Saturday, April 20, 2024
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स्मृति शेष: पूर्व सांसद अनुरागी जी, रहस लोक-परंपरा के अंतिम कला-गुरु थे; रतनपुर में हुआ निधन… नेताओं की भीड़ में पहचान लेती थीं इंदिरा गांधी…

1967 और 1972 में मस्तूरी से विधायक और 1980 में बिलासपुर से कांग्रेस के सांसद रह चुके गोदिल प्रसाद अनुरागी का 93 साल की आयु में रविवार सुबह रतनपुर में निधन हो गया। आदिवासियों, सतनामी, पिछड़े समुदाय के लिए आखिरी सांस तक लड़ने वाले इस नेता की एक और पहचान थी। अनुरागी जी छत्तीसगढ़ी लोक कला, रहस के बड़े कलाकार थे। उन्हें इस लोक-परंपरा के अस्तित्व बचाए रखने के लिए भी जाना जाता है। वरिष्ठ पत्रकार व प्रसिद्ध लेखक सतीश जायसवाल ने भास्कर के लिए उन्हें याद किया।

“वे लोक-परंपरा की जड़ों से जुड़े खांटी छत्तीसगढ़िया थे। विधायक बनने से पहले, सांसद बनने के बाद कभी भी वे रहस और अपनी संस्कृति को नहीं भूले। उन्होंने इतनी सादगी से जीवन बिताया कि यह किसी उस कद के नेता के लिए संभव नहीं लगता। वे हमेशा धोती-कुर्ते में, हाथों में किसी गांव, बस्ती, लोगों की मदद करने के कागज लिए कलेक्ट्रेट के आस-पास मिल जाते थे। पैदल ही घूम रहे इस बुजुर्ग को देखकर यह अनुमान लगाना कठिन होता था कि वे ऐसे नेता हैं, जिन्हें नेताओं की भीड़ में भी इंदिरा गांधी नाम से पुकारती थीं। वे अंतिम समय तक समाज के वंचित लोगों की लड़ाई लड़ते रहे“

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ गोदिल प्रसाद अनुरागी। तस्वीर उस समय की है जब गोदिल प्रसाद बिलासपुर सांसद थे और इंदिरा गांधी यहां प्रवास पर आईं थीं। श्यामाचरण शुक्ल भी मौजूद थे।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ गोदिल प्रसाद अनुरागी। तस्वीर उस समय की है जब गोदिल प्रसाद बिलासपुर सांसद थे और इंदिरा गांधी यहां प्रवास पर आईं थीं। श्यामाचरण शुक्ल भी मौजूद थे।

गांवों में रहस प्रचारित किया और युवाओं को सिखाया भी

सतीश जायसवाल बताते हैं कि “अनुरागी जी छत्तीसगढ़ की एक विशिष्ठ लोक कला रहस के मंझे हुए कलाकार थे। रहस दरअसल रासलीला, रास का स्थानीय रूप है। कृष्ण लीला पर आधारित नृत्य नाटिकाओं का इसमें मंचन किया जाता है। गोदिल प्रसाद इसमें गायक-कलाकार के रूप में शामिल होते रहे फिर उन्होंने गांव-गांव में इसका मंचन कराया। इसके नए कलाकार तैयार किए। संस्कृति विभाग को इसकी जानकारी होगी। यहां खैरागढ़ में एक कला विश्वविद्य़ालय है वहां भी अनुरागी जी की कला को सहेजा गया हो ऐसा लगता है। अनुरागी जी पर जो सबसे विश्वसनीय दस्तावेज जो मुझे याद आता है वह आकाशवाणी दिल्ली का एक इंटरव्यू है। उस समय के महानिदेशक लीलाधर मंडलोई ने कला गुरुओं के जो इंटरव्यू लिए थे, उसमें गोदिल प्रसाद भी थे। यह आकाशवाणी के आर्काइव में उपलब्ध है। उनका जाना रहस के अंतिम कला-गुरु का जाना है। “

छत्तीसगढ़ बनने के बाद राजनीति में मौका नहीं मिला, लेकिन सम्मान बहुत था

मध्यप्रदेश की राजनीति में अनुरागी जी दो बार विधायक और एक बार ही सांसद रहे, इसके बाद उन्हें टिकिट नहीं मिली लेकिन उनका सम्मान बिलासपुर के नेताओं में बना रहा। छत्तीसगढ़ बनने के बाद उन्हें यहां की राजनीति में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। उनकी बेटी तान्या अनुरागी को 1996 में बिलासपुर संसदीय सीट से कांग्रेस ने टिकट दी थी, लेकिन वे हार गईं। हाल ही में कांग्रेस नेता शिवा मिश्रा ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को उनकी तबियत की जानकारी दी थी। इसके बाद उन्हें निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था, लेकिन स्थिति नहीं सुधरी।

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