- कृषकों को समसामयिक सलाह
रायपुर: कृषि विज्ञान के वैज्ञानिकों किसानों को खड़ी फसलों की सुरक्षा एवं उत्पादन वृद्धि हेतु मौसम साफ रहने पर ही उर्वरक एवं कवकनाशी का छिड़काव करने की सलाह दी है। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार आगामी दिनों में राज्य में मध्यम वर्षा की संभावना व्यक्त की गई है। ऐसे में किसानों को सलाह दी गई है कि उर्वरक एवं कवकनाशी का छिड़काव केवल मौसम साफ रहने पर ही करें।
धान की फसल में हरी काई की समस्या दिखाई देने पर खेत से पानी निकालने तथा पानी प्रवेश बिंदु पर आवश्यकतानुसार कॉपर सल्फेट की पोटली बांधकर रखने की सलाह दी गई है। धान कंस निकलने की अवस्था में नत्रजन उर्वरक की दूसरी मात्रा के रूप में यूरिया का 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करने की अनुशंसा की गई है। जीवाणु जनित झुलसा रोग की रोकथाम हेतु संतुलित उर्वरकों का उपयोग करने तथा रोग प्रकट होने पर पोटाश 8-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है।
धान में तना छेदक रोग के प्रकोप की स्थिति में कर्टाप हाइड्रोक्लोराइड 50 डब्ल्यूपी एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 150 मिली प्रति हेक्टेयर को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने को कहा गया है। नत्रजन का छिड़काव कुल अनुशंसित मात्रा का एक चौथाई (30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) रोपाई के 25-30 दिन बाद यूरिया के रूप में करने तथा तत्पश्चात खेत में 24 घंटे तक पानी रोककर रखने की सलाह दी गई है। पोटाश की शेष 25 प्रतिशत मात्रा का भी छिड़काव इसी अवधि में करना चाहिए। धान में शीथ ब्लाइट रोग की स्थिति में हेक्साकोनाजोल 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है।
सोयाबीन की फसल में गर्डल बीटल (चक्र भृंग) की समस्या होने पर थाइक्लोपीड 21.7 एससी 750 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों एवं सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पूर्व मिश्रित कीटनाशक (बीटासायफ्लुथ्रीन-इमिडाक्लोप्रिड 350 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा थायमिथाक्सम-लेम्बडा सायहेलोथ्रीन 125 मिली प्रति हेक्टेयर) का प्रयोग किया जाना चाहिए। यह उपाय तना मक्खी के नियंत्रण में भी सहायक सिद्ध होगा। अरहर की फसल में तना अंगमारी (स्टेम ब्लाइट) रोग की प्रारंभिक अवस्था में ताम्रयुक्त कवकनाशी 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या मेटालेक्सिल एमजेड 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव 10-12 दिन के अंतराल में दो-तीन बार करने पर रोकथाम संभव है।
मूंग व उड़द की फसल में भभूतिया रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) दिखाई देने पर घुलनशील गंधक 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। सफेद मक्खी के आक्रमण से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रीड 0.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव प्रभावी होगा। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार मध्यम वर्षा की संभावना को देखते हुए किसानों को मूंग एवं उड़द फसलों में अतिरिक्त जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करने कहा गया है।

(Bureau Chief, Korba)