रायपुर: राष्ट्रीय पोषण माह 2025 के दौरान छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों से माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य में अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। दुर्ग जिले के ग्राम भानपुरी की श्रीमती पुष्पा ठाकुर की कहानी इसका सुंदर उदाहरण है। पुष्पा की यह पहली गर्भावस्था थी। शुरुआत में उन्हें उल्टी, कमजोरी और भूख न लगने जैसी समस्याएं थीं। जानकारी की कमी के कारण वह सही खानपान नहीं ले पा रही थीं। इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक श्रीमती सोनल सोनी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती शशि देवांगन ने उनके घर जाकर नियमित रूप से सलाह दी और परिवार को भी गर्भवती महिला की देखभाल के बारे में समझाया।
‘पोषण खजाना’ के तहत मिलने वाले पौष्टिक आहार, रेडी-टू-ईट फूड, हरी सब्जियाँ, दालें, दूध और फल के साथ आयरन व कैल्शियम की गोलियों के नियमित सेवन से पुष्पा का स्वास्थ्य धीरे-धीरे सुधर गया। पहले उनका वजन 40 किलोग्राम और हीमोग्लोबिन 9 ग्राम था, जो गर्भावस्था के अंत तक बढ़कर वनज 52 किलोग्राम और हीमोग्लोबिन 10.9 ग्राम तक पहुंच गया। नियमित जांच और आंगनबाड़ी दीदी की देखभाल से पुष्पा को गर्भावस्था में कोई परेशानी नहीं हुई। 27 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान ही उन्होंने शासकीय अस्पताल दुर्ग में 2.700 किलोग्राम वजनी स्वस्थ बेटी को जन्म दिया।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि मां और शिशु का स्वास्थ्य हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। पोषण के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ निरंतर प्रगति कर रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि पोषण खजाना जैसी योजनाएं ग्रामीण माताओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। हमारा लक्ष्य है कि हर गर्भवती और धात्री महिला को पर्याप्त पोषण मिले।

(Bureau Chief, Korba)