जगदलपुर: स्थानीय युवाओं ने बांस की साइकिल बनाई है। 2 युवाओं ने लगभग सालभर की कड़ी मेहनत से इसे तैयार किया है। युवाओं ने बताया कि यह साइकिल लगभग 1 क्विंटल का वजन उठा सकती है। इसमें खास बात यह है कि साइकिल बनाने हस्त शिल्प का प्रयोग किया गया है। ढोकरा, लौह और बांस शिल्प कला ने साइकिल की सुंदरता और बढ़ा दी है।
इन्हीं दोनों युवाओं ने मिलकर बांस की साइकिल बनाई है। ।
बस्तर की नेचर एक्सप्रेस संस्था देश की तीसरी और छत्तीसगढ़ की पहली संस्था है जो इस तरह का अनूठा प्रयोग कर रही है। साइकिल को तैयार करने वाले युवा आसिफ खान ने बताया कि वे और उनके एक सहयोगी तरुण शर्मा साइकिल बनाने लगातार प्रयास कर रहे थे। उन्होंने इस कॉन्सेप्ट पर लगभग सालभर तैयारी की थी। कई बार बांस से साइकिल तैयार करने की कोशिश करते विफल भी हुए थे लेकिन हार नहीं मानी। सालभर की मेहनत से बांस की साइकिल तैयार कर ली।
इसका उपयोग रेसिंग के लिए भी किया का सकता है।
रेसिंग में भी किया जा सकता है उपयोग
युवाओं ने दावा किया है कि बाजारों में बिकने वाली अन्य साइकिल की तुलना में यह ज्यादा बेहतर और आरामदायक है। इसका उपयोग रेसिंग के लिए भी किया का सकता है। इन दोनों युवाओं ने आदिवासियों की विलुप्त होती बांस कला को फिर से जीवित करने और बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से बांस की साइकिल का निर्माण किया है। जिला प्रशासन के सहयोग से जल्द ही इसे बड़े पैमाने पर बाजार में उतारने के तैयारी की जा रही है।
यह साइकिल लगभग 1 क्विंटल का वजन उठा सकती है।
ऑनलाइन माध्यम से खरीद सकते हैं लोग
युवाओं ने बताया कि, बांस से बनी इस साइकिल को ऑनलाइन माध्यम से लोग खरीद सकते हैं। जल्द ही अमेजोन में भी इसे लाने की तैयारी की जा रही है। साथ ही बस्तर की सैर करने आने वाले विदेशी पर्यटकों को भी यह साइकिल दिखाएंगे। यदि उन्हें पसंद आती है तो साइकिल बनाने का ऑर्डर दे सकते हैं। युवाओं ने बताया कि इसकी कीमत 35 हजार रुपए रखी गई है।