Wednesday, November 26, 2025

              रायपुर : जशपुर के युवाओं को निफ्टेम विशेषज्ञों ने दिया प्रशिक्षण

              • मोटा अनाज के वैल्यू-एडेड उत्पादों की ओर बढ़ते कदम 

              रायपुर: जशपुर जिले में युवाओं को मोटा अनाज से तैयार होने वाले वैल्यू-एडेड खाद्य उत्पादों की ट्रेनिंग दी गई। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य युवाओं को रोजगार और उद्यमिता से जोड़ते हुए किसानों की आमदनी बढ़ाना और गांवों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। यह विशेष प्रशिक्षण निफ्टेम, कुंडली (सोनीपत, हरियाणा) के ग्राम अंगीकरण कार्यक्रम के तहत आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर प्रसन्ना कुमार जी.वी. और श्री अभिमन्यु गौड़ के मार्गदर्शन में हुआ। प्रशिक्षण जशपुर नगर के महुआ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में आयोजित किया गया, जिसमें एनईएस कॉलेज जशपुर के 25 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।

              कार्यक्रम में युवाओं को नानखटाई, कपकेक और न्यूट्री-बार जैसे मोटा अनाज आधारित स्वादिष्ट और पोषक उत्पाद बनाने की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी गई। इसके साथ ही उन्हें आधुनिक तकनीक, प्रोसेसिंग के तरीके और छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए जरूरी जानकारी भी प्रदान की गई। युवाओं को यह बताया गया कि कैसे मोटे और कच्चे अनाज को बाजार में बिकने वाले उच्च गुणवत्ता के उत्पादों में बदला जा सकता है।

              प्रोफेसर प्रसन्ना कुमार ने युवाओं को मोटा अनाज के नए-नए उत्पाद विकसित करने और पारंपरिक तरीकों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं के जरिए मिलने वाली फंडिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग सपोर्ट का उपयोग करके ये युवा बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू कर सकते हैं। निफ्टेम का लक्ष्य है कि ग्रामीण युवा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नए उद्यमी बनें और गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।

              जशपुर जिले में चावल की खेती ज्यादातर वर्षा पर निर्भर रहती है, जबकि बाजरा कम पानी में भी अच्छी फसल देता है। इसी वजह से बाजरा और महुआ को भविष्य की टिकाऊ खाद्य व्यवस्था में अहम माना जा रहा है। जशपुर में जय जंगल फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी “जशप्योर” ब्रांड नाम से बाजरा और महुआ के कई उत्पाद तैयार कर रही है। वहीं “जावा फूल” और “जीराफूल” जैसे स्थानीय चावल की बिक्री ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से होने लगी है। 

              विशेषज्ञों ने बताया कि मोटा अनाज और महुआ जैसे स्थानीय संसाधन न सिर्फ पोषण बढ़ाते हैं, बल्कि गांवों में आजीविका के नए अवसर भी पैदा करते हैं। प्रशिक्षण के बाद कई युवाओं ने कहा कि वे इन कौशलों का उपयोग अपने समुदाय के हित में करना चाहते हैं। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के मिशन और जय जंगल फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ। 


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