थे और जीतने पर कैश प्राइज पाते थे। नए बिल के तहत ये गेम्स अब गैरकानूनी हो गए हैं।

              रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के CEO हर्ष जैन ने कर्मचारियों को बताया कि नए कानून के तहत रियल मनी गेमिंग को जारी रखने का कोई कानूनी रास्ता नहीं है।

              इस वजह से ड्रीम 11 ने अपने इस कोर बिजनेस को बंद करने का फैसला किया। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी अब अपने नॉन-रियल मनी गेमिंग वेंचर्स पर फोकस करेगी।

              इसमें स्पोर्ट्स ड्रिप और फैनकोड शामिल है। इसके अलावा, कंपनी अपनी दूसरी इनवेस्टमेंट्स जैसे विलो टीवी और क्रिकबज को बढ़ाने और विदेशी बाजारों में विस्तार पर ध्यान देगी।

              ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली

              इससे पहले बिल 22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। अब ये कानून बन गया है। 21 अगस्त 2025 को राज्यसभा ने और उससे एक दिन पहले लोकसभा ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को मंजूरी दी थी। इस बिल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेश किया था।

              इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ऑनलाइन गेमिंग बिल पेश किया था।

              इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ऑनलाइन गेमिंग बिल पेश किया था।

              ऑनलाइन गेमिंग कानून में 4 सख्त नियम

              इस कानून में कहा गया है कि चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड दोनों पर रोक लगेगी।

              • रियल-मनी गेम्स पर रोक: कोई भी मनी बेस्ड गेम ऑफर करना, चलाना, प्रचार करना गैरकानूनी होगा। ऑनलाइन गेम खेलने वालों को कोई सजा नहीं होगी।
              • सजा और जुर्माना: अगर कोई रियल-मनी गेम ऑफर करता है या उसका प्रचार करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। विज्ञापन चलाने वालों को 2 साल की जेल और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
              • रेगुलेटरी अथॉरिटी: एक खास अथॉरिटी बनाई जाएगी, जो गेमिंग इंडस्ट्री को रेगुलेट करेगी, गेम्स को रजिस्टर करेगी और ये तय करेगी कि कौन सा गेम रियल-मनी गेम है।
              • ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: पबजी और फ्री फायर जैसे ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को सपोर्ट किया जाएगा। ये गेम्स बिना पैसे वाले होते हैं इसलिए इन्हें बढ़ावा मिलेगा।

              मनी बेस्ड गेमिंग से आर्थिक नुकसान हो रहा

              सरकार का कहना है कि मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग की वजह से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है। कुछ लोग गेमिंग की लत में इतना डूब गए कि अपनी जिंदगी की बचत तक हार गए और कुछ मामलों में तो आत्महत्या की खबरें भी सामने आईं।

              इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और नेशनल सिक्योरिटी को लेकर भी चिंताएं हैं। सरकार इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाना चाहती है।

              मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा, “ऑनलाइन मनी गेम्स से समाज में एक बड़ी समस्या पैदा हो रही है। इनसे नशा बढ़ रहा है, परिवारों की बचत खत्म हो रही है।

              अनुमान है कि करीब 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं और मिडिल-क्लास परिवारों के 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।” उन्होंने यह भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में मान्यता दी है।

              ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से

              भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता है। 2029 तक इसके करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन अब इन्हें रियल मनी गेम्स बंद करने पड़ेंगे।

              इंडस्ट्री के लोग कह रहे हैं कि सरकार के इस कदम से 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार को हर साल करोड़ों रुपए के टैक्स का नुकसान भी हो सकता है।


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