
पाकिस्तानी तालिबान ( TTP) के हमले में मंगलवार रात को 9 पाक सैनिक मारे गए।
इस्लामाबाद: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ( TTP) के हमले में मंगलवार रात को 11 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई। इसमें 2 अधिकारी और 9 सैनिक शामिल हैं।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अफगानिस्तान सीमा के पास पाकिस्तानी सेना TTP के खिलाफ ऑपरेशन चला रही थी। इस दौरान दोनों के बीच मुठभेड़ हो गई। इसमें TTP के 19 लड़ाके भी मारे गए हैं।
पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन (ISPR) ने आरोप लगाया कि हमलावरों को भारत का समर्थन मिल रहा है। सेना ने दावा किया कि वह इन्हें खत्म करने में जुटी है। पिछले कुछ महीनों से TTP ने पाकिस्तान में सुरक्षा बलों पर हमले तेज कर दिए हैं।

मारे गए अधिकारियों में लेफ्टिनेंट (बाएं) कर्नल जुनैद आरिफ और (दाएं) मेजर तैय्यब राहत शामिल हैं।
हमलावरों ने पाक सेना पर बम फेंका, फायरिंग की
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सैनिक TTP के खिलाफ कुर्रम जिले में ऑपरेशन को अंजाम देने पहुंचे थे। इसी दौरान हमलावरों ने उनकी गाड़ी पर बम से हमला किया और फिर फायरिंग की।
रॉयटर्स को भेजे गए एक बयान में पाकिस्तानी तालिबान (TTP) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और कहा कि उनके लड़ाकों ने काफिले को निशाना बनाया।
पाकिस्तानी सेना ने अपने बयान में कहा कि उन्हें कुर्रम में इंडियन प्रॉक्सी संगठन फितना अल-ख्वारिज से जुड़े आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी, जिसके बाद ऑपरेशन चलाया गया।
पाकिस्तानी सेना TTP को फितना अल-ख्वारिज बुलाती है। यह एक अरबी शब्द है। फितना का मतलब ‘उपद्रवी’ और अल-ख्वारिज का मतलब ‘चरमपंथ के रास्ते पर चले जाने वाले लोग’ होते हैं।
पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा बना TTP
2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से TTP ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ रखा है। TTP को पिछले बारह साल में पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा आतंकवादी खतरा माना जा रहा है।पाकिस्तान का आरोप है कि TTP के लड़ाके सीमा पार अफगानिस्तान से ट्रेनिंग लेकर पाकिस्तान लौटते और हमला करते हैं।
हालांकि तालिबान दावा करता है कि वह TTP का समर्थन नहीं करता।पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज के अनुसार, देश में आतंकवादी हमले 2015 के बाद सबसे ज्यादा हो गए हैं, और TTP इसकी मुख्य वजह है। वैश्विक आतंकवाद सूचकांक के इन हमलों की वजह से ही पाकिस्तान आतंकवाद प्रभावित देशों की सूची में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है।
अमेरिकी हमले के जवाब में TTP का गठन
2001 में अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया, तो कई लड़ाके पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिप गए। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमले का समर्थन किया। इससे नाराज होकर 2007 में बेतुल्लाह मेहसूद ने 13 विद्रोही गुटों को मिलाकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) बनाया।
TTP ने कबायली इलाकों में शरिया कानून लागू किया और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और अफगानिस्तान में विदेशी सैनिकों पर हमले किए। TTP ने यूनिवर्सिटीज, धार्मिक नेताओं और नागरिक ठिकानों को भी निशाना बनाया, और यहां तक कि पाकिस्तान के बड़े शहरों में भी हमले किए।
पाकिस्तानी सेना और अमेरिकी ड्रोन हमलों के बावजूद, पाकिस्तानी तालिबान (TTP) को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका। 2018 में पाकिस्तान ने TTP पर जीत की घोषणा की थी, लेकिन बाद में यह गलत साबित हुआ।
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स में पाकिस्तान दूसरे नंबर पर
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 के मुताबिक, बुर्किना फासो के बाद पाकिस्तान दुनिया का दूसरा सबसे आतंक प्रभावित देश बन चुका है, जबकि 2024 में यह चौथे स्थान पर था।
- TTP के हमलों में 90% की वृद्धि हुई है।
- बलूच आर्मी (BLA) के हमलों में 60% बढ़ोतरी हुई है।
- इस्लामिक स्टेट- खुरासान (IS-K) ने अब पाकिस्तानी शहरों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान सबसे ज्यादा आतंक प्रभावित इलाके हैं। देश भर की कुल आतंकी घटनाओं में से 90% इसी इलाके में हुईं। रिपोर्ट में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को लगातार दूसरे साल पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन बताया गया। 2024 में इस ग्रुप ने 482 हमले किए, जिसकी वजह से 558 मौतें हुई थीं, जो 2023 के मुकाबले 91% ज्यादा हैं।

(Bureau Chief, Korba)