वॉशिंगटन डीसी: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शनिवार को कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करना चाहता है, लेकिन भारत की कीमत पर नहीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रुबियो ने बताया कि अमेरिका और पाकिस्तान पहले से ही आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करते रहे हैं, लेकिन इससे भारत के साथ उसकी अच्छी दोस्ती को कोई नुकसान नहीं होगा।
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत ने अमेरिका-पाकिस्तान की नजदीकी पर चिंता जताई, तो रुबियो ने कहा कि भारतीय डिप्लोमेसी में समझदारी है। वे जानते हैं कि हमें कई देशों से रिश्ते रखने पड़ते हैं। उनके भी कुछ देशों से रिश्ते हैं। यह समझदारी भरी विदेश नीति का हिस्सा है।
पाकिस्तान से फिर रणनीतिक दोस्ती बनाना चाहते हैं
पाकिस्तान के साथ अमेरिका के रिश्तों पर एक पत्रकार ने सवाल किया कि क्या यह दोस्ती इसलिए बढ़ी क्योंकि अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने में मदद की।
इस पर रुबियो ने कहा कि नहीं, मुझे लगता है हमने इससे पहले ही पाकिस्तान से बात शुरू की थी। हम उनके साथ रणनीतिक दोस्ती फिर से बनाना चाहते हैं। हमें लगता है कि हम कई चीजों पर एक साथ काम कर सकते हैं।

पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने सितंबर में ट्रम्प से व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। इस दौरान मुनीर ने ट्रम्प को रेयर अर्थ मिनरल्स से भरा ब्रीफकेस दिखाया था।
रुबियो बोले- हमारा काम दोस्ती का रास्ता ढूंढना
रुबियो ने कहा- हमें पता है कि भारत-पाकिस्तान के बीच पुराने तनाव हैं, लेकिन हमारा काम है कि जितने देशों के साथ हो सके, दोस्ती के रास्ते ढूंढें। हम पाकिस्तान के साथ आतंकवाद के खिलाफ काम करते आए हैं और अब इसे और बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन यह भारत या किसी और के साथ हमारे अच्छे रिश्तों की कीमत पर नहीं होगा।
रुबियो ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि पाकिस्तान के साथ हम जो कर रहे हैं, वह भारत के साथ दोस्ती को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद मजबूत हुए पाकिस्तान-अमेरिका के रिश्ते
इसी साल मई में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। ट्रम्प ने 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने का दावा किया था, पाकिस्तान ने इस दावे का सपोर्ट किया और ट्रम्प को नोबेल के लिए नॉमिनेट भी किया।
वहीं, जून में पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने ट्रम्प से सीक्रेट मुलाकात की थी। इसके बाद सितंबर में शहबाज शरीफ और मुनीर ने व्हाइट हाउस में ट्रम्प के साथ बैठक की थी, इस बैठक में शरीफ ने ट्रम्प को शांति दूत कहा था।

10 मई को ट्रम्प ने X पर लिखा था कि अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं।
अमेरिका को बलूचिस्तान में पोर्ट बनाने का प्रस्ताव
पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर के सलाहकारों ने इसी महीने अमेरिका से बलूचिस्तान में एक पोर्ट डेवलप करने का प्रस्ताव शेयर किया था। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिकी निवेशक बलूचिस्तान के पसनी शहर में अरब सागर के किनारे एक नया पोर्ट डेवलप करके चलाएं।
प्रस्ताव में साफ कहा गया है कि यह बंदरगाह सिर्फ व्यापार और खनिजों के लिए है। अमेरिका को यहां सैन्य बेस बनाने की इजाजत नहीं होगी। पासनी, ग्वादर पोर्ट (चीन का बंदरगाह) से सिर्फ 112 किमी दूर है। यह बंदरगाह अमेरिका को पाकिस्तान के महत्वपूर्ण खनिजों जैसे तांबा और एंटीमनी तक आसान पहुंच देगा।
पिछले साल दोनों देशों में 10 अरब डॉलर का व्यापार हुआ
2024 में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच 10.1 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था, जो 2023 के मुकाबले 6.3% ज्यादा है। अमेरिका ने 2.1 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया और 5.1 अरब का इम्पोर्ट किया। अमेरिका का व्यापार घाटा 3 अरब डॉलर रहा।
ट्रम्प ने पाकिस्तान पर 19% टैरिफ लगाया है, जबकि भारत पर 50% टैरिफ लगाया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका, पाकिस्तान को चीन से दूर रखने की कोशिश कर रहा है।

(Bureau Chief, Korba)




