Friday, April 19, 2024
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छत्तीसगढ़: 200 करोड़ का प्रदेश सरकार को सालाना नुकसान; छग में डीजल पर टैक्स 25 तो यूपी में 16 फीसदी, इसलिए अवैध तरीके से रोज 15 टैंकर यूपी से पहुंच रहा डीजल

सरगुजा जिले में कई कंपनियों ने अवैध तरीके से कंज्यूमर डीजल पंप खोल रखे हैं। वे डीजल की बिक्री 2 हजार लीटर वाले टैंकर से लोगों तक पहुंचाकर कर रहे हैं। इसमें भी कई डीजल माफिया कंज्यूमर डीजल पंप के नाम पर उत्तर प्रदेश से डीजल मंगवाकर राज्य सरकार को टैक्स का नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसमें डीजल कंपनियों और फूड अफसरों के साथ जीएसटी अफसरों की लापरवाही व मिलीभगत है।

इस पर रोक लगाने खाद्य नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता संरक्षण विभाग की संचालक किरण कौशल ने राज्य के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दैनिक भास्कर की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि कई निजी कंपनियां अपनी जरूरत के लिए कंज्यूमर डीजल पंप का लाइसेंस होने की बात करती हैं, लेकिन किसी के पास लाइसेंस नहीं है।

इसका खुलासा तब हुआ जब जिला फूड अफसर रविंद्र सोनी से भास्कर ने डीजल की फेराफेरी को समझने बात की। हालांकि, शहर के डीजल व पेट्रोल पंप संचालकों का कहना है कि 6 कंज्यूमर डीजल पंप के लिए लाइसेंस जारी किए हैं, लेकिन अफसर कह रहे किसी को लाइसेंस नहीं दिया।

फूड डायरेक्टर ने कलेक्टरों को लिखा एक्शन के लिए पत्र, जीएसटी और फूड विभाग के अफसर बन रहे अंजान

यूपी खुद को कृषि प्रधान राज्य मानता है, इसलिए वहां डीजल पर टैक्स कम

यूपी में डीजल पर सरकार ने टैक्स कम है, क्योंकि यूपी कृषि प्रधान राज्य खुद को मानता है और किसानों के हित को देखकर उसने डीजल पर टैक्स कम रखा है। वहीं हमेशा से मांग रही है कि छत्तीसगढ़ सरकार को भी डीजल पर टैक्स कम करना चाहिए, क्योंकि छत्तीसगढ़ भी खेती प्रधान राज्य है।

फिलहाल यूपी से 20 हजार लीटर का एक टैंकर डीजल छत्तीसगढ़ आता है तो प्रदेश सरकार को मिलने वाला 4.50 लाख का नुकसान हो रहा है। माह में यह आंकड़ा 20 करोड़ और साल में 200 करोड़ पार कर जाता है। नियम के मुताबिक किसी के पास कंज्यूमर डीजल पंप का लाइसेंस है तो वे अपनी कंपनियों की गाड़ियों व सयंत्र में ही डीजल का उपयोग कर सकते हैं।

रॉ मेटेरियल री-साइकिल्ड और ऑयल कैटलिस्ट के रूप में एसिड का उपयोग

छत्तीसगढ़ में एक माह के भीतर अवैध तरीके से संचालित 12 बायो डीजल पंप सीज किए गए है, जो नियम विरुद्ध संचालित थे, लेकिन सरगुजा संभाग में कार्रवाई नहीं हुई। नकली बायो डीजल दरअसल कारखाने में अवैध रूप से बायो डीजल को बनाने रॉ मेटेरियल के रूप में री-साइकिल्ड (ट्रक व वाहनों में उपयोग में लेने के बाद बेकार हो चुका ऑयल) और ऑयल कैटलिस्ट के रूप में एसिड का उपयोग किया जाता है।

इसी के जरिए यह अवैध बायो डीजल बनता है। इसे 2 हजार लीटर वाले टैंकर से भी एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचा कर बेचा जा रहा है। बॉयो डीजल की आड़ में कुछ कंपनियां ऐसा उत्पाद बना रही हैं, जिनकी डेंसिटी डीजल के जैसी है।

मिलावट के कारण डीजल इंजन को होता है नुकसान, सीज भी हो सकता है इंजन

सरगुजा संभाग में नकली जैव डीजल की बिक्री भी हो रही है। इसकी शिकायत पर विभाग के संचालक किरण कौशल ने सभी कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा है कि जैव डीजल की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी हों, तभी इसकी बिक्री की जाए। वहीं अभी किसी भी फर्म को सरगुजा संभाग में जैव डीजल बेचने लाइसेंस नहीं है, फिर भी जैव डीजल की आड़ में यहां घातक केमिकल और अन्य उत्पादों को मिलाकर नकली जैव डीजल बना अवैध तरीके से बेचा जा रहा हैं।

वहीं ओरिजनल जैव डीजल का रेट 15 रुपए प्रति लीटर कम है और इसे ग्राहक को नहीं बताया जाता है। मिलावट से डीजल इंजन को नुकसान होता है, इंजन भी सीज हो सकता है।

टैक्स की चोरी पेट्रोलियम कंपनी के अफसर, इसलिए खामोश क्योंकि उन्हें सिर्फ अपने सेल की है फिक्र

इस गड़बड़ी की शिकायत छत्तीसगढ़ पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन ने खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग में की थी। बताया है कि कंज्यूमर डीजल पंप के अलावा कुछ डीजल पेट्रोल पंप वाले भी यूपी से डीजल मंगाकर उसे छत्तीसगढ़ में बेच रहे हैं, क्योंकि यूपी में टैक्स 16.84 प्रतिशत है तो छत्तीसगढ़ में 25.74 प्रतिशत। इससे वे टैक्स की चोरी कर रहे हैं। इस पर पेट्रोलियम कंपनी के अफसर भी खामोश हैं, क्योंकि उन्हें सरकार के राजस्व से अधिक चिंता अपने सेल को लेकर है।

चाहे बिक्री किसी भी राज्य के माध्यम से हो। जानकारों की मानें तो हर रोज यूपी से ही 100 टैंकर डीजल छत्तीसगढ़ आ रहा है। इससे हर साल एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार को टैक्स का 200 करोड़ का नुकसान हो रहा है, लेकिन जीएसटी अफसर इस पर लापरवाह बने हुए हैं, जबकि उन्हें भी जानकारी है।

किसी के पास कंज्यूमर डीजल पंप का लाइसेंस नहीं, अब तक शिकायत नहीं
सरगुजा में किसी फर्म या कंपनी को कंज्यूमर डीजल पंप का लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। हमें इसकी जानकारी नहीं कि यूपी से डीजल मंगाकर कंज्यूमर डीजल पंप के नाम पर कंपनियां इसकी टैंकर के माध्यम से पहुंचा कर बिक्री कर रही हैं। इसके अलावा बायो डीजल का लाइसेंस भी किसी के पास नहीं है।

बायो डीजल के नाम पर औद्योगिक तेल को बेचने की भी शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिली तो कार्रवाई जरूर की जाएगी। मामले में जांच कर कार्रवाई की जाएगी और अब शिकायत का इंतजार रहेगा, ताकि कार्रवाई कर सकें। -रविंद्र सोनी, जिला खाद्य अधिकारी, सरगुजा

नकली बायो डीजल से इंजन को हो रहा नुकसान, अफसर करें कार्रवाई
यूपी से कम टैक्स के कारण कंज्यूमर पंप वाले डीजल मंगावा रहे हैं। रोजाना वहां से 15 के करीब टैंकर डीजल लेकर छत्तीसगढ़ आ रहा है। इससे उन्हें प्रति लीटर टैक्स कम होने पर 8 रुपए कम पड़ रहा है। डीजल में सरकार को हर लीटर में इतना ही नुकसान हो रहा है। बायो डीजल के नाम पर यहां पुणे सहित अन्य जगहों से औद्योगिक तेल, जिसे बेस तेल के नाम से जाना जाता है, उसे कम रेट में बेचा जा रहा है।

इससे डीजल की बिक्री 10 फीसदी कम हुई है। रायगढ़, कोरबा में तो 30 प्रतिशत तक डीजल बिक्री में असर पड़ा है। यह तेल इंजन को नुकसान पहुंचाता है लेकिन पता नहीं चलता।-राजू अग्रवाल, अध्यक्ष, छग पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन

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