दुर्ग: जिले के CMHO ने जिला अस्पताल परिसर में संचालित दिव्यांग व्यक्ति के जनौषधि केंद्र को न सिर्फ बंद करा दिया, बल्कि दुकान का सामान भी फिंकवा दिया था। इससे परेशान दिव्यांग ने न्याय के लिए हाईकोर्ट की शरण ली। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बुधवार को दीपावली अवकाश के बावजूद इस विशेष प्रकरण की सुनवाई हुई। जस्टिस आरसीएस सामंत की कोर्ट ने दुर्ग CMHO के बेदखली कार्रवाई पर रोक लगा दी है। साथ ही प्रकरण में केंद्र, राज्य शासन, CMHO व संयुक्त कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दुर्ग निवासी मनीष खत्री ने अधिवक्ता वरूण शर्मा व अमन केशरवानी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया गया कि याचिकाकर्ता मनीष 70 फीसद दिव्यांग हैं। उसे जीवन गुजारा करने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र योजना के अंतर्गत जिला अस्पताल परिसर में निःशुल्क कक्ष उपलब्ध कराया गया था। मनीष यहां साल 2016 से जनऔषधि केंद्र संचालित कर रहे हैं। इसका अनुबंध अवधि 2022 तक है।
इस बीच शासन ने हाल ही में अपनी महत्वाकांक्षी धनवंतरी दवा दुकान योजना शुरू की है। इसमें योजना के क्रियान्वयन व देखरेख की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर को दी गई है। आरोप है कि बीते 23 अक्टूबर को संयुक्त कलेक्टर प्रियंका वर्मा ने उनकी दुकान उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए याचिकाकर्ता को दुकान बंद करने कहा। उन्होंने ड्रग इंस्पेक्टर को बुला लिया और रिपोर्ट बनवा कर कलेक्टर के पास भेज दी।
रिपोर्ट में बताया गया कि दुकान में ब्रांडेड दवा रखी गई है, जबकि जन औषधि केंद्र की केंद्र सरकार की गाइडलाइन में ब्रांडेड दवा रखने संबंधी कोई प्रतिबंध नहीं है। आपातकालीन स्थिति के लिए रखने हेतु कोई रोक भी नहीं है । इस दौरान याचिकाकर्ता की दुकान को सील कर दिया गया। याचिका में दुकान को सील करने के साथ ही बलात रूप से बेदखल करने को चुनौती दी गई है।
हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 15 नवंबर की तिथि तय की थी। लेकिन, इस बीच दीपावली अवकाश का फायदा उठाते हुए सीएमएचओ ने याचिकाकर्ता को दुकान खाली करने का आदेश थमा दिया और बिना सुनवाई का अवसर दिए ही दुकान का सामान फेंकवा दिया। लिहाजा, याचिकाकर्ता के वकीलों ने विशेष आग्रह करते हुए प्रकरण की सुनवाई करने की मांग की। इसे स्वीकार करते हुए बुधवार को अवकाश के बाद भी जस्टिस सामंत ने कोर्ट में सुनवाई की।
सुनियोजित तरीके से अवकाश पर किया बेदखल
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि CMHO व जिला प्रशासन ने सुनियोजित तरीके से दीपावली अवकाश के दौरान दिव्यांग दुकान संचालक को बेदखली का आदेश थमा दिया। इसके साथ ही बलपूर्वक उनकी दुकान से सामान फेकवा दिया। दिवाली पर्व में रोजी-रोटी छीनने का हवाला देते हुए कोर्ट से इस मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया गया। प्रकरण की गंभीर परिस्थिति को देखते हुए जस्टिस सामंत ने अवकाश के दिन इस मामले की सुनवाई की। साथ ही याचिकाकर्ता के पक्ष में स्थगन आदेश भी जारी कर दिया।
जस्टिस सामंत ने कहा कि कानून के शासन की सबसे पहली शर्त होती है किसी भी व्यक्ति का पक्ष सुने बिना उसके विरुद्ध कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता। इसे ही प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत कहते हैं ।