बिलासपुर में रविवार की सुबह करगी रोड रेलवे स्टेशन के बाहर बड़ी संख्या में नगर संघर्ष समिति के लोग पहुंच गए। समिति की मांग थी कि कोटा रेलवे स्टेशन में प्रमुख ट्रेनों का स्टॉपेज दिया जाए। हालांकि प्रशासन को इस प्रदर्शन की जानकारी पहले से हो गई थी। इससे बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती स्टेशन के बाहर और अंदर की गई थी। प्रदर्शन के दौरान समिति के सदस्यों और पुलिस बल के बीच झूमाझटकी भी हो गई, लेकिन प्रदर्शनकारी किसी तरह स्टेशन के अंदर घुसने में कामयाब हो गए। इसके बाद प्रदर्शनकारी रेलवे प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते रहे।
दरअसल, कोरोना से पहले करगी रोड कोटा रेलवे स्टेशन पर बिलासपुर रीवा पैसेंजर, नर्मदा एक्सप्रेस और चिरमिरी एक्सप्रेस जैसी प्रमुख ट्रेनें रुकती थीं। इन ट्रेनों के जरिए क्षेत्र के लोग और व्यापारी आसपास के क्षेत्रों में जा पाते थे। लेकिन सेकेंड वेव के बाद से स्टेशन पर यह ट्रेनें नहीं रुकती, जिससे क्षेत्र के लोगों का आवागमन और व्यापार प्रभावित हो रहा है।
प्रदर्शनकारियों को स्टेशन में जाने से रोकते पुलिस कर्मी।
विरोध का हक, लेकिन गड़बड़ी होने पर कार्रवाई
पूरे मामले को लेकर रेलवे प्रबंधन की ओर से साफ कर दिया गया कि वह मांगों के पक्ष में हैं। लेकिन ट्रेन के स्टॉपेज बोर्ड तय करता है। जोन या डिवीजन के पास इसका कोई अधिकार नहीं। प्रबंधन ने इन मांगों की सूचना बोर्ड को दे दी है। लेकिन ट्रेनों को रोकने और उनकी आवाजाही में गड़बड़ी हुई तो कानून अपना काम करेगा। दोषियों पर रेल अधिनियम का प्रावधान लागू होगा और होने वाले नुकसान की वसूली भी की जाएगी।
समझाइश के बाद प्रदर्शनकारी वापस लौटे
प्रदर्शनकारियों को रेलवे अधिकारियों की तरफ से आश्वासन दिया गया कि 24 सितंबर को बिलासपुर में रेलवे के बड़े अधिकारियों की बैठक है। जहां पर इस मुद्दे को लेकर भी चर्चा हो सकती है। जिसके बाद ट्रेनों कि स्टॉपेज को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है। रेलवे की ओर से दिए गए इस आश्वासन पर समिति के सदस्यों ने कहा कि अगर 24 तक कोई फैसला नहीं हुआ तो फिर दोगुनी ताकत के साथ आंदोलन करेंगे।