चेन्नई: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज रविवार को विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) गारंटी बिल, 2025 (VB-G-RAM-G) को मंजूरी दे दी। अब यह कानून बन गया। नया कानून 20 साल पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की जगह लेगा।
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि मनरेगा (MGNREGA) से महात्मा गांधी का नाम हटाना उनकी दोबारा हत्या करने जैसा है। गांधी जी को एक बार 30 जनवरी 1948 को मारा गया था। अब उन्हें दोबारा मारा जा रहा है।
चेन्नई में प्रेस कांफ्रेंस में चिदंबरम ने कहा कि आप (केंद्र सरकार) गांधी और नेहरू को आधिकारिक रिकॉर्ड से मिटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे भारतीय लोगों के मन में बसे हैं, जैसे बुद्ध या यीशु। कोई भी सरकारी आदेश उन्हें मिटा नहीं सकता।
दरअसल केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में VB-G-RAM-G बिल लेकर आई थी। 18 दिसंबर को बिल संसद से पास हो गया था।
चिदंबरम बोले- 125 दिन रोजगार का दावा गलत
- VB-G RAM G जैसा नाम दक्षिण भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले भारतीयों की समझ से बाहर हैं। हो सकता है कि कुछ मंत्रियों को भी यह समझ न आए कि इन नामों का क्या मतलब है। कानून अब कहता है कि जब तक राज्य इस सटीक नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे, उन्हें फंड नहीं मिलेगा।
- मनरेगा योजना जो पहले यूनिवर्सल थी, लेकिन नया कानून केंद्र द्वारा चुने गए कुछ जिलों तक ही सीमित रहेगी। यह मनरेगा के मूल ढांचे के विपरीत है जो हर ग्रामीण जिले तक फैला हुआ था। नया वर्जन अब राष्ट्रीय स्तर का नहीं रहा और इसमें शहरी या कस्बों के पंचायत क्षेत्र शामिल नहीं होंगे।
- नए कानून में फंडिंग की जिम्मेदारी राज्यों पर डाली जा रही है। पहले केंद्र पूरी मजदूरी लागत और 75 प्रतिशत मटेरियल खर्च देता था। अब राज्यों को खर्च में हिस्सेदारी देनी होगी। अगर कोई राज्य कहता है कि उसके पास फंड नहीं है, तो योजना वहां लागू नहीं होगी।
- चिदंबरम ने भी सरकार के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि वे काम के दिनों को बढ़ाकर 125 कर देंगे। दरअसल राष्ट्रीय औसत वर्तमान में 50 दिन है, और केवल कुछ ही मजदूर निर्धारित 100 दिन पूरे कर पाते हैं।
एक दिन पहले सोनिया बोलीं थीं- सरकार ने मनरेगा पर बुलडोजर चलाया
VB-G RAM G पर एक दिन पहले कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने वीडियो जारी करके कहा था कि सरकार ने जरूरतमंदों को रोजगार देने वाले मनरेगा पर बुलडोजर चलाया है। अब किसको, कितना, कहां और किस तरह रोजगार मिलेगा, यह जमीनी हकीकत से दूर दिल्ली में बैठकर सरकार तय करेगी।
संसद में 14 घंटे चर्चा के बाद पास हुआ था बिल
VB-G RAM G बिल पर लोकसभा में 14 घंटे चर्चा हुई थी। शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, मनरेगा का नाम पहले महात्मा गांधी के नाम पर नहीं रखा गया। वो तो पहले नरेगा थी। बाद में जब 2009 के चुनाव आए तब चुनाव और वोट के कारण महात्मा गांधी याद आए। इसके बाद उसमें जोड़ा गया महात्मा गांधी।
विपक्ष ने इस बिल के विरोध में संसद परिसर में मार्च भी निकाला। इसमें विपक्ष के 50 से ज्यादा सांसदों ने हिस्सा लिया था और VB-G-RAM-G बिल वापस लेने के नारे लगाए। वहीं टीएमसी सांसदों ने रातभर संसद परिसर में प्रदर्शन किया था।
अब नए कानून से संबंधित 5 सवाल-जवाब पढ़ें..
सवालः क्या MGNREGA पूरी तरह खत्म हो जाएगा या दोनों योजनाएं साथ चलेंगी?
जवाबः MGNREGA पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। नया कानून साफ तौर पर 2005 के MGNREGA कानून को रद्द (Repeal) करने की बात करता है। यानी नया कानून लागू होने के बाद सिर्फ VB-G RAM G ही लागू रहेगा।
सवालः नया कानून कब से लागू होगा और पुराने जॉब कार्ड का क्या होगा?
जवाबः नए कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। कानून लागू होने के 6 महीने के भीतर राज्यों को अपनी नई योजना बनानी होगी। राज्यों को नए सिस्टम के तहत नया पंजीकरण/पहचान व्यवस्था लागू करनी होगी, जो डिजिटल और बायोमेट्रिक आधारित होगी।
सवालः मजदूरी दरों में कोई बदलाव होगा या वही पुरानी रहेंगी?
जवाबः बिल में मजदूरी की तय राशि का साफ उल्लेख नहीं है। इसका मतलब है कि मजदूरी दरें केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग तय करेंगी, जैसे अभी MGNREGA में होता है। फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि मजदूरी बढ़ेगी या नहीं।
सवालः 125 दिन का रोजगार सभी को मिलेगा या शर्तें होंगी?
जवाबः 125 दिन का रोजगार गारंटी के रूप में दिया जाएगा, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। जैसे परिवार ग्रामीण क्षेत्र का होना चाहिए, वयस्क सदस्य बिना कौशल वाला श्रम करने को तैयार हों और काम सरकार द्वारा तय सार्वजनिक कार्यों में ही मिलेगा। यानी यह अपने-आप नहीं, बल्कि काम मांगने पर मिलेगा।
सवालः बोवाई/कटाई के समय काम न मिलने पर गरीब मजदूर क्या करेंगे?
जवाबः नया बिल इस स्थिति को ध्यान में रखकर लाया गया है। राज्य सरकारों को अधिकार होगा कि वे बोवाई और कटाई के समय कुछ अवधि के लिए इन कामों को अस्थायी रूप से रोक सकें, ताकि खेतों में मजदूरों की कमी न हो, किसान और मजदूर दोनों को नुकसान न पहुंचे। इसका मतलब है कि उस समय मजदूर खेती में काम कर सकेंगे, और सरकारी काम बाद में दिए जाएंगे।

(Bureau Chief, Korba)




