वॉशिंगटन डीसी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें कहा गया है कि अगर कतर पर किसी भी तरह का हमला होता है तो अमेरिका उसकी रक्षा करेगा। आदेश में कहा गया है कि कतर पर हमला अमेरिका की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा माना जाएगा।
इसमें यह भी जोड़ा गया है कि हमले की स्थिति में अमेरिका सभी तरह के उपाय करने के लिए तैयार रहेगा, चाहे वो राजनयिक हों, आर्थिक हों या फिर जरूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई ही क्यों न करनी पड़े।
इजराइल ने 9 सितंबर को दोहा में हमास आतंकियों को निशाना बनाकर हमला किया था, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद ट्रम्प पर कतर की सुरक्षा का दबाव बढ़ गया था।
इसके बाद ट्रम्प ने 29 सितंबर को इजराइली PM नेतन्याहू से कतर के PM शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी को फोन कराकर माफी भी मंगवाई थी। नेतन्याहू तब ट्रम्प ने मिलने व्हाइट हाउस पहुंचे थे। एक दिन बाद व्हाइट हाउस ने इससे जुड़ीं तस्वीरें भी जारी की।
3 तस्वीरों में नेतन्याहू की माफी



कतर ने ट्रम्प के फैसले की तारीफ की
ट्रम्प के कार्यकारी आदेश पर दस्तखत करने के फैसले के बाद कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे दोनों देशों के रक्षा संबंधों को मजबूत करने वाला कदम बताया। कतर के मशहूर चैनल अल-जजीरा ने इसे इजराइली हमले के बाद सुरक्षा की अमेरिकी गारंटी करार दिया।
इससे पहले बुधवार को ट्रम्प ने कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी से भी फोन पर बातचीत भी की। हालांकि व्हाइट हाउस ने बातचीत की डिटेल शेयर नहीं की, लेकिन कतर ने कहा कि दोनों नेताओं ने गाजा युद्ध में सीजफायर की कोशिशों पर चर्चा की।
सुरक्षा गारंटी के लिए संसद की मंजूरी जरूरी
न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक ट्रम्प के कतर को सुरक्षा गारंटी देने की अहमियत को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अमेरिका में आमतौर पर किसी भी रक्षा संधि को कानूनी रूप से मान्यता देने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी होती है।
हालांकि कई बार राष्ट्रपति खुद ही ऐसे समझौते कर लेते हैं, जैसे बराक ओबामा ने संसद की मंजूरी के बिना ही 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौता किया था। लेकिन आखिर में सैन्य कार्रवाई करना या न करना पूरी तरह राष्ट्रपति के हाथ में होता है।
यही वजह है कि ट्रम्प के इस आदेश को लेकर संदेह बना हुआ है, क्योंकि पहले भी उनके कार्यकाल में नाटो जैसे पुराने समझौतों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ चुके हैं। ट्रम्प के फैसले की अमेरिका में आलोचना भी हुई।
ट्रम्प की करीबी और विवादित दक्षिणपंथी कार्यकर्ता लॉरा लूमर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘मैं कतर के लिए मरना नहीं चाहती, क्या आप चाहते हैं?’ वॉल स्ट्रीट जर्नल के संपादकीय बोर्ड ने भी इसे बिना सार्वजनिक बहस के अचानक लिया गया फैसला बताया।
राष्ट्रपति ट्रम्प के लिए 4 वजहों से अहम है कतर…
- आर्थिक सौदा- ट्रम्प ने मई 2025 में दोहा विजिट के दौरान कतर से 243.5 बिलियन डॉलर (करीब 20 लाख करोड़ रुपए) की डील की है। इसके तहत कतर एयरवेज, बोइंग से 160 विमान खरीदेगा।
- मिलिट्री बेस- कतर में अल उदीद एयर बेस है, जो मिडिल ईस्ट में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है। यहां से अमेरिका की सेंट्रल कमांड काम करती है।
- शांति वार्ता में भूमिका- कतर गाजा में इजराइल और हमास के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थ है, जो ट्रम्प की शांति योजना के लिए जरूरी है।
- ट्रम्प को गिफ्ट- कतर ने ट्रम्प को 400 मिलियन डॉलर (लगभग 3400 करोड़ रुपए) का बोइंग 747-8 विमान गिफ्ट किया है।
अमेरिका और कतर के रिश्ते पहले से मजबूत रहे हैं। 2022 में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कतर को ‘प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी’ का दर्जा दिया था।

(Bureau Chief, Korba)