रायपुर: राजातालाब इलाके में रहने वाला अजहरुद्दीन और उमेर को उम्रकैद की सजा हुई है। इन दोनों के आतंकी संगठन सिमी से जुड़े होने के सबूत मिले थे। साल 2013 में पटना में हुए सीरियल बम ब्लास्ट की प्लानिंग में भी इन दोनों का हाथ था। सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए पटना में NIA की अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषी माना है। इसके अलावा पटना सिविल कोर्ट में NIA के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा ने उसी सीरियल बम ब्लास्ट केस में अजहरुद्दीन और उमेर के 4 साथियों को फांसी, 2 को 10 साल और 1 को 7 साल की सजा सुनाई है।
बारनवापारा में हुई थी आतंकियों की बैठक बिहार के बोधगया में भी 2013 में धमाके हुए थे। इसमें कई लोगों की जान गई थी। इस कांड में भी आतंकी उमेर और अजहरुद्दीन दोषी हैं। दोनों इस वक्त बिहार की जेल में हैं। इन दोनों ने बारनवापारा में आतंकियों की एक मीटिंग फिक्स की थी। सिमी का बड़ा नेटवर्क चलाने वाले बड़े लीडर्स इस बैठक में आए थे। विस्फोटक और कुछ लोगों के साथ बिहार पहुंचने का जिम्मा उमेर और अजहरुद्दीन पर था। हमलों को एक्जीक्यूट करने काम भी दोनों ने ही किया था। तब बिहार से मिले इनपुट के आधार पर पुलिस ने उमेर को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में साल 2019 में अजहरुद्दीन को हैदराबाद से पकड़ा गया था।
मोदी के छत्तीसगढ़ दौरे को भी किया था टारगेट
साल 2013 में रायपुर की पुलिस ने राजातालाब इलाके में छापा मारकर 16 सिमी के आतंकियों को पकड़ा था। तब ये भी पता चला था कि नरेंद्र मोदी को अंबिकापुर में प्रस्तावित रोड शो के दौरान बम विस्फोट से उड़ाने योजना थी। इस साजिश में 17 साल का एक नाबालिग भी शामिल था। आरोपियों की साजिश को नाकाम करते हुए छत्तीसगढ़ एटीएस ने उन्हें पहले ही पकड़ लिया। इसके बाद बिहार में हुए कांड की वजह से बिहार पुलिस ने उमेर और बाद में अजहरुद्दीन को वहां की जेल में रखा हुआ है।
उमेर का परिवार यहीं, अजहरुद्दीन के घर वाले भागे हैदराबाद
अजहरुद्दीन का परिवार रायपुर से हैदराबाद जाकर रह रहा है। साल 2019 में हुई गिरफ्तारी के पहले साल 2013 से पुलिस से छिपने के लिए अजहरुद्दीन भी दुबई में ही रह रहा था। सऊदी अरब में नाम बदलकर रह रहे सिमी कार्यकर्ता अजहरुद्दीन उर्फ अजहर खान के संपर्क में उसके पिता और परिजन थे। इस बात का खुलासा अजहर के मोबाइल के कॉल डिटेल से हुआ। पुलिस का दावा है कि पिता ने भी स्वीकार किया है कि अजहर से फोन पर बातचीत होती थी। वो परिवार के लोगों से मिलने के लिए हैदराबाद आया था। वहीं, साल 2019 में जाकर रायपुर की पुलिस ने इसे पकड़ा था। दूसरा आतंकी उमेर पेशे से टीचर था। राजातालाब में अब भी इसका परिवार नजरबंद होकर रहता है। घर वाले किसी ने नहीं मिलते हैं।
क्या है सिमी
NIA के स्पेशल कोर्ट ने बताया था कि सभी आरोपी प्रतिबंधित संगठन सिमी (IM)- Students Islamic Movement of India (Indian Mujahideen) के सदस्य हैं। सिमी को देश में प्रतिबंधित किया गया था। इस संगठन का उद्देश्य भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना है। जिसे ये दार-उल-इस्लाम कहते हैं। 25 अप्रैल 1977 को यूपी के अलीगढ़ में बना ये टेररिस्ट संगठन भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ने के लिए जाना जाता है। सभी आतंकी उसी संस्थान के लिए काम करते थे। इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक सदस्यों में से एक यासीन भटकल NIA के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल में से एक था, जिसे उन्होंने भारत-नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया था।