48 घंटे बाद दिल्ली से चंडीगढ़ लौटे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने CM चरणजीत सिंह चन्नी को नसीहत दी है। कैप्टन ने कहा है कि मैने अपने कार्यकाल के दौरान कभी पार्टी अध्यक्ष की सरकार में दखल अंदाजी नहीं होने दी है। साढ़े 9 साल के कार्यकाल के दौरान कभी पार्टी अध्यक्ष ने सरकार चलाने में दखल नहीं दिया और न ही मैने प्रधान होते हुए ऐसा किया। सरकार में अफसरों की नियुक्ति का काम मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का है, ना कि नवजोत सिंह सिद्धू का।
चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कैप्टन ने साफ किया है कि वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हो रहे और न ही कांग्रेस में रहेंगे। उन्होंने कहा दिल्ली में वह गृह मंत्री अमित शाह और NSA अजीत डोभाल से मिले हैं। पिछले 4 साल में बॉर्डर पर हुई एक्टिविटी और सुरक्षा के लिहाज से इन गतिविधियों से उन्हें अवगत करवाया है। इससे ज्यादा जानकारी शेयर नहीं की जा सकती है।
कांग्रेस डूबता जहाज, वरिष्ठ नेताओं की हो रही अनदेखी
इससे पहले गुरुवार दोपहर को कैप्टन अमरिंदर सिंह के ऑफिस से जारी बयान में कांग्रेस को एक डूबता जहाज बताया और कहा कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की कोई सुनवाई नहीं है। कैप्टन ने कहा कि उनकी पूरी तरह से अवहेलना की जा रही है। उन्हें अपमानित किया गया है और उन पर भरोसा नहीं किया गया।
उनका कहना था, वे इस्तीफा देंगे …. पार्टी में नहीं रहेंगे। वे इस प्रकार का अपमान सहने के आदी नहीं हैं। उनके सिद्धान्त और मान्यताएं उन्हें कांग्रेस में रहने की इजाजत नहीं देते। उन्होंने कहा कि पंजाब के हित में उनके समक्ष जो विकल्प हैं वे अभी भी उन पर विचार कर रहे हैं। उनके लिए राज्य की सुरक्षा सर्वोपरि है।
कपिल सिब्बल के घर पर हमले को बताया गलत
कैप्टन ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को विचारक की संज्ञा देते हुए उन्हें पार्टी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को इस प्रकार आगे बढ़ाया जाना चाहिए कि वे वरिष्ठ जनों के अनुभव के आधार पर तैयार किए गए कार्यक्रमों को सही तरीके से लागू करें।
उन्होंने आगे कहा कि दुर्भाग्य है कि सीनियर लोगों की पार्टी में पूरी तरह अवहेलना हो रही है जोकि पार्टी के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के घर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हमले की निंदा करते हुए कहा उनके साथ ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया, क्योंकि उन्होंने खुलकर अपने विचार रखे जोकि पार्टी के नेतृत्व को पसंद नहीं।