कोरबा (BCC NEWS 24): लगभग 61 वर्षीय किसान गोटीलाल के पास सिर्फ एक एकड़ जमीन है। बरसों से वे इसी एक खेत पर बारिश के भरोसे मेहनत करते हुए धान की खेती करते आए हैं। कभी बारिश की बेरुख़ी से पैदावार घट जाती, तो कभी मौसम की मेहरबानी से वे थोड़ा बेहतर उत्पादन ले पाते। लेकिन हर साल उनकी सबसे बड़ी चिंता यह होती थी कि एक एकड़ में उत्पादित पूरा धान बेचने की अनुमति उन्हें नहीं मिलती थी। निर्धारित सीमा के कारण वे अपनी मेहनत की पूरी फसल उपार्जन केंद्र में नहीं बेच पाते थे, जबकि बड़े किसानों को ज्यादा धान बेचने का अवसर मिलता था।
यह स्थिति उन्हें कई बार तोड़ देती थी। महज एक एकड़ खेत होना उनकी मजबूरी भी थी और नुकसान का कारण भी। लेकिन बीते वर्ष मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा लिए गए “एक एकड़ से 21 क्विंटल धान खरीदी” के ऐतिहासिक निर्णय ने किसान गोटीलाल की जिंदगी बदल दी। नई नीति लागू हुई, तो कुछ लोगों ने भ्रम फैलाया कि उपार्जन केंद्रों में 21 क्विंटल धान खरीदी नहीं की जा रही है। गोटीलाल भी कुछ समय के लिए असमंजस में रहे, लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री श्री साय के निर्णय पर विश्वास रखा और अपनी पूरी मेहनत की फसल बोरे में भरकर उपार्जन केंद्र ले आए। उपार्जन केंद्र में उन्हें न तो रोका गया, न कोई परेशानी आई। एक-एक बोरी तौली गई और गोटीलाल को उनकी मेहनत के हर दाने का पूरा मूल्य मिला।
पाली विकासखंड के ग्राम बतरा के किसान गोटीलाल बताते हैं कि उनके एक एकड़ खेत से विगत वर्ष 21 क्विंटल धान का उत्पादन हुआ था। ग्राम पोड़ी के उपार्जन केंद्र में उन्होंने बिना किसी परेशानी के धान बेचा। भ्रम फैलाने वालों की बात झूठी साबित हुई, और सरकार द्वारा तय की गई पूरी मात्रा बेची गई।
गोटीलाल बताते हैं-
“धान बेचकर मिला पैसा मैंने खाद-बीज के लिए लिया कर्ज चुकाने में लगा दिया। इस साल भी मैं पूरा 21 क्विंटल धान बेचने के लिए तैयार हूं। हम छोटे किसानों को इससे बहुत बड़ा आर्थिक सहारा मिला है। पहले हम सिर्फ कुछ क्विंटल धान ही बेच पाते थे, जिससे जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती थीं।” गोटीलाल जैसे हजारों छोटे किसानों के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की यह योजना केवल एक सरकारी निर्णय नहीं, बल्कि स्थायी आर्थिक सुरक्षा का आधार बन गई है। छोटी जोत वाले किसानों के लिए 21 क्विंटल खरीदी का निर्णय उनके जीवन में नई उम्मीद, आत्मविश्वास और स्थिरता लेकर आया है। यह कहानी सिर्फ गोटीलाल की ही नहीं है अन्य छोटे किसानों की भी है, जो बताती है कि सही नीति, सही समय पर एक छोटे किसान की किस्मत भी बदल सकती है।

(Bureau Chief, Korba)




