Thursday, September 25, 2025

महाराष्ट्र: मेडिकल कॉलेज में एडमिशन से पहले स्टूडेंट का सुसाइड, NEET में 99.99%, देश में 1475 रैंक थी; नोट में लिखा- डॉक्टर नहीं बनना चाहता

महाराष्ट्र: चंद्रपुर जिले के रहने वाले 19 साल के छात्र अनुराग अनिल बोरकर ने सोमवार को सुसाइड कर लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस दिन उसे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जाकर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेना था, उसी दिन उसने यह कदम उठाया।

अनुराग चंद्रपुर के नवरगांव (सिंदेवाही तहसील) का रहने वाला था। उसने हाल ही में नीट यूजी 2025 परीक्षा में 99.99 पर्सेंटाइल मिले थे। अनुराग ने ओबीसी कैटेगरी में ऑल इंडिया रैंक 1475 हासिल की थी।

पुलिस ने बताया कि सोमवार सुबह अनुराग अपने घर पर ही था और गोरखपुर जाने की तैयारी कर रहा था। इसी दौरान उसने घर में फांसी लगा ली। परिवार और पड़ोसियों को जब तक पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है।

सूत्रों के मुताबिक नोट में लिखा है-

मुझे MBBS करने की इच्छा नहीं है जितना एक डॉक्टर कमाता है। उतना एक बिज़नेसमैन भी कमा सकता है। पांच साल की पढ़ाई, उसके बाद MD… यह सब मुझे नहीं करना है।

अनुराग विदेश में पढ़ना चाहता था

सूत्रों का कहना है कि अनुराग विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करना चाहता था। हालांकि, उसके परिवार ने उस पर भारत में एडमिशन लेने का दबाव बनाया क्योंकि उसे एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट मिल गई थी। माना जा रहा है कि इसी विवाद के कारण उसने यह दुखद कदम उठाया।

जानकारी के मुताबिक, अनुराग ने लगातार दो बार NEET परीक्षा दी थी। पहले साल भी उसे MBBS में प्रवेश मिल गया था, लेकिन कॉलेज पसंद न आने से उसने दोबारा मेहनत कर परीक्षा दी। नवरगांव पुलिस परिवार से पूछताछ कर रही है और सुसाइड नोट की असलियत की भी जांच की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को स्टूडेंट सुसाइड की बढ़ती घटनाओं को लेकर चिंता जताई थी और इसे सिस्टम की नाकामी बताया। कोर्ट ने कहा कि इन घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा था कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में बढ़ते आंकड़े परेशान करने वाले हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में देशभर में कुल 1 लाख 70 हजार 924 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 13,044 छात्र थे। साल 2001 में स्टूडेंट्स की मौत के आंकड़े 5,425 थे।

NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, 100 आत्महत्याओं में करीब 8 छात्र शामिल थे। इनमें से 2,248 छात्रों ने सिर्फ इसलिए जान दे दी, क्योंकि वे परीक्षा में फेल हो गए थे।



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